पहलवान की चिंता

फेस बुक पर अपनी पोस्टो को लेकर पहलवान बेहद परेशान था ।आज भी  अपनी समस्या को लेकर मेरे पास आया और गपशप  के साथ उसे पेश भी कर दिया -, चचे एक बात बताओ मै इतनी मेहनत और सोच के साथ अपने विचारों को लिखता हूँ मगर  लाइक कमेंट के नाम पर  सिफर सन्नाटा । बड़ी निराशा होती है । मेने कहा -होता है ऐसा भय्ये ।पहलवान बोला -मेरे बहुत सारे नातेदार रिश्तेदाए है ,पहचान वाले है ,दफ्तर के दोस्त है, मोंहल्ले वाले है फिर भी मेरी पोस्ट किसी को पसंद नही आती । मेने कहा -होता है ऐसा ।पहलवान झल्ला गया -क्या चचे होता है ऐसा कहकर टाले जा रहे हो बताते क्यो नही सही बात ।मेने कहा-ये समस्या तुम्हारि नही है बहुत सारे लोगों की है  जो लाइक कमेंट के लिए परेशान है ।
उनको लगता है उनके रिधतेदार उनके साथ पोलटिक्स करते है जानपहचान वाले ध्यान नही देते अब बात रही fb मित्रो की तो उनके क्या कहना । पहलवान बोला चचे जब गुल्लु  की अम्मा पाउडर लिपिस्टक लगा के बस अपन फोटो ही डाल देती है तो लाइक फोटो की लाइन लग जाती है । ये क्या है ..... ।मेने कहा -,यही लोगो की मानसिकता है । तुम गुल्लु की अम्मा के नाम से पोस्ट लिखो देखो लाइक कमेंट की लाइन  जायेगी । पहलवन बोला -चचे देख लिया लाइन तो लग गयी लेकिन मेरी अपनी पहचान ।  मेने कहा अपनी पहचान को गोली मारो मजे लो अपनी पोस्ट के । पहलवान का मुंह लटक गया 
बो बोला चचे  तुम भी तो पोस्ट लिखते हो ।क्या तुम्हें कुछ नही होता। मेने कहा क्यो नही होता ।पहले होता था लेकिन सब समझ मे  आया कि इसके लाइक कमेंट के  चक्कर मे फ़सोगे तो कुछ नही कर पाओगे ।इसलिए में उदासीन भाव से लिखता हूँ और अगर किसी एक नए भी लाइक कत  दिया तो में अपने को भाग्यशाली मानता हूं । सो लोहे के टुकड़े ए क सोने की पट्टी को पराजित नही कर सकते ।पहलवान आश्चर्य चकित हो बोला चचे यकीन नही होता ।मेने कहा में एक ग्रुप के लिए लिखता था ।कही से कॉपी कर पोस्ट डाली तो हजारों लाइक आ  गए पता चला कि वह ग्रुप किसी बाबा जी का था और बाबाजी का आदेश था कि सभी भक्त सभी पोस्टो को लाइक करे सो जो भी पोस्ट उसमे डाली जाती तो भक्त आंखें मूद कर लाइक करते । मेने कहा ....भय्ये मुझे ऐसे लाइक पसंद नही आये और मैने ग्रुप छोड़ दिया यही नही  लाइक कमेंट से भी  हाथ जोड़ दिए ।पहलवान आंखे फाड़ देख रहा था ।चचे फिर तुम्हे लिखने की ऊर्जा कहाँ से मिलती है । मेने कहा एक रहस्य की बात बताता हूँ ।पहलवान बोला क्या चचे ।मेने कहा भय्ये घर की सफाई करते हो पहलवान बोला हाँ चचे ।मेने कहा कूड़े क्या करते हो पहलवान बोला डस्टबीन में डाल देता हूँ । मेने कहा डस्टबिन का क्या करते हो पहलवाब बोला कूड़ा  उसमे डाल देता हूँ । मेने पूछा फिर.....पहलवान बोला फिर क्या  चचे ।मेने कहा कि कूड़ेदान को नही देखते । बो बोला मेरा घर साफ हो  गया में क्यो कूड़े घर मे झाकूँगा । मेने कहा यही बात तो मेँ कहना चाहता था ।मै अपने दिमाग का कचरा फेसबुक में डाल कर अपने दिमाग को खाली और शांत कर लेता हूँ ।अब उस कचरे को कोई बीनता है या बिजली बनाता है ये में नही देखता बस रोज लिखता हूँ ओर अपने दिमाग के कचरे को साफ करता हूँ ।पहलवाब किसी सौच ने पड़ गया ।यह उसकी आदत थी ।वह बड़े ध्यान से सुनता था और जल्दी फैसला लेता था ।शायद मेरी बात उसे पसंद आ गयी बोला वह चचे खूब बताय्या और फिर उसने कुछ कहना आरम्भ किया मगर  वह कुछ बोलता तभी हमेशा की तरह अचानक छुट्टन प्रगट हुआ उसकी ट्रे में गरम गरम छोले भटूरे महक रहे थे ।उसे देख पहलवान का मन मचल गया ।बोला ..... चचे चाची को कैसे पता चल जाता है कि आज मुझे  छोले भटूरे की इच्छा है ।छुट्टन बोला.... चाची अंतर्यामी है । पता नही पहलवान ने सुना भी या  नही । मेने देखा ..वो छोले भटूरे खाने मे  लगा हुआ था ।भटूरों की गंध तो मेरा  धैर्य भी तोड़ रही थी। ।

Comments

Popular Posts