डमरू दशहरी लाल

डमरू दशहरी लाल 

उस दिन दशहरा था और मेँ अस्प्ताल के  दरवाजे पर खड़ा था ।सारा शहर उत्सव में डूबा हुआ था और में परेशान था।अंदर एक ऑपरेशन  कि तैयारी चल रहीं थी जिसके कारण हम बेहड़ चिन्तित थे आज हम सवेरे से ही भाग दौड़ कर रहे थे ।
सवेरे सवेर डॉक्टर के यहां जाना पड़ा।अम्मा ने कहा गुड़िया की तबियत खराब है इसे तुरंत डॉक्टर के पास के चलो ।डॉक्टर खंम्बाटा हमारे घर से 5 किलो मीटर दूरी पर रहती थी हमने ऑटो किया और अम्मा को साथ बैठ दिया ।उस दिन हमेशा की तरह बृजेश मेरे साथ था ।हमने अपना स्कूटर निकाला और पीछे पीछे चल दिये 

खंबाटा ने प्रीति को देखते ही  कहा -मामला गंभीर है ।तुरत ऑपरेशन करना पड़ेगा ।उस समय सवेरे के 10 बज रहे थे ।डॉक्टर घरेलू ड्रेस में थी उसी अवस्था  मे उसने अपनी गाड़ी निकली ओर प्रीति को अपने साथ लेकर अस्पताल चली गयी साथ मे अम्मा भी थी ।चलते चलते डॉक्टर ने कहा -आप लोग इनके कपड़े इकट्ठा करते हुए अस्पताल पहुंचो ओर किसी प्रकट की चिंता मत करो । हम लोग चिंतित तो  थे लेकिन डॉक्टर के व्यवहार ने  ने हमें बड़ा प्रभावित किया और हमें थोड़ी शांति भी मिली।
हमने अपना स्कूटर स्टार्ट किया ओर डॉक्टर ने जैसा निर्देश दिया था उसी तरह हम अपने काम मे ल ग गए  । मुझे बहुत घबराहट हो रही थी लेकिन बृजेश  के साथ ने इसे काफी हद तक कम कर दिया था ।
हमे यह काम करते हुए पूरे 30 मिनट हो  गये और  जब हम अस्प्ताल पहुंचे तो प्रीति को ऑपरेशन थियेटर में ले  जाया जा चुका था ।एक बेंच पर अम्मा चिंतित और परेशान बैठी थी ।में अम्मा से कुछ पूछना चाह रहा था तभी नर्स ने आकर एक पर्चा थमा दिया और कहा कि यह दवाएँ जल्दी लेके आइए ।
मेरी घबराहट अभी कम नहीं हुई थी और जाड़े  में भी मुझे पसीना आ गया था। बृजेश ने कहा कोई चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा। बृजेश के साथ ने मेरी हिम्मत बढ़ा दी थी।

दवा का पर्चा मेरी हाथ मैं था और इसे लेकर मै और बृजेश बाहर निकले ।हमे उम्मीद थी कि अस्प्ताल के आसपास दुकानों में मिल जाएगी । आमतौर से ऐसा ही होता है लेकिन ऐसा नही हुआ ।पता चला कि आज दवा विक्रेताओं की हड़ताल  है दूसरा आज दशहरा भी था  ।दुकानों पर मोटे मोटे ताले लगे थे ।मै चिंतित हो गया सच कहूं तो घबरा गया अगर बृजेश मेरे साथ ना होता तो पता नहीं क्या हो जाता।
वृजेश ने कहा- घबराओ मत हम लोग चलो  शहर चलते है । बृजेश ने ने स्कूटर निकाला और खुद ड्राइविंग करने लगा मेरे तो हाथ पैर ही फूल  रहे थे।
उस समय मैं न जाने क्या क्या डरावनी बातें सोच रहा था। मुझे मुझे बहुत डर लग रहा था और डरने की बहुत से कारण थे
हम लोग शहर पहुँचे तो शहर का भी बुरा हाल था ।हम  लोगो ने पूरा शहर छान मारा लेकिन दवा नही मिली ।में बुरी तरह घबरा गया ।बृजेश मुझे लगातार सांत्वना दे रहा था -भय्ये बिल्कुल चिंता मत करो सब दवा मिल जाएगी लेकिन मेरी चिंताएं फिर भी कम नही ही रही थी ।बृजेश ने कहा -चलो एक जगह और ट्राई करके देखते है ईश्वर ने चाहा तो सब काम हो जाएगा ।मैंने मन ही मन ईश्वर को याद किया और फिर कहा  चलो देखते है ।कहते है कि डूबते को तिनके का सहारा होता है ।हमारी भी वही स्थिति थी ।यह बात अलग है कि हमारा आखिरी प्रयास या कहे उम्मीद सफल हो गयी ।एक दुकान खुली मिल गयी और हमे सारी दवाएं मिल गयी

हम तेजी से अस्पताल पहुंचें पता चला ऑपरेशन चालू हो  गया ।हमने नर्स को दवाइयां सौपीं ।उसने दवाइयां ली और ऑपरेशन थियेटर में चली गयी ।अम्मा अभी भी गहरी चिंताओं में डूबी हुई थी । मैं खुद बड़ा घबरा रहा था ।हम ज्यादा वहां रुक नही पाये ।वहां से निकल कर अस्प्ताल परिसर में एक पीपल के पेड़ के नीचे खड़े हो गए । मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था । मेँ बुरी तरह कांप रहा था ।बृंजेश ने मेरा हाथ पकड़ा हुआ था और हम टकटकी बांधे अस्प्ताल की तरफ देख रहे थे ।
5मिनट बीते10 मिनट बीते 15मिनट बीते ।एक एक पल भारी पड़ रहा था ।अचानक मुझे अम्मा का  चेहरा नजर आया ।उनके चेहरे पर प्रसन्नता की लहर दिखाई दी ।उन्होंर हमे आने का इशारा किया ।हम जल्दी जल्दी पहुंचे तो उन्होंने कहा - लड़का हुआ है जच्चा बच्चा दोनों ठीक ।अम्मा के मुंह से यह सुनकर तो जैसे जादू हो गया ।अभी थोड़ी देर पहले जो स्थिति थी वो सामान्य हो गयी ।दिल खुशी से उछलने लगा ।अम्मा भी खुश थी ।बृजेश ने मेरे कन्धे पर हाथ रक्खा और मुस्कुराते हुए कहा -
भय्ये अब तो हमारी मिठाई पक्की रही ।मेने कहा ये भी कोई कहने की बात है ।उसने कहा अच्छा क्या सौच है लोंडे का नाम ?फिर खुद ही बोला मेने तो सोच लिया डमरू ।बहुत दौड़ाया है इसने।मेने कहा एसी बात है तो इसमें कुछ और जुडना चाहिए
बृजेश बोला क्या ? मेने कहा -दशहरी लाल यानी डमरू दशहरी लाल ।और फिर हम दोनों हंस पड़े ।
 यह एक छोटा सा मजाक था 
अब तो बरसो ही गये इस घटना को ।बालक बड़ा हो गया दाढ़ी मूंछ वाला ।बृजेश इस दुनियां से चले गए ।मेँ खुद  कब्र में टांग लटकाएं बैठा हूँ ।लेकिन जब भी दशहरा आता है हम गुजरी हुई बातो को जरूर याद कर लेते है और कर लेते है डमरू दशहरी लाल की बाते जो अब राजा कहलाता है ।

Comments

Popular Posts