लॉक डाउन में गप शप
मोबाइल कि घंटी बजाते ही मै समझ गया यह फोन पहलवान ने ही किया होगा पिछले कई दिनों से मेरी कोई बातचीत पहलवान से नही हुई ।पूरा लॉक डाउन बीतने को आया और गप शाप मारने वाला पहलवान चुप केसे बेठा रहा यह मेरे लिए आश्चर्य का विषय था।मुझे मालूम था कि निश्चित ही कई सवाल उसके पेट मे मरोड़ पैदा कर रहे होंगे ।मेने फोंन उठाया । फोन पहलवान का ही था ।
और .. चचे कैसे हो ....? मेने कहा -भैये ठीक हूँ अपना बोलो ।पहलवान बोला - क्या बोलूं चचे ।घर मे कैद हूँ। बड़े पहलवान ने दरवाजे पर लाठी अड़ा दी है और कहा ना कोइ बाहर जाएगा ना कोई अंदर आएगा
।यहां तक कि छत पर जाने की भी इजाजत नही दी है ।मेने कहा भी कि थोड़ी हवाखोरी करने दो, हमारी कॉलोनी में तो कोई बीमार है नही।बस बड़े पहलवान फेल गए बोले-हम लोग मोर्चे पर घंटो गड्ढे में एके ही पोजिशन में बैठे रहते थे ताकि हमारी हलचल किसी को मालूम ना चले ताकि हमारी हलचल से फ़ौज का नुस्कान न हो ।और एक तुम हो पंखे के नीचे आराम से बैठ भी नही सकते हो ।पहलवान बोला--चचे जंग के नाम पर बड़े पहलवान में करंट सा आ जाता है और फिर फ़ौज के किस्से चालू हो जाते है । मेने कहा -तब तो समय अच्छा कट जाता होगा ।पहलवन बोला -अरे क्या चचे वही पुरानी घिसी पिटी किस्से जिन्हें ना जाने कितनी बार सुन चुका हूं ।
तो फिर क्या करते हो ?मेने पूछा ।पहलवान ने कहा - क्या करता हूँ चचे बस बड़े पहलवान के पास से उठ जाता हूँ।मैंने पूछा -अच्छा तो बड़े पहलवान नाराज नही होते ।पहलवान बोला -होते होंगे लेकिन कहते कुछ नही ।वैसे आजकल बड़े खुस रहते है ।मेने आश्चर्य से पूछा-खुश रहते है ?पहलवान बोला .उनका मन बहलाने के लिए गुल्लू जो दिन रात बैठा रहता है ।उसे ही किस्से कहानी सुनाते है ।इधर गुल्लू की अम्मा उनकी ज्यादा देखभाल करती है ।कहती है- अपनी तबियत ठीक रखना ।देख लो सारी डॉक्टरों की दुकान बंद है ।दवा मिल नही रही ।फिर चिल्लाते रहना सीधे ऊपर का टिकत कटेगा ।
मेने पूछा -अच्छा तो छुट्टन क्या कर रहा है ।पहलवन बोला .छुट्टन के पाँव कभी घर मे टिकते है भला ।वो कोई ना कोई बहाना मार कर अपने काम निकाल लेता है ।बड़े पहलवान की भी नही सुनता ।।मेने पूछा .बाहर कर्फ्यू भी लगा है और संक्रमण भी फ़ैल रहा है ।सावधान रहने की जरूरत है ।पहलवन बोला -सब पता हे उसको ।पर उसने तो समाज सेवा का संकल्प जो ओढ़ रखा है ।क्या एक भला सा नाम है उस संस्था का....चचे याद नही आ रहा ।उनके साथ गरीबो, मेहनतकश, मजदूरों और जरूरत मंद लोगो को खाना बांट रहा है ।मेने कहा -यह तो अच्छा काम कर रहा है ।पहलवन बोला -हां चचे काम तो अच्छा कर रहा है ।लेकिन गुल्लू की अम्मा को चिंता लगी रहती है ।अब देखो चचे रोजीना कमाने वाले खाली बैठे हैं ।पास में पैसे नही है ।खाने पीने का सामान खत्म हो गया ।भीख भी नही मांग सकते सो मालिक भरोसे है अगर कोइ बन्दा आ जाये, खाना दे जाये, तो पेट मे कुछ जाए वरना भजन करने के अलावा कोई चारा नही । मेने कहा सो तो है ।