पहलवान के किससे- महंगाई की मार

गुल्लू की अम्मा बहुत गुस्से में थी बार-बार चिल्ला रही थी। पहलवान मुंह लटकाए खड़ा था और गुल्लू की अम्मा उसे  खूब  सुना रही थी। यहीं कि -  क्या कर रहे हैं तुम्हारे मोदी जी बहुत मोदी मोदी चिल्लाते थे  देखो कितनी महंगाई बढ़ गई है। सब्जी के भावआसमान की ओर जा रही है रोज सब्जी वाले से  झगड़ा होता है ।वह कहता है मैं क्या करूं मोदी जी कुछ कर नहीं रहे। मैं पहले  डेढ़ सौ किलो सब्जी लाता था और अब  50 किलो भी नहीं बिक रही है आखिर हमारा भी पेट है बहन जी। हमें भी भूख लगती है और हमारे बच्चों को भी भूख लगती है। बताइए हम क्या करें ।जब मंडी में हीं महंगाई है तो हम आपको कैसे  सस्ती दे पाएंगे  फिर भी हम थोड़ा ही मुनाफा लेते हैं क्योंकि हमें भी अपने परिवार की देखभाल करनी है। 
     पहलवान चुप खड़ा था और कुछ कहना चाहा रहा था लेकिन गुल्लू की अम्मा रुक नहीं रही थी लगातार बोल रही थी कि मोदी जी तो कह रहै थे अच्छे दिन आएंगे । बताओ ऐसे ही अच्छे दिन आएंगे । ऊपर से करोना ने तो और परेशान कर डाला। करोना की आड़ में जिसे देखो वही अपने नुकसान का रोना रो रहा है और सारी भरपाई आम जनता से करना चाहता है। सारी चीजों के भाव  आसमान की ओर जा रहे हैं और मोदी  जी छिपकली की तरह अपना मुंह बंद करके अपनी दाढ़ी  बढ़ा रहे है ।क्यों नहीं बताते  यह अच्छे दिन कब आएंगे।। तुम तो मोदी भक्त हो और मोदी को ही वोट दोगे फिर क्यों नहीं बताते की मोदी जी अपने अच्छे दिन क्या ऐसे ही लाएंगे।
     पहलवान ऐसे ही मुंह लटकाए खड़ा रहा और गुल्लू की अम्मा ने एलान कर दिया अब ना तो घर में सब्जी  बनेगी और ना ही दाल । या तो बजट बढ़ाओ नहीं तो जानवरों की तरह नमकीन रोटी खाओ बस।
    गर्मी बहुत ज्यादा थी और काले बादलों का दूर-दूर तक पता नहीं था ।अखबार में निकला था कि इस हफ्ते बरसात होगी। कल थोड़ी देर पानी बरसा भी  था पर उससे और ज्यादा गर्मी बढ़  गई थी। पहलवान का दिमाग  भी गरम हो गया था इसलिए बैठक में गपशप करने के दौरान उसने  सारी बातें बताते हुए  पूछा-  चचे  एक बात बताओ क्या सचमुच अच्छे दिन आएंगे।
 जवाब छंगू  बाबू ने दिया  बोले  -  भैया अब अच्छे दिनों को तो भूल जाओ अच्छे दिन अब कभी नहीं आएंगे कम से कम इस सरकार के रहते तो कभी नहीं। 
पहलवान बोला -भाई साहब ऐसा क्यों कह रहे हो। सरकार तो अच्छा काम कर रही है ।नए-नए कानून ला रही है और कोशिश कर रही है कि अच्छे दिन आ जाए। छंगू बाबू बोले -भाई साहब इस भ्रम में मत रहिएगा।मोदी सरकार तो केवल अपने   विरोधियों को परास्त करने और सत्ता पर अपनी पकड़ बनाने के लिए काम कर रही है ।
पहलवान बोला -भाई साहब आप ऐसा कैसे कह सकते हैं ।आपने देखा नहीं कि मोदी सरकार ने राम मंदिर निर्माण की ओर कदम बढ़ा दिया कश्मीर में धारा 370 खत्म कर दी और पाकिस्तान चीन को अच्छी खासी चुनौती दे रहे हैं ।
छंगू बाबू बोले -भाई साहब यह सब तो ठीक है लेकिन अच्छे दिनों के लिए यह काफी नहीं है ।अच्छे दिनों के लिए महंगाई कम होनी चाहिए बेईमान और भ्रष्टाचार कम होना चाहिए बेरोजगारी कम होनी चाहिए तभी तो अच्छे दिन आएंगे।
पहलवान बोला -अच्छा अच्छा यह सब छोडो ।मुझे यह बताइए की किसान आंदोलन क्यों कर रहे हैं । जब मोदी जी ने कहा कि हम ऐसा कृषि विवेक विधेयक लेकर आए हैं जिसस किसानों की आए दुगनी हो जाएगी तो फिर ऐसा क्यों हो रहा है ।
