त्रिपुरा की यात्रा आलेख विकास गुप्ता
-- विकास गुप्ता
संपादन- विजय राघव आचार्य
त्रिपुरा की यात्रा .....
यात्रा का विषय हो और मन में प्रसन्नता ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता है । और जब यात्रा किसी नये स्थान पर हो । यात्रा करना मुझे बहुत पसंद है इसलिए जब भी कोई विशेष मौका मिलता है तो मैं ऐसे किसी भी मौके को छोड़ता नहीं हूँ । इसी तरह इस बार मुझे पूर्वोत्तर भारत में स्थित त्रिपुरा जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । गुवाहाटी से अगरतला तक रेल, बस और हवाई यात्रा कि सुविधा हैं ।अगरतला एक समतल भूमि वाला राज्य है इसकी चारों तरफ पहाड़ी राज्य इसकी सिमांए असम, मिजोरम और बांग्लादेश से लगी हुई है ।मैंने अपनी त्रिपुरा की यात्रा गुवाहाटी से अगरतला तक रेल के द्वारा की इसमें गुवाहाटी से लामडिंग जंक्सन फिर वहां से रूट विभाजन हो जाती है एक रूट डिब्रुगढ चली जाती है और दुसरी अगरतला कि ओर । लामडिंग से अगरतला के बिच रेल कुल पहाड़ी रास्तों से होकर गुजरती है इसमें 25 से 30 गुफाएँ भी देखने को मिलती है । इसमें 4 से 5 गुफाएँ 3.5 किलोमीटर जैसी लम्बी बनी हुई है जिसके भीतर से होकर रेल गुजरती है। बरसातों में भूस्खलन अधिक होने की संभावना भी यहाँ अधिक बनी रहती है । चारो तरफ पहाड़ी ही देखने को मिलता है कहा जाता है कि एशिया में सबसे खतरनाक रूट में से एक रूट यह भी है ।अगरतला एक बहुत ही सुंदर एवं स्वच्छ राज्य है । अगरतला रेलवे स्टेशन से अगरतला शहर कुल 2 किलोमीटर की दूरी पर है । वहां पहुँचने के बाद मुझे मेरे वही के एक साथी से पता चला कि अगरतला शहर में ही प्रसिद्ध राजा का महल है जो कि अगरतला शहर में ही है । इसे उज्जयंत पेलेस के नाम से जाना जाता है यह एक राज्य संग्रहालय भी है । यह सन् 1901 में बनी थी इसे महाराज राधा किशोर मानिक्य ने बनवाया था जो कि वहाँ के रायल परिवार से थे । और बाद में सन् 1970 में इसे राज्य संग्रहालय बनाया गया जिसमें पूर्वोत्तर भारत कि सभी राज्यों की झलक वहां देखने को मिलती है । इसमें पूर्वोत्तर भारत से संबंधित यहाँ कि कला,संस्कृति, नृत्य,भू: भाग, आदि सभी चिजों को दिखाया गया है जिससे हमें पुरानी संस्कृति , सभ्यता का ज्ञात होता है । इसके बाद त्रिपुरा राज्य जो कि विशेषकर माँ त्रिपुरेश्वरी मंदिर के लिए विश्वविख्यात है, यह एक शक्तिपीठ है हमने अगरतला से बस के द्वारा यात्रा किया और मंदिर में पहुँचे । पौराणिक कथा के अनुसार, इस स्थान पर माता सती के सीधे पैर के अंगुलियों के निशान आज भी मौजूद है। यह मंदिर राज्य के प्रमुख पयर्टन स्थलों में से एक है। हजारों की संख्या में भक्त प्रतिदिन मंदिर में माता के दर्शनों के लिए आते हैं। इस मंदिर का निर्माण महाराजा धन्य माणिक्य के शासनकाल में 1501 ई. के दौरान करवाया गया था। यह मंदिर भारत के 51शक्तिपिठों में से एक है।दिवाली के दौरान माता त्रिपुरा सुंदरी मंदिर में भव्य स्तर पर दीवाली मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या लोग इस मेले में सम्मिलित होते हैं। राजमाला के अनुसार, मंदिर का निर्माण करने के पश्चात् मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित की गई थी। लेकिन एक रात महाराजा धन्य माणिक्य के सपने में महामाया आई और उससे कहा कि वह उनकी मूर्ति को चित्तौंग से इस स्थान पर रख दें। इसके बाद माता त्रिपुरा सुंदरी की स्थापना इस मंदिर में कर दी गई।यह मंदिर अगरतला जो कि त्रिपुरा की राजधानी है वहां से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर उदयपुर में स्थित है । हमने यहाँ भी माँ का दर्शन किया और आशीर्वाद लेकर अपने स्थान पर पहुँच गए ।मुझे अगरतला कि यात्रा कर ऐसा लगता है कि आप सभी को भी एक बार यहाँ आना चाहिए और यहाँ बसी भारतीय संस्कृति को देखना चाहिए
गुवाहाटी .,30.9.2019
आलेख ....विकास गुप्ता

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