पहलवान बोला -चचे छुट्टन की भी यही कोशिश रहती है कि शहर के गरीबो लोग भूखे ना सोये । मेने कहा -स्थिति बहुत खराब है ।पता नही कितने दिन और त्रासदी झेलनी पड़ेगी ।पहलवान बोला- चचे क्या ये बीमारी जाएगी ? मैने कहा -कुछ पता नही लेकिन इतना पता है आगे बहुत मुश्किल आने वाली है ।पहलवान बोला -छुट्टन भी यही कह रहा था ।देखना आगे कितनी हाय तौबा मचती है ।लोग रोटी को तरसेंगे भयंकर मारा काटी मचेगी । हाहाकार मचेगा ।मेने कहा - राधे राधे कहो ।सब अच्छा सोचो ।अफवाहों पर ध्यान मत दो ।हाँ छुट्टन बाहर जाता है तो उससे कहा सावधानी रखें ।मुँह ढक के रखे और सामाजिक दूरी बनाए रखे ।ज्यादा भीड़ में ना जाये और घरवालों से भी दूर रहे ।पहलवान बोला -चचे ये काम तो कर लिया ।छुट्टन को अलग भी कर दिया ।घर के दरवाजे भी उसके लिए बंद कर दिये है ।हम लोग उससे सौ कदम दूर ही रहते है ।मेने कहा -यह ठीक किया , जान है तो जहाँ है ।पहलवान बोलै -सही कहते हो चचे ।ये बीमारी तो बड़ी भयानक है ।लेकिन एक बात बताओ चचे -गुल्लू की अम्मा कह रही थी कि यह बीमारी तो चीन ने फेलाई है ।क्या यह सच्ची बात है ।मुझे समझ ना आ रही।जरा मुझे समझाओ तो ।
आखिर पहलवान अपने यक्ष प्रश्नों पर आ ही गया । में जानता था कि में कोई विशेषज्ञ तो नही फिर भी अपनी बुद्धि से जो कहता उसे पहलवान ध्यान से सुनता था ।
मेने कहा ..अमेरिका और दुनियां के बाकी देश चीन पर बीमारी फैलने की खबर फैला रहे है अब सच क्या है मालिक जाने लेकिन सच कभी न कभी बाहर आ ही जायेगा ।तब पता चलेगा आखिर हुआ क्या था ।
मेने कहा ...भैये ये तो सारी दुनिया जानती है चीन क्या क्या कर सकता है ।देखा नही नकली सब्जी नकली अंडे नकली चावल भी बनाकर बाजार में उतार दिए ।उसे इंसानियत से कोई लेना देना नही है ।फिर भी लोग चीनी सामान खरीदते है ।ये व्यपारी वर्ग कमाई के चक्कर मे लोगो को चीनी समान खूब बेचते है ।पहलवान बोला -चचे मै तो देसी सामान ही खरीदता हूँ।थोड़े महंगे सही लेकिन होते तो चीनी समान से अच्छे ।मेने कहा - तुम्हारी चाची को तो चीनी सामान पसंद ही नही ।ना खुद खरीदती ना किसी को खरीदने देती है ।पहलवान बोला-चचे यह चीन चाहता क्या है ?,पहले भी इसके खिलोनो को लेकर हंगामा हुआ था ।अमेरिका ने चेताया था ।और अब भी अमेरिका यही कह रहा कि चीन ने विश्व की अर्थ व्यवस्था को चौपट करने के लिए यह सब किया है ।मेने कहा -अब यह तो मालूम नही लेकिन इतना जरूर है कि कुछ तो गड़बड है पहलवान ने चोंक कर पूछा केसी गड़बड़ चचे ।चचे जरा खुल कर बताओ मेरी अकल थोड़ी मोटी है ।मेने कहा -भैये चर्चा है चीन ने बीमारी और उसके आंकड़े दुनिया से छुपाये । यही नही दुनिया को भृमित किया कि यह बीमारी चमगादड़ के खून और सूप पीने से फैलती है ।आदमी से आदमी को छूत नही लगती ।लेकिन था उल्टा ।यह बीमारी आदमी से आदमी पर ही फेल रही थी और वो भी इतनी तेजी से कि दुनियां हक्की बक्की रह गयी ।