मैंने कहा- भैया जरा दिमाग लगाओ थोड़ी देर में सब समझ में आ जाएगा ।तुमने देखा नहीं.... नोटबंदी के लिए भी मोदी जी ने बड़ी-बड़ी बातें कही थी कि  देश में सारा काला व्यापार बंद हो जाएगा और बेईमान भ्रष्टाचार करने वाले लोगों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी मगर हुआ क्या ....यह तो तुमने देख लिया ...  अब कृषि विधेयक को देख लो इससे किसानों की दुगनी आय कैसे होगी ये तो हमे नहीं पता लेकिन भविष्य में जरूर पता चल जाएगा कि यह विधायक किसानों की लिए कितना लाभकारी होगा परन्तु  इस विधेयक के माध्यम से उन्होंने अपने दो विरोधियों को जोर का झटका जरूर दे दिया ।
पहलवान बोला क्या मतबल ।
छंगू बाबू बोले -अरे वही शरद पवार और सुखबीर सिंह बादल वाली बात । कहते हैं की दोनों को  करोड़ों रुपए का नुकसान होगा  और मंडी में उनकी दादागिरी भी  ख़तम हो जाएगी ।
पहलवान बोला -कैसे । 
मैंने कहा यह तो मुझे मालूम नहीं मैंने तो सोशल मीडिया में यह खबर देखी है ।
 पहलवान बोला -चचे लेकिन किसानों को क्यों भरोसा नहीं और वे  आंदोलन क्यों कर रहे हैं।
 मैंने कहा - यह सब राजनीतिक बातें हैं और वैसे भी कोई सुधार और व्यवस्था इतनी आसानी से नहीं बदलती ।किसानों को तो ठीक से कुछ भी नहीं मालूम वे तो बस भेड़ बकरी की तरह सड़क पर आ गए है ।
पहलवान को  इस बारे में और कुछ ज्यादा जानने को उत्सुकता थी और उसने कुछ कहना भी चाहा लेकिन बात   शिवसेना पर आ गई ।
पहलवान बोला- चचे एक बात बताओ कि पहले सुशांत मर्डर केस फिर सीबीआई फिर रिया चक्रवर्ती उसके बाद कंगना रावत और इसके बाद आदित्य ठाकरे और अब फडणवीस और राउत की मुलाकात  के बाद बात शिवसेना और भाजपा के मिलन पर आ गई है ।
मीडिया बता रहा है की उद्धव सरकार गिर सकती है और फिर भाजपा सत्ता के घोड़े पर सवार होगी।यानी  शिवसेना उसके साथ होगी ।समझ में नहीं आ रहा यह चक्कर क्या है। 
मेने  कहा -भैया सब सत्ता का खेल है।शिवसेना कांग्रेश और शरद पवार से समझौता कर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर उद्धव ठाकरे को जरूर बैठा पाई लेकिन चलती तो शरद पवार की है और जब भाजपा ने अपना चक्कर चलाया तो उद्धव ठाकरे उलटे हो गए। अब उद्धव ठाकरे तो नए बांगोर और शरद पवार पुराने  खिलाड़ी सो शिवसेना कुछ नहीं कर पा रही है  । उधर भाजपा ने ऐसा दांव खेला की   उद्धव ठाकरे असमंजस में पड़ गए । अपनी शिवसेना को बचाने और अपनी शर्मिंदगी को छुपाने के लिए अपने खास आदमी को भाजपा के पास भेज कर  लगभग आत्मा समर्पण कर दिया ।
 पहलवान बोला -तो इसका मतलब ये  सरकार नहीं चल पाएगी। 
मैंने कहा - यह तो सरकार बनते ही तय हो गया था कि यह सरकार चलने योग्य नहीं है और वैसे भी साझे   की हड़िया बीच चौराहे पर फूटती  है ।अपना हश्र देखकर शिवसेना आखिर बैकफुट पर आ ही गई है ।
इस पर  पहलवान और कुछ कहना चाहता था लेकिन तभी हमेशा की तरह छुट्टन चाय और नाश्ते की ट्रे लेकर आ गया । गपशप बंद हो गई और सब का ध्यान ट्रे पर चला गया ।
छुट्टन बोला -आज कल्लू  हलवाई के यहां से  गरम गरम समोसे और रसगुल्ले ले कर आया हूं खाइएगा मजा आ जाएगा।
ट्रे में रखे समोसे और रसगुल्लों की महक से सारा कमरा महक  उठा ।अब रसगुल्ले समोसे के आगे कौन गपशप करता है।सभी खाने पीने में लग गए ।देश की सारी समस्याएं रसगुल्लों  के रस में डूब गई ।

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