पहलवान के किस्से -अवकाश वाले दिन.....

अवकाश वाले दिन पहलवान अक्सर मेरे पास आ जाते थे। मै ठहरा रिटायर आदमी सो खूब मिलकर गप -शप मारते। यह बात भी थी कि पहलवान से मेरी अच्छी पट  जाती थी। पहलवान अक्सर ज्वलन्त  विषयो पर ही चर्चा करता था। उसके मन मे जो अनेक शंकाये होती वो उसका जिक्र करता और  मै  अपनी अकल से उसका जवाब देता। आज आते ही उसने पूछा -चचे एक बात बताओ तुम किसको  वोट दोगे ?कुछ विचार किया कुछ सोचा ? मैने कहा-  भय्ये  इसमे सोच विचार की क्या बात है। पहलवान बोला -क्या मतलब ?मैने कहा -सुनो भय्या सबरी पार्टिया बेईमानी और भ्रस्टाचार ख़तम करना चाहती है। गरीबो की थाली भरना चाहती । मजदूरो किसानों की तंगहाली दूर करना चाहती है। बेरोजगारो की बदहाली दूर करना चाहती है.यही नहीं फ़ोकट मे  तमाम सामान भी  देना चाहती है। . तो भय्या किसमे क्या फर्क हुआ। किसी को भी  वोट डालो सभी एक ही  थाली के चटटे -बटटे है।  वैसे भी बाबा तुलसीदास कह गये है कि -कोई नृप होय हमे का हानि ,छैड़ि दास  न होइये रानी। पहलवान सोचने लगा। मेने कहा -वैसे भी आधे  वोटर वोट नहीं डालते  बाकी भय्या वोट डालते है  तो जाति बिरादरी के नाम पर ,धर्म के नाम पर, सवर्ण दलित के नाम पर और तो और  नेताओ -पार्टी का सारा जोर और गणिय भी  इसी पर लगता है। ..हमारे मोहल्लै मे  तो कोई झाँकने भी नहीं आता। क्योकि हम वोट बैंक नहीं है।हमारी क्या जरुरत है  उनको।  वैसे भी चुनावो के बाद कोन  पूछता है भाइयो को।   पहलवान ने हूँ बोलते मुंडी हिलायी। मैने  कहा -वोटर हूँ इसलिये वोट डालने जाता हूँ। मगर आँख बंद कर।   जिसके भाग मे पड़ जाये बस।नोटा नहीं डालूंगा यह पक्का।  पहलवान मेरी बातो को ध्यान से सुन रहा था।   पहलवान की अच्छी बात थी की वो  तर्क नहीं करता था।    मैने पहलवान से कहा -चलो मेरी बात छोड़ो यह बताओ तुम किसको  वोट दोगे ?क्या सोचा है  तुमने।  पहलवान बोला -चचे मुझे क्या सोचना गुल्लू की अम्मा जो कह देगी वही करूँगा। मैने कहा -अरे यह कोन  सी बात हुई। भय्ये वोट तो गुप्त होता है। तुमने किसको डाला किसी को क्या पता चलता है। पहलवान ने घूर कर मुझे देखा -चचे गुल्लू  की अम्मा की बात मत कहो -चेहरा देख कर ही ताड लेती है और फिर  खटिया उलटी करने मे देर नहीं लगाती। पहलवान चालू हो गया। मै  जानता था की एक बार पहलवान चालू हो जाये तो फि उसे रोक पाना कठिन है इसलिये मैने विषय बदल दिया। मैने  कहा -तो फि गुल्लू की अम्मा ने क्या सोचा है। पहलवान बोला -गुल्लू की अम्मा कह रही थी  मोदी जी ने तो सिलेंडर दे   दिया। अखिलेश भय्या ने दूध  और कुकर देने की बात कही है.। पेंशन और नोकरी की भी बात कही है।  .बहन जी तो कुछ देने की बात बोल नहीं रही है।  तो बड़ा कन्फ्यूजन हो रहा है। मैने कहा तो फिर ?पहलवान बोला -गुल्लू की अम्मा कह रही कि छंगू का छोरा  कह रहा था कि  उसकी  दसवी मे फस्ट क्लास आई तो लैपटॉप  लेने गया। लेकिन लिस्ट मे उसका नाम ही नहीं था उससे हेठे लड़के जीभ दिखाते लैपटॉप लेकर चले गये। वो तो चिल्ला चिल्ला कर कह रहा सब बकवास है धोका हो रहा है । अगर एसा हुआ तो हमारा वोट बेकार जायेगा। बड़े पहलवान की पेंशन और परिवार मे  नोकरी सिर्फ सपना रह जायेगी।मैने पूछा -अच्छा तो फिर ? पहलवान कुछ बोलना चाह  रहा था तभी मैडम चाय पकोड़ा  लेकर आ गयी। अब पहलवान का ध्यान पकोड़ो पर चला गया। चर्चा को विराम लग गया। पहलवान बोला -वाह चाची आज तो मजा आ गया। बहु त दिनों से इच्छा थी की पकोड़े खाऊ। मैडम बोली- तो बोल दिया होता बना देती। इधर उधर की बाते  करते हो- दो बोल हमसे ही कह देते।   मैडम चली गयी तो पहलवान ने अपना यक्ष प्रश्न फिर छेड़ दिया -चचे एक बात बताओ कि अच्छे दिन  सचमुच आयेगे क्या? मैने कहा क्यों नहीं !अच्छे दिन आयेगे जरूर आयगे! तुम ज्यादा मत सोचो बस यह पकोड़े खाओ। पहलवान  कुछ बोला नहीं बस पकौड़े खाने मे  लग गया ।

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