दाढ़ का दर्द

मेरी फाइल देखने के बाद उसने मेरी और घूर कर देखा और कहा -कमाल करते है आप ।इतनी बीमारियां लेकर आप बाजार घूम रहे है ।आपको डर नही लगता ।में चुप रहा कुछ नही बोला ।डॉक्टर साहब चालू हो गए बोले -आपको मालूम ही है यह कोरोना काल है और कोरोना कोहराम मचा रहा है ।देश मे लॉक डाउन चल रहा है ।कोरोना से बचने के लिए चेतावनी जारी की जा रही है और एक आप है घर से बाहर घूम रहे है । मे चुपचाप उनकी बात सुनता रहा ।वे बोले -आप जैसी उम्र वालो के लिए खतरनाक है यह वायरस ।आप जेसो को जल्दी पकड़ता है और ऊपर से आप अबकी तमाम बीमारियां लिए बेठे है ।आपकी इम्युनिटी तो जीरो है कैसे लड़ेंगे कोरोना से । अबकी बेटे ने जवाब दिया कहा -पापा दो महीने से परेशान थे ।दाढ़ में असहनीय दर्द था बड़ी तकलीफ में थे लेकिन लॉक डाउन के चलते आ नही पा रहे थे क्या करते लोगो की देसी दवाओं का कोई असर नही हुआ ।मे भी बाहर था अब जब अनलॉक हुआ तो इनका दर्द मुझे सहन नही हुआ तो में इनको दिखाने चला आया ।डॉक्टर ने कहा ठीक है लेकिन अब इनको सीधे घर ले जाना और घर से बाहर निकलने मत देना।फिलहाल आज तो में इन्हें देख लेता हूँ । डॉक्टर ने बेंच पर मुझे बैठा दिया और मुँह फाड़ने को कहा और फिर थोड़ी देर बाद मुझे मुक्त करते हुए कहा -मेने जांच कर ली है आपकी दाढ़ में गेप आ गया है ।उसमें खाना भर जाता है इसलिए परेशानी है । बेटे ने पूछा तो फिर क्या होना है ।डॉक्टर ने जवाब दिया ।देखो वैसे तो बहुत उपाय है लेकिन इनके लिए अच्छा है कि दाढ़ उखाड़ दिया जाय ।एक दिन में ही काम हो जाएगा ।वरना तीन चार दिन लग सकते है ।बेटे ने कहा -आज में फुरसत में हूं ।इस पर डॉक्टर हंसा बोला -इस किरोना ने सब गड़बड़ कर दिया है ।में अभी कुछ नही करूँगा और ना ही करवाने की सलाह दूंगा । बेटे ने कहा -तो फिर ! डॉक्टर ने कहा देखो -मुझे इसके लिए एक्सरे करवाना होगा और कुछ जांच भी होगी ।अब तुम्हे मालूम ही होगा कि जहां भी एक्सरे जांच के लिए जाओगे वही कोरोना जांच की बात पहले की जाएगी और खुदा ने खास्ता सरकारी अस्पताल पहुंच गए तो मान लो हो गया कल्याण ।डॉक्टर साहब फिर चालू हो गये और सरकारी अव्यवस्था पर लंबा चोडा प्रवचन देने के बाद बोले -में कुछ दवा लिख रहा हूँ आप इसे लगते रहिये आपको आराम मिलेगा ।और किसी तरह दो तीन महीने गुजार दीजिये ।जब यह कोरोना चला जायेगा तब कुछ किया जा सकता है । तब बात बनेगी । बेटे का मुँह बन गया ।डॉक्टर ने प्यार से समझाया -देखो दाढ़ का दर्द तो यह सच लेंगे लेकिन अगर कोरोनो ने इन्हें पकड़ लिया तो कोरोना की तकलीफ सह पाना इनके बस का रोग नही है ये तो सीधे ही ऊपर जाएंगे ।अस्पताल से पोलिथिन मे ही लिपटे निकलेंगे  । 
   बात सच थी ।में वेसे ही बीमार रहता हूँ ।बुढ़ापे के सारे रोग मुझे जकड़े हुए है । चाहे वो डायबिटीज हो या फिर  ,हार्ड की समस्या हो बढ़ा हुआ कोलोस्ट्रोल हो या फिर किडनी  बोल रही है । इन सबके साथ तरह तरह की दवाइयां खाते जिंदगी गुजार रहा हूँ और उठते बैठते यही कहता हूँ -अरे भगवान उठा क्यो नही लेता ।
