पहलवान का न्योता

पहलवान का संदेश आया -चचे इतवार को गुल्लू का जन्म दिन है तुम सबको आना है चची को भी साथ लाना है। हाँ शाम को गुल्लू की अम्मा छोले  भटूरे बनायेगी। छोले भटूरे के नाम पर  मुँह मे पानी आ गया। बहुत दिनों से खाये नहीं थे  थ। मैडम ने प्रतिबंध  लगा रखा था। कोलोस्ट्रोल जो बढ़ी हुई थी। मेने  कहा -आयेगे जरूर आयेगे। पहलवान बोला -चचे छंगू बाबू को भी बुलाया है बैठ कर  गप  शप भी मारेंगे। मैने पूछा -भय्ये घर मे प्रोग्राम है कैसे समय निकलोगे। पहलवान ने कहा -चचे इसकी फ़िक्र मत करो। गुल्लू की अम्मा ने सारी  व्यवस्था कर ली है और मुझे फ्री कर दिया है। मैने कहा तब तो ठीक है।  वैसे भी पहलवान का घर कोन सा दूर था। इतना दूर की दिनभर गुल्लू और उसकी अम्मा की आवाज सुनाई देती रहती थी। क्या पक रहा है और क्या हो रहा है सीधा प्रसारण। मगर मुझे इससे कोई परेशानी नहीं थी क्यों की परिवार वाली बात थी।  इतवार वाले दिन हम लोग पहलवान के घर नियत  समय पर पहुंच गये। सारी  तैयारी हो चुकी थी बस हम लोगो का ही इंतज़ार था। छंगू बाबू भी परिवार सहित पहुंच चुके थे और मोहल्ले के बच्चे और उनकी मम्मिया भी । गुल्लू ने केक काटा मोमबत्ती जलाई और हम सबने  ताली बजाई हैप्पी बर्थ डे गाया  और फि गुल्लू  को उसक पसंद की  गिफ्ट दी। एक कार्य ख़तम हुआ। पहलवान है कहा खाने पीने का हमारा नंबर बाद मे पहले बच्चे खच्चे। पहलवान के साथ हम लोग  बैठक मे जाकर बैठ गये। पहलवान फुरसत मे  था। उसने पहले ही कह दिया था की गुल्लू की अम्मा सारी  व्यवस्था सभालेगी और मै  तो आपके साथ गप्पे ही मारूंगा।सो गप्पे मरने का माहौल बन गया  खाने पीने का कार्क्रम शुरू हो चूका था। हमारी बारी  सबसे आखिर मे   थी। तो  हमारी महफ़िल जम  गयी यानि पहलवान छंगू बाबू और हम। हमेशा  की तरह बात की शुरुआत पहलवान ने की बोला   -चचे यह बताओ की यह बूचड़  खाने का क्या मामला है। लोग कह रहे है की यह तो  एक धर्म विशेष के लोगो को परेशान करने के लिये किया जा रहा है। मिडिया के ही कुछ लोग यह भी कह रहे है की  इस  कार्य को ज्यादातर गरीब लोग ही करते है उनका रोजगार ही छूट जायेगा। सड़क किनारे खोमचे वाले भूखे मर जायेगे। देखा जाये तो यह गरीबो पर अत्याचार है?क्या यह बात सही है। छंगू बाबू बोले -भय्ये  जब भी सत्ता परिवर्तन होता है तो कुछ एसे  ही बदलाव होते है। आगे का रास्ता तय करने के लिये गन्दगी तो साफ करनी होती है। फिर यह तो पार्टी का चुनाव एजैंडा है जिस पर उसे जनादेश मिला है। अब सत्ता की धौस पर सत्ता की शह पर सत्ता के स्वार्थ पर  वोट बैंक के नाम   पर जो जंगल राज चला है उसको खत्म  तो करना है। आखिर जनादेश का हिसाब तो बराबर करना ही क्या है। और फिर कार्यवाही तो अवैध बूचड़ खानो पर हो रही है।इसमे क्या गलत है।  