पहलवान के किस्से -फेसबुक खुली हुई है.....
फेस बुक खुली हुई है और सामने एक पोस्ट है। जिसमे लिखा है कि जो इसे लाइक करेगा उसे एक खुशखबर मिलेगी। मै ठहरा डरपोक आदमी ,भगवान और आस्था मे डूबा आदमी। मैने लाइक करके हाथ जोड़ लिये और प्रतीक्षा करने लगा कि कब अच्छी खबर आयेगी। शाम को खबर भी आ गयी -चाचा मर गये। मन दुखी हो गया। घर मे रोना पीटना मच गया। फेसबुक कुछ दिन बंद रही। सारे सस्कार होने के बाद फिर एक दिन फिर एक पोस्ट दिखाई दी। लिखा था -इसे देख कर नकारे नहीं लाइक कर कमेन्ट मे लिखे -जय --------- आपको लाभ होगा। मैने एसा ही किया।धर्म और आस्था मे डूबा डरपोक आदमी। लाइक कर कमेन्ट मे लिख दिया जय ------ और सोचने लगा कि अब तो कुघ लाभ होगा। यह तो सच है कि छप्पर फाड़ कर सोना अगर फ़ोकट मे ही मिल जाये तो कौन इसे नकारेगा। उस रात अच्छी नीद आई। दूसरे दिन सवेरे ऑफिस पहुंचा तो चपरासी ने एक पात्र पकड़ा दिया। पत्र क्या था पूरा बेम था उसने मुझे हिला कर रख दिया। वो एक ट्रांसफर लेटर था। ट्रांसफर भी एसी जगह जहाँ कोई जाना पसंद नहीं करता था। पत्र देख कर मन ख़राब को गया। दोस्तों ने मातम मनाया तो घर मे चिल्ल्पों मच गयी। खैर साहब सरकारी नौकरी थी सो मन मार कर जाना पड़ा। तैयारी और जाने मे कुछ दिन और बीत गये। फिर एक दिन समय मिला तो फिर एक पोस्ट सामने थी। लिखा था -इसे देख कर इग्नोर ना करे लाइक कर कमेन्ट मे जय--------- लिखे और शेयर करे। आपके सारे बिगड़े काम बनेगे। काम तो सब बिगड़े हुए थे शायद मेरी आस्था मे कोई कमी रहा गयी हो। मै डरपोक और धर्म से घबराने वाली आदमी। मैने वही किया जैसा कहा गया था। लाइक कर कमेन्ट मे लिख दिया जय-------- और शेयर भी कर दिया। मन को तसल्ली भी दे दी कि -अब बिगड़े काम बनेगे। रात मै सीढ़ियों से गिर पड़ा। मेरी हड्डी पसली टूट गयी। भाई लोगो ने अस्पताल मे जमा कराया। हाथ पैरों मे प्लास्टर चढ़ गया।, एक टाँग लटका दी गयी और कहा कि अब एक महीने तक ऐसे ही पड़े रहो। लोटा वाले काम भी यही पर। दोस्तों मैरी हालत ख़राब है लेकिन फेस बुक का मोह खत्म नहीं हो रहा है। कुछ दिन बाद फिर मेरे सामने एक पोस्ट थी लिखा था - दुर्लभ दर्शन-देख कर लाइक करे और --------- अचानक हड्डिया दर्द करने लगी। क्रोध से मुंह लाल हो गया।कुछ लोगो ने तो भगवान और आस्था के नाम पर मजाक का खेल बन लिया है ।शायद उन्हे भी नहीं पता कि वे जो कुछ भी कर रहे है उसकी सच्चाई कितनी है।लेकिन मै क्या कर सकता था।मै तो पूरी तरह से मजबूर था। कौन मैरी बात मानेगा बल्कि मुझे ही पागल और सिरफिरा कहेगे। अतः मैने निर्णय लिया जो मुझे पहले ही ले लेना चाहिए था। मैने मन के डर को निकाला और पोस्ट को छोड़ कर आगे बढ़ गया।

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