पहलवान के किस्से ...जमीन पर मेरा निर्जीव ......
जमीन पर मेरा निर्जीव शरीर पड़ा हुआ था और मेरी आत्मा उसी के पास खड़ी थी। कहते है की शरीर के समाप्त होने तक आत्मा अपने शरीर के आसपास ही रहती हैऔर देखती है की उसके शरीर के साथ क्या हो रहा है। कल बैंक की लंबी कतार मे घंटो लगे रहने के कारण मेरी घंटी बज गयी। घरवाले उठा के घर ले आये और यहाँ रख दिया। रात भर विलाप प्रोग्राम चलता रहा और सुबह से अफसोस और अब ठिकाने लगाने की तैयारी चल रही थी। मै सब कुछ देख रहा था सुन भी रहा था मंगर मेरी कोई नहीं सुन रहा था ना कोई मुझे देख पा रहा था। मै हकबकाया और परेशान सा बस सब कुछ सहन कर रहा था। देख रहा था सब सर पकड़ कर बैठे थे और आपस मे चर्चा कर रहे थे। कैसे काम हो। कफ़न लकड़ी और शव वाहन के लिये कहाँ से पैसे का इंतजाम हो। समस्या यह थी की मैने अपने अंतिम क्रिया के लिये पहले ही सिच लिया था। अंतिम संस्कार के लिये एक लिफ़ाफ़े में जोबड़े बड़े नोट रख छोड़े थे। वे अब सरकार ने बंद कर दिये सो अब नये नोट कहाँ से लाये। दो हजार के नोटों के छुट्टे नहीं मिल रहे तो फि कैसे मुर्दे को ठिकाने लगाये। बैंक मे कैश नहीं बाजार मे छुट्टे नहीं। अब इसी पर चर्चा होने लगी। किसी ने कहा -अरे भाई सरकार ने कहा है की शमशान घाट मे तो पुराने नोट चलेगे तो फिर क्या सोचना? दूसरा इसके विपरीत था -भाई साहब इस मुगालते मे मत रहना नहीं लिये तो क्या लठ्ठ चलाओगे। तरह तरह की बाते होने लगी।किसी टीवी चैनल की तरह बहस होने लगी। लोग अपनी अपनी बातो पर जोर दैते। नहीं सुनता तो हल्ला मचाने लगते। अंत मे किसी ने सलाह दी। भाइयो हमारा मोहल्ला काफी बड़ा है क्यों न हम छुट्टे पैसो का चंदा कर ले और अगर थोड़े कम भी होते है तो एक काम और करते है..। यह की दस लीटर पेट्रोल और ले चलते है। पम्प पर तो यह नोट खूब चल रहे है। वैसे ही बुढ़ऊ मे कोन सी दम है हाल फुक जायेगा । लोगो ने मुंडी हिला दी। टीमे तैयार हो गयी और अपने काम पर चल दी। यह देख और सुन मेरी आत्मा चीख पड़ी। मै जोरो से चिल्लाया। रुको -------------- तभी अचानक किसी ने झिंझोड़ दिया। देखा सामने मेरी मित्र पहलवान खड़े थे। बोले -चचे यह नींद मे क्या चिल्ला रहे थे। मेने पूरी आंखे खोल दी। मै जिन्दा था। मेने पहलवान को सारी बात बताई। सुन कर पहलवान हो हो कर हॅसने लगा बोला -चचे न जाने तुम तुम क्या उल्टा सीधा सोचते रहते हो। अरे आराम करो और अच्छे दिनों का इंतज़ार करो। मै पूरी तरह से होश मे आ चूका था। मेने पूछा -भय्ये क्या सचमुच अच्छे दिन आयेन्गे ?पहलवान ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया बस मुस्कुराकर रहा गया।उसके चेहरे पर शायद प्रसन्नता नहीं थी।

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