क्या गरीबी के नाम पर अवैध कामो को मान्यता  दी जा सकती है। क्या गरीबी की आड़ मे गलत कार्यो को जारी रखने  की इजाजत दी जा सकती है।. पहलवान बोला -भाईसाहब एक पुराने मंत्री तो कह रहे है जिनकी भैस खो गयी थी की यहाँ प्रदेश मे तो कोई अवैध बूचड़ खाना है ही नहीं। छंगू  बाबू बोले -अब कोई आँखों मे  पट्टी बाँध लेऔर झूठ बोले   तो कोई क्या कर सकता है वैसे  भी एसे लोग कुछ भी   बक देते है इनकी बातो का क्या भरोसा ? अब जनता को गुमराह करना इतना आसान नहीं।जनता जागरूक हो चुकी है।  पहलवान बोला -यह तो ठीक लगता है। मैने कहा - जरा दूर की सोचो की क्या हो रहा था। तादाद से ज्यादा पशु काटे  जा रहे थे। पशु चोरी की वारदात बढ  रही थी। गऊ  हत्या हो रही थी। लोगो के स्वास्थ से खिलवाड़ हो रहा था।वातावरण को प्रदूषित किया जा रहा था और सबसे बड़ी बात अपराध बढ़ रहे थे क्यों की जल्द से जल्द अमीर  बनने के  लिये लोग कुछ भी करने को तैयार थे । पहलवान बोला  -इसका मतलब यह तो बहुत जरुरी था। छंगू बाबू बोले -हां यह सही कदम था और सरकार  को इस पर कायम  रहना चाहिये। पहलवान बोलै -चचे अब लोग कह रहे की उन्हे उनकी पसंद का आहार नहीं मिल  रहा है।चिकिन खाने वाले भूखे मर रहे है.। चंद लोग यह भी  कहने से नहीं चुके की उनके खाने पर ही अंकुश लगा दिया गया। .  छंगू बाबू इस पर चुप हो गये बोले -इस पर मै  क्या कह सकता हूँ। मैने  कहा -यह कोन  सी बात हुई कि खाने को नहीं मिल रहा है। अब सरकार के कठोर कदम से रिश्वत खोर बोले की रिशवत नहीं मिल रही है या भ्रष्टाचारी बोले की हम गड़बड़ नहीं कर पा रहे है .या चोर बोले कि हम चोरी नहीं कर   पा रहे है तो इसका क्या मतलब ? भय्ये उन लोगो को सबर करना चाहिये।  सरकार    अपना काम कर रही है ।  वैसे भी इसके बिना कोई  भूखा थोड़ी  मर जायेगा। खाने के नाम पर पहलवान की जिज्ञास पूरी नहीं  नहीं हुई।. वो कुछ सोच मे पड़  गया बोला -क्या सचमुच योगी सरकार एसे  ही कठोर कदम उठाकर प्रदेश को उत्तम बनायेगी ?छंगू बाबू बोले -क्यों नहीं। अब देखो पुराने घोटालो की जाँच शुरू हो गयी। मनचलो और लव जिहाद वालो की खैर नहीं बेईमानो की खोज चालू हो गयी और क्या चाहिये। अभी तो यह आरंभ है आगे दुआ करो की इच्छा शक्ति बानी रहे। पहलवान बोला -तो इसका मतलब सबके  अच्छे दिन आ जायेगे ? पहलवान के इस यक्ष प्रश्न पर छंगू बाबू  बोले -क्यों नहीं क्या दिख नहीं रहा है। इस पर पहलवान कुछ और पूछना चाहता था पर तभी दरवाजे पर शोर हुआ। छुट्टन प्रगट हुआ उसके हाथ मे  ट्रे थी जिसमे  छोले  भटूरे की  प्लेटे राखी हुई   थी। उसने आते ही कहा  - टन  टनाटन टन सब बाते छोड़िये और छोले  भटूरे खाइये चची स्पेशल।  छोले भटूरो की सुगंध ने सारा  वातावरण बदल दिया। भूख तेज हो गयी। मुँह मे पानी आने लगा। बहुत दिनों बाद खाने को मिल रहा था सो  मन मचलने लगा। सारी  बातो  को दरकिनार कर सोचा पहले इसे खुल कर खालू  वरना फिर मौका मिले न मिले।  पता नहीं कब प्रतिबन्ध लगा जाये। मैने  देखा कि  की भाई लोग तो मुझसे  पहले ही चालू हो चुके है।
 
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