पहलवान के किस्से - कोरोना की मार

आज छंगू  बाबू का मुंह लटका हुआ था उनके किसी परम मित्र का कोरोना वायरस के  चलते अचानक मृत्यु हो गई थी।वे उनको   बहुत  याद कर रहे थे। पहलवान के चेहरे पर भी विषाद  था। उसके मन में भी  कई सवाल थे लेकिन छंगू  बाबू का लटका  चेहरा देखकर वह कुछ भी कहने में संकोच कर रहा था ।मैं भी चुप था मैं भी कुछ कहना चाहता था लेकिन छंगू बाबू की दशा देखकर मैंने भी कुछ नहीं कहा ।बैठक में एक अजीब सी शांति छाई हुई थी और हम सब कुछ कहना चाहते थे मगर कुछ कह नहीं पा रहे थे। फिर छंगू  बाबू ने हीं बात शुरू की।
भाई साहब क्या बताएं इस करोना ने  तो हमें बहुत डरा दिया है कभी इस डर से मुक्त होना भी  चाहते हैं तो ऐसी कुछ घटनाएं आसपास की घट जाती है कि हम और ज्यादा डर जाते  है। देखिए हमारा यह मित्र बहुत सक्रिय था। समाज सेवा और लोगों की सहायता करने में हमेशा आगे रहता था ।और अभी उम्र ही क्या थी एक दिन  अचानक पता चला कि करोना के चक्कर में आ गया और फिर भगवान के पास चला गया।भगवान की कृपा से कोई कमी नही थी लेकिन  दौलत किसी काम  नही आयी।
उदास पहलवान ने कहा- चचे  इस करोना  ने तो हमारी जिंदगी ही बदल दी है । जीवन की जो थोड़ी बहुत खुशियां थी वह भी खत्म हो गई है। नातेदार और रिश्तेदारों से मिलना जुलना होता था वो भी खत्म हो गया ।पास पड़ोसी भी डर के मारे नहीं आते । जिंदगी में प्रसन्नता के जो कुछ भी थोड़े बहुत क्षण थे   वह भी खत्म ही हो गए। ना कहीं जाना होता है ना किसी का आना होता है बस घर में कैद होकर रह गए। बाजार भी जाते हैं तो मजबूरी में जाते  है । डर लगता है कि कहीं करोना ना  पकड़ ले।
छंगू  बाबू बोले  भय्ये तुम ठीक कहते हो ।तीज त्यौहार मानना मंदिर जाना घूमने फिरने जाना मित्रों से मिलना सब कुछ टूट सा गया है ।डर लगता है बहुत डर लगता है।
मैंने कहा - हां यह सब तो ठीक  है लेकिन मुझे उन लोगों पर बड़ा क्रोध आता है जो चिल्ला चिल्ला कर फेसबुक पर लिखते हैं और वीडियो बना कर कहते हैं कि यह सब  मेडिकल माफिया का षड्यंत्र है और यह करोना कुछ नहीं केवल मामूली फ्लू  है और यह भी कहते हैं कि  मास्क पहनने से कुछ नहीं होगा बस फ्लू 
 की दवाइयां खाओ और ठीक हो जाओगे।
पहलवान बोला चचे - गुल्लू की अम्मा भी यही कहती है की अगर इन लोगों की बात मानकर जरा भी लापरवाही की तो समझ लो अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा ।इनका क्या यह तो बकवास करते रहते हैं और ऐसे लोग लोगों की दुनिया में कमी नहीं है। हमें तो अपनी सरकार की सलाह माननी है की दो गज की दूरी और चेहरे पर मास्क यानी सावधानी जरूरी है ।
छंगू बाबू बोले -गुल्लू की अम्मा ठीक कहती है हमें पूरी सावधानी बरतनी चाहिए और किसी प्रकार की दिलाई नहीं करनी चाहिए जब तक सरकार ना कहै  हमें फालतू बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।
पहलवान बोला- चचे मैं बाजार गया था वहां एक लाल टोपी वाला नेता बोल रहा था मोदी जी कुछ नहीं कर रहे है ।देश में करोना बढ़ता जा रहा है और मोदी जी अपने घूमने फिरने में लगे हुए हैं।
मैंने कहा- मोदी जी क्या करेंगे। मोदी जी ने तो पहले ही कह दिया  कि अब हमें करोना के साथ जीना सीख लेना चाहिए लेकिन सावधानी बरतनी चाहिए। उन्होंने तो सबसे कहा है कि जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई  नहीं
छंगू  बाबू भोले -भय्ये अब मोदी जी ने तो सारे रास्ते बता दिए ।अब भाई लोग मास्क नहीं पहनेंगे दूरी   नहीं बनाएंगे और भीड़ में सावधानी नहीं रखेंगे तो मोदी जी क्या कर लेंगे ।मोदी जी का जो काम था वह उन्होंने कर दिया ।आब तो यह भाई लोगों की मर्जी है अगर वह मास्क नहीं पहनते दूरी बनाकर नहीं रखते  तो झेले करोना  कि टक्कर मोदी जी थोड़ी आएंगे  उनके मास्क बांधने उन्हें बचाने । क्या उनके पास और कोई काम नहीं है।