 डॉक्टर साहब ने पर्चा पकड़ा दिया और कहा -मेने कुछ दवाएं लिखी है इनसे आराम मिलेगा ।आप दो तीन महीने किसी तरह काट लो तब तक वेक्सीन भी आ जायेगी और थोड़ा वायरस भी कम होने दो ।। टैब तक जरा सावधानी रखना ।हमने मुंडी हिला दी ।अब मुँह लटका के घर वापिसी के अलावा और  कोई चारा ही नही बचा था ।
घर लौटे तो लटका चेहरा देख श्रीमती जी  बोली -उखड़ गए दाढ़ ।हमने सारी कथा कह सुनाई और कहा दवा दी है देखो कितना आराम मिलता है । बेटा बोला -पाप का दंड आसानी से थोड़ी जाता है । मेने कहा-कैसा पाप और कैसा दंड ।मेने कोंन सा पाप किया है ।बेटा बोला -सरकारी नॉकरी- सरकारी बाबू  । बाबू  बिना उपर झापर के थोड़ी रहता है तुमने भी जरूर कोई कांड कियाः होगा । उसकी बाटे सुन में मुस्कुराया कहा -बेटा तुम्हरी बात सही हो सकती है ।लेकिन मेने  ऐसा नही किया ।सभी बाबा ऐसा नही करते ।जो करते है वो मलाईदार कुर्सी वाले करते है और इस  कुर्सी  के लिए मारामारी चलती है ।और यह कुर्सि भी बॉस की कृपा से मिलती है और यह कृपा आसानी से नाही मिलती बड़ी चमचेगीरी करनी पड़ती है । और यह है कि बहुत से लोग यह नही कर पाते जिनमे से एक मे भी हूँ। बेटा अपना सिर खुजाने लगा ।मेने कहाँ -हां एक बात जरूर है कि जब ऊपर झपर के खेल में भाई लोग जा माल उड़ाया करते थे तो चाय समोसों की दावत में हम भी अक्सट सम्मिलित हो जाते थे ।बेटा बोला -अब आयी न बात पकड़ में तभी मै कहूँ की तुम्हें ये छोटे मोटे कष्ट क्यो लगे रहते है ।आखिर कांड में सम्मिलित तो हो ही गये । मेने जवाब नही दिया ।मुझे मालूम था वो मेरे साथ मजाक कर रहा है ताकि मेरा ध्यान दर्द से भटक जाए ।और मुझे आराम मिले ।
तीन चार दिन बीत गए ।में असहनीय दर्द झेल रहा था ।डॉक्टर की दवा इतना जरूर काम कर गयी कि रात लगाने के बाद में आराम से नींद ले लेता था लेकिन  सवेरा होते ही दर्द फिर शुरू हो जाता ।  में ठोड़ी पकड़ कर बैठ जाता  था ।ना तो ठीक से खाया पिया जाता और नाही ठीक से बोल पाता था । जिंदगी नरक बनी हुई थी ।में ठोढ़ी पकड़ कर सारे दिन इधर उधल घूमता ।सारे मोहल्ले को यह बात मालूम पड़ गयी और अब हर आता जाता आदमी मुझे मुफ्त सलाह दे जाते है ।कुछ को चेन नाही पडता तो मोबाइल खटखटा देते है ।मै देख रहा हूँ कि मेरे वाट्सएप पर अचानक संदेशो की बाढ़ आ गयी । सबका एक ही विषय --दाढ़ दर्द से केसे छुटकारा पाएं ।
      मेने दर्द के साथ जीना सीख लिया है ।वैसे ही जैसे कोरोना के साथ जीने की बात मोदी जी ने कही थी ।रोज अखबार पढ़ता हूँ ।अख़बार बताते है कई देशों ने वेक्सीन बना ली है और बड़े जोर का हल्ला है कि अपने हिंदुस्तान की वेक्सीन की घोषणा 15 अगस्त को मोदी जी करेंगे ,।मुझे  इससे भारी उम्मीद है ।कहते है उम्मीदों पर ही दुनियां कायम है क्यो की उम्मीद ही  विपरीत परिस्थितियों में हिम्मत  बढ़ाती  है  । मै हिम्मत के साथ खडा हुअ हं ।मुझे वेक्सीन कि जल्दी है ।वेक्सीन आएगी तो कोरोना जाएगा और कोरोना जाएगा तो मेरा दाढ़ का दर्द भि जायेगा  ।बेसब्री से उस दिन का इंतजार  है कि कब मोदी जी कहेंगे - भाइयो और बहनों ...........और फिर लक्ष्मण रेखा मित जायेगी और सब कुछ पहले जेस हो जायेगा ।ऐसा होंना सचमुच कितना सुंदर सपना है ।
        फिलहाल मुझे बेसब्री से अच्छे दिनों का इंतजार है ।क्या अच्छे दिन आएंगे ?

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