पहलवन बोला -छंगू बाबु भी यही कह रहे थे कि यदि चीन दुनियां के साथ इस बीमारी को साझा करता तो यह बीमारी इतनी तबाही नही पहुंचा पाती।मेने कहा -चीन के यहां तो स्थिति कंट्रोल मे आ गयी और बाकी बड़े बड़े देश अमेरिका,रूस,इटली,फ्रांस आदि में मारा मरी मची है ।बताओ भइये ऐसा क्यों ।।हिंदुस्तान में भी देख लो केसी मारा मरी मची है ।सारे देश मे ताला बंदी है लोग अपने अपने घरो मे कैद होने पर मज़बूर है और पूरे देश मे कर्फ्यू लगा हुआ है ।पहलवन बोला- चचे दुनियां में इस बीमारी की कोई दवा नही है क्या । मेने कहा - दवा नही बनी लेेकिन .बचाव का तरीका जरूर आ गया ।पहलवान बोला.. वही मुँह पर कपड़ा बांधो वाला ।मेने कहा . हाँ वही भीड़ मत करो ।सामाजिक दूरी ..बनाये रखो ......पहलवन बोला ...अच्छा तो यह बात है इसलिए ट्रेन बस निजी वाहन सब सरकार ने बंद कर दिए ताकि बीमारी देश मे फ़ैल ना जाये और एलान कर दिया कि कि जो जहां है वही ठहर जाए
मेने हंस कर कहा -भइये तुम तो समझदार ही गए हो ।पहलवान बोला-सब आप लोगो की मेहरबानी है ।फिर अचानक उसने सवाल दागा ।चचे एक बात बताओ -ये जो प्रवासी मजदूरों की भीड़ पैदल ही पैदल हाई वे पर चली जा रही ये क्या है ।मेने कहा ..मुझआश्चर्य होता है घर जाने के लिए ये लोग हर तरह की तकलीफ उठा रहे है और 500-,हजार किलोमीटर कि दूरी छोटे छोटे बच्चो और महिलाओं के साथ सफर कर पूरा कर रहे है ।पहलवान बोला .चचे इन्हें बीमारी से डर नही लगता ।मेने कहा -क्यो नही लगता लेकिन घर पहुचने की व्याकुलता और बेरोजगारी ने इनको मजबूर कर दिया ।परदेश में बिना पैसे बिना छत के बिना काम के यह रह नही पा रहे थे ।पहलवान ने कहा -लेकिन सरकार ने कहा -,हम सारि व्यवस्था करेंगे ।मेने कहा -अरे भय्या सरकार जो कहती है वो होता है क्या ।देखलो रोज अखबार मे व्यवस्थाओ के बारे मे ।ये जो सरकारी अफसर और बाबू है ना सब इन्ही की माया है ।जनता का भला हो न हो इनकीं नैय्या जरूर पार हो जाती है ।पहलवान बोला -,और जो यह जमात वाले पकडे गये ।।इनके बारे में क्या ख्याल है ।छंगूबाबू कह रहे थे यह सब षणयंत्र था हिंदुस्तान को बर्बाद करने का ।मेने कहा ...में नही जानता।में ऐसी बातो को ज्यादा वजन नही देता में सिर्फ यही जानता की देश मे उल्टी खोपडी वालो की कमी नही है ।एक वर्ग है एक जाति है एक धर्म है जिसकी नीति विचार और आचरण पूरी तरह अलग है ।उसे देश और इंसानियत से कोई लेना देना नही है ।इसलिए उनके बारे में क्या कहे ।पहलवन बोला -चचे तुम बोलो ना बोलो मुझे तो बहुत गुस्सा आता है मुझे तो तब भी गुस्सा आता है जब ये लोग डॉक्टरों को पीटते है पुलिस पर हमला करते है और नर्सो से बदतमीजी करते है ।इनको तो ....मेने कहा शांत बंधु शांत ।लड़ाईया धैर्य और संयम से जीती जाती है ।और लड़ाई में यह नही पता होता कि दुश्मन कहाँ से हमला करेंगा ।इसलिए सावधान रहने और शांति से समाधान खोजने की जरूरत है ।