पहलवान बोला -अच्छा छोड़ो इस बात को । चचे यह बताओ आखिर इस साले चीन को क्या सूझी  जो उसने सारी दुनिया में वायरस फैला दिया ।आखिर उसकी मंशा क्या थी  ।वह क्या चाहता था।
छंगू  बाबू बोले भइये हर  युग में हर काल  में शैतानी ताकत होती रही  है। चीन भी एक शैतानी ताकत है और यह कहने की जरूरत नहीं कि  शैतानी दिमाग हमेशा दुनिया को समाज को बर्बाद करने की बातें सोचा करता है। अब यह तो पता नहीं चीन  की मंशा क्या थी लेकिन उसने जो कुछ भी किया उससे सारी दुनिया नाराज है  और अब उसे ठिकाने लगाने की सोच रही है।
पहलवान बोला-  तो क्या चीन को सारी दुनिया के देश सबक सिखाएंगे 
छंगू बाबू बोले-  क्यों नहीं जिस प्रकार से हिंदुस्तान चीन पर विश्वास नहीं करता उसी प्रकार से अब सारी दुनिया के देश उस पर विश्वास करना छोड़ देंगे। चीन ने खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है और अगर ऐसी हरकतें करता रहा तो  उस की बर्बादी निश्चित है ।
पहलवान बोला -चचे  एक बात बताओ अब नवरात्रि चल रहे हैं और उसके बाद दीपावली आएगी और उसके बाद और बहुत सारे त्यौहर आएंगे तो क्या लोग  चीन का सामान खरीदेंगे। छंगू बाबू - बोले क्यों नहीं खरीदेंगे अगर व्यापारी बेचेंगे तो लोग खरीदेंगे क्योंकि हमारे देश में देश हित की बात सोचना मुश्किल है जहां तक देखा जाए  लोग अपने निहित स्वार्थ को ही आगे रखते हैं अगर व्यापारी नहीं बेचेंगे तो चीन का सामान किसी हालत में नहीं बिक  सकता और यह सब व्यापारियों की ऊपर निर्भर  है। वैसे भी हमारे देश मे करोड़ो लोग ऐसे है जिन्हें यही पता नही की आखिर देश मे चल क्या रहा है ।
पहलवान बोला - लेकिन सरकार क्यों नहीं इस पर रोक लगा देती जैसे बहुत सारी चीजों पर रोक लगा दी है ।या फिर मोदी जी जनता से अपील करें की वह चीन का सामान नहीं खरीदें ।
छंगू बाबू बोले यही तो समस्या है अंतरराष्ट्रीय नियमों के चलते सरकार ऐसा नहीं कर सकती है  क्योंकि हमें भी अपने देश का समान  विदेशों में बेचना है और हम अंतरराष्ट्रीय कानून को मान्यता देते हैं ।
पहलवान बोला -इसका मतलब तो यही है कि हमारी  जनता को ही यह तय करना होगा  कि उसे क्या करना है।
 मैंने कहा -बिल्कुल जनता को ही यह सब तय करना है लेकिन में सौच रहा हूँ कि  हमारे देश ने  देश में तमाम सेनाएं  आर्मी और संगठन बने हुए हैं जो बात बात पर हंगामा करने के लिए तैयार रहते हैं। ऐसे मौके पर कहां गायब हो जाते हैं। क्यों नहीं आवाज उठाते क्यों नहीं जनता के बीच में आकर कहते कि चीन का  सामान बिकने नहीं दिया जाएगा वरना...…
छंगू बाबा बोके  -भाई साहब यह सब धंधेबाज है ।इन्हें देशहित और समाज से कोई लेना-देना नहीं। यह तो सिर्फ अपने मतलब को देखते हैं और अपने मतलब के हिसाब से काम करते हैं। इनसे आप अपेक्षा कर रहे हैं।सारी दुनिया जानती है इनका हिसाब किताब ।
इस पर  पहलवान कुछ कहना चाहता था कि  हमेशा की तरह छुट्टन प्रकट हुआ ।उसकी ट्रे में  गरम गरम छोले भटूरे  की सुगंध  उठ रही थी। सबका ध्यान भंग हो गया और पहलवान की तो लार  ही टपकने लगी। छुट्टन बोला अरे छोड़िए इन सब बातों को और खाइए एकदम गरम छोले भटूरे। चौराहे की प्रसिद्ध ठेल से लेकर आया हूं ।और हां कोई डरने की आवश्यकता नहीं है। आराम से खाइए ,बेफिक्री से खाइए किसी बात की फिकर मत कीजिए क्योंकि यह छुट्टन  लेकर आया है
अब छोले भटूरे देखकर सभी के मुंह  ने पानी आ  गया । पहलवान तो धीरज नहीं रख पाया और उसने लपक कर अपनी प्लेट उठाई और खाने में लग गया। छंगू  बाबू ने भी ज्यादा प्रतिक्षा नहीं की और वह भी उसे खाने में लग गए ।मुझे भी छोले भटूरे देखकर अपने आप को रोके रखना  मुश्किल हो गया क्योंकि छोले भटूरे तो हम सबकी पहली पसंद थी ।
 और कहना ना होगा की छोले भटूरे के स्वाद   में करोना के  डर की बाते न जाने कहां चली गई।


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