कोरोना से जंग

लॉक डाउन का  आठवां दिन  ....
सड़क पर सन्नाटा था ।पास वाली गालियां भी सुनसान थी ।बाजार में सारी दुकानो के शटर गिरे हुए थे मरघट जैसी शांति थी ।चौराहे पर कुछ पुलिस वाले लाठी लेकर बैठे थे ।कोई भुला भटका टहलने  आ जाता तो लाठियां फटकार देते ।अभी अभी पुलिस की भोंपू लगी गाड़ी बोल कर गयी है कि भीड़ ना लगाए । सामाजिक दूरी। बना कर रखे ।घर से बाहर नही निकले  ।शहर में कर्फ्यू लगा है  ।पुलिस वाले निश्चिंत है ।सड़क पर सन्नाटा देख पुलिसवालों ने अपने मोबाइल निकाले और मनोरंजन में व्यस्त हो गए ।


बीच बीच मे चौकन्नी वाली निगाहों से इधर देख लेते थे ।यह एक भीड़भाड़ वाला इलाका था जहां सुबह हो ते ही चिल्लपों शुरू हो जाती थी ।आज यहां कोई नही था ।सर्वत्र शोर थमा हुआ था ।
     पुलिसवाले मोबाइल में डूबे हुए थे अचानक शटर खुलने की आवाज से चोंक गए देखा तो पता चला एक दुकानदार दुकान का शटर उठा रहा था ।पुलिस वाले दौड़े और डंडा फटकारते हुए बोले ...बंद कर दुकान ।पता नही कर्फ्यू है  ।दुकानदार हाथ जोडकर बोला ..साहब में राशन वाला हूँ ।शासन के आदेशानुसार ही दुकान खोल रहा हूँ ।लोगो को बांटना है ।तभी गली में से एक जोरदार  आवाज आई ...खुल गयी ।और देखते ही देखते गली से हजारों लोग ऐसे निकल पड़े जैसे नदी का बांध खोल दिया गया हो ।आदमी औरतों का रेला हाथों में थैला,बोरी और कपड़ा लेकर दुकान के सामने डट गया ।दुकानदार अकड़ कर बोला ...आप लोग कायदे से लाइन लगाइये ।तभी मिल पायेगा ।पुलिस वालों ने हवा में डंडा लहराया ।आप लोग सामाजिक दूरी बनाए रखिये ।पता नही ....शहर में बीमारी फैली हुई है ।
    लोगो ने जैसे इस पर ध्यान ही नही दिया गया ।भीड़ अब धक्कम धुक्का करने लगी ।चिल्लाने लगी ।नेताओं को गाली देने लगी ।दुकानदार यह देख घबरा गया ।पुलिस वालों की चल नही रही । उनके डंडे इतनी सारी भीड़ के आगे बोनी साबित हो रही थी ।भीड़ बढती ही जा रही थी कोई भी व्यवस्था बनाने को तैयार नही था ।तरह तरह के लोग थे ।वे बहस कर रहे थे -चीख रहे थे ...हम कई दिनों से भूखे है ।हम गरीब है इसलिए हमारी कोई नही सुनता ।अमीर बीमारी लेकर आये और गरीबों को भुगतना पड़ रहा है ।और ये नेता कहाँ मर गए।बड़ी गरीबी गरीबी चिल्ला रहे थे  यानी हजार मुँह और हजार बाते ।
भीड़ बहस करते करते उग्र भी होति जा रही थी ।पुलिस वाले अपनी तरीके से समझने और दिशा निर्देशों का पालन करने को कह रहे थे ।लेकिन भीड़ थी जी धक्का मुक्की करते हुए दुकान पर चढ़ी जा रही ।दुकानदार को समझ नही क्या करूँ ।वो उस घड़ी को कोसने लगा जब उसने शटर खोला था ।
पुलिस वाले जी जान से लगे थे ।भीड़ अब नारे बाजी पर उतर आई थी ।देखते ही देखते हंगामा होने लगा ।किसी ने आवाज दी ...मारो साले को लूट लो दुकान ।दुकानदार पत्ते की तरह कांपने लगा ।एक पुलिस वाले ने मोबाइल निकाला ..सर स्थिति खराब है ...भीड़....जल्दी आइये ।
अभी थोड़ी देर ही हुई थी दनदनाती हुई पुलिस की गाड़ियां रुकी और बिना कुछ बोले ही भीड़ पत्र चिपट पड़ी ।देखते ही देखते वहां हाय तौबा मचने लगी ।हाय अल्ला हाय अब्बा कहते लो भागने लगे ।जल्दी बाजी में किसी की चप्पल उत्तरी तो किसी का जूता तो कोई थैला छोड़ कर ही भाग गया ।थोड़ी देर में ही  वहां से भीड़ ऐसे गायब हुई जैसे गधे के सिर से सींग । पुलिसवालों ने चेन की सांस ली ।सड़क पर भीड़ के छुटे जूते चप्पल और थैले पड़े हुए थे जिसे देख वे कुछ बुदबुदाए थे । 
अब सब कुछ पहले जैसा ही था ।सड़क सुनसान थी ।पास वाली में कोई नही था ।बाजार मे दुकानो के शटर बंद थे ।पुलिस वालो ने एकबार सरसरी निगाहों से चारो तरफ देखा और  फिर जेब से मोबाइल निकाल कर मनोरंजन  में व्यस्त हो गए ।
अब सब कुछ पहले जैसा ही था बस सड़क से लगी गली में कोई बुड्ढा लगातार  खाँसे जा रहा था ।
हिंदुस्तान कॅरोना से लड़ रहा था ।

Comments

Popular Posts