फिक्र मत करो देख रहा हूँ कि सरकार पूरी तरह से सावधान है ।पहलवान बोला-तो इस बीमारी पर -सरकार काबू कर लेगी क्या #।आपके दोस्त अश्वनी बाबू तो यही कह रहे थे ।मेने पूछा -कोन अश्वनी बाबू ।पहलवान बोला -अरे वही अपने सिंधी भाई ।मेने पूछा और क्या कह रहे थे ।पहलवान बोला -कह रहे थे मई के अंत तक सब ठीक हो जाएगा ।मेने कहा -अच्छी बात है कि मुख्य जंग तो खत्म हो जाएगी और फिर दूसरी जंग चालू होगी ।पहलवन बोला दुसरि जंग ...अरे क्या कै रहे हो चचा । मेने कहा -शार्ट में बताता हूँ यह कि लॉग डाउन के कारण जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई करनी होगी । यह कि लॉक डाउन में जो सारी व्यवस्था बिगड़ गई है उसे ठीक नही करना होगा ।उसे पटरी पर नही लाना होगा ।फसले बरबाद हो गयी ।काम धंधे बंद हो गए ।र्रोजी रोटी का सवाल उठने लगे है ।महंगाई बढ़ने लगी है ।लोग बेरोजगार हो गये है ।और ऐसे ही तमाम बातें और उस पर उठती उंगली । पहलवन बोला -.चचे तब तो बड़ी मुश्किल घडी आने वाली है ।मेने कहा -भइये यही नही राजनीति मे जो भूचालआएगा वो अलग ।पहलवान ने आश्चर्य से पूछा -च्यों ....मेने कहा -वे तो चाहेंगे बीमारी खूब फैले और मोदी की सारी मेहनत पर पानी फिर जाए । अगर जनता मरती है तो मरने दो । विरिधियो को तो मोदी की सफलता किसी रूप में स्वकार्य नही है ।पहलवान बोला -चचे च्यों ...मेने कहा -सीधी सी बात है उनकी आधी दुकान तो बन्द है लेकिन बीमारी जाने केबाद मोदी के लहर में पूरी दुकान बंद होने की नॉबत आ जायेगी ।उनका काम धधा सब चोपट हो जाएगा और ये जो लाल नीली हरी सफेद टोपी वाले है इनका सुपडा साफ हो जाएगा ।पहलवान बोला -तो चचे इसका मतलब अच्छे दिन आ जाएंगे । मेने कहा -क्यो नही बीमारी यहां से भागेगी ।एक नए हिंदुस्तान का जन्म होगा ।देखना हिन्दुस्तान कहाँ से कहाँ पहुँच जाता है
पहलवान इस पर कुछ कहना चाहता था तभी सायरन की तेज आवाज ने उसे चोंका दिया ।एक एम्बुलेंस मोहल्ले में प्रवेश कर रही थी ।पहलवन बोला -चचे ये कैसी आवाज ।मेने कहा ये तो एम्बुलेंस का सायरन है और लगता है तुम्हारे घर पर आ कर रुकी है ।पहलवान घबड़ा गया बोला-चचे ये कैसी आफत है ।मेने कहा -तुम ठहरो में देखता हूँ ।बाहर आया तो देखा छुट्टन मुस्कुराते हुए उत्तर रहा था ।मेने आश्चर्य से छुट्टन को देखा औऱ इशारो में पूछा -चक्कर क्या है ।छुट्टन बोला -अंकल में इधर से गुजर रहा था तो सौचा थोड़ा फ्रेस हो लिया जाए तो आ गया ,बस ।मेने कहा -तुमने तो डरा दिया ।फ्रेस होने की बात तो अलग है ये सायरन बजाने की क्या तुक ।इस पर छुट्टन ने खीसें निपोर दी बोला -अंकल अब ड्राइवर की आदत इतनी जल्दी थोड़ी जाती है ।मेने अपना माथा ठोक लिया ।मुझे मालूम था की मोहल्ले की दर्जनों आंखे मुझे देख रही होंगी और यह चर्चा का विषय बन जाएगा और पता नही मामूली सी बात केसी बतंगड़ बन जाए । मेरा मोबाइल घनघनाने लगा था ।

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