मुझे याद रहा
राजा कई बार मुझसे कह चुका था पापा यह जो तुमने कबाड़ इकट्ठा कर रखा है इसे हटाओ क्या करना है इसका ।
मैंने कहा बेटा इनके साथ मेरी यादें जुड़ी है और इन्हें मैंने बड़ा संभाल के रखा है ।
उसने बुरा सा मुंह बनाकर कहा - क्या होगा इस कबाड़ का । अरे इन्हें छाटों ,जाड़े आने वाले हैं इन्हें जलाकर हाथ तापेंगे
मैंने कहा अरे कौन से कागज ।
बेटा भुनभुनाया अरे ये तमाम फाइलें जो तुमने बना रखी है। इनका क्या होगा।
मैंने कहा यह सब काम की चीजें है ।
उसने जवाब दिया - मैं देख रहा हूं एलआईसी की फाइलें हैं बीमा की फाइल है ।अब तुम्हें रिटायर हुए 10 साल हो गए और इन सब का भुगतान भी हो गया तो फिर इन्हें काहे को इकट्ठा करके रखा हुआ है ।और यह सर्विस के कागज यूनियन की फाइल और यह सोसाइटी की फालतू कागज इन सब को तो निकाल सकते हो । मैं देख रहा हूं 10 साल में तुमने अलमारी एक आध बार ही खोली होगी।
राजा मेरा बेटा कई बार मुझे टोक चुका है लेकिन मैं क्या करूं मुझे तो कागज संभा लने की और यादों को संजोकर रखने की आदत है। इसलिए मैं उसकी बातों को नजरअंदाज कर देता हूं और कह देता हूं हां हां मैं देखूंगा ।लेकिन इस बार उसने बडा जोर देकर कहा - तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं रहती है ।शमशान की ओर मुंह करके बैठे हो , चले गए तो इन सब का क्या होगा। मेरी तो किसी काम की नहीं। यह बात उसने इसलिए कहीं क्योंकि मैं अक्सर मरने की बात कहा करता था।
मैंने उससे कहा ठीक है जरा थोड़ी फुर्सत मिल जाए तो मैं छाटने का काम जरूर करूंगा। उसने कुछ कहा नहीं बस बुरा सा मुंह बनाकर चला गया।
मैंने भी सोचा की वह सही तो कह रहा है कि मुझे फालतू कागजों को और सामान को हटा देना चाहिए किसी दिन हिम्मत करके मैं यह काम करूंगा और जरूर करूंगा।
वह दिन भी आ गया जब मैंने हिम्मत कर अलमारी खोली और ऊपर के खाने में रखी है एक फाइल को निकाला देखूं इसमें क्या है
तभी मेरी दृष्टि एक फोटो पर पड़ी। यह बहुत पुरानी लगभग 80 साल पुरानी फोटो थी और यह फोटो मैंने श्री कुटीराम अयोध्या में अपने ननिहाल में देखी थी। इसमें अम्मा थी ,पाटी थी चित्ती थी मामा जी थे और मामी जी थी।
तब अम्मा की उम्र मुश्किल से 15 साल की रही होगी । अम्मा इस फोटो के बारे में बहुत सारी बातें बताया करती थी तब हम छोटे-छोटे थे लेकिन बड़ी उत्सुकता से उनकी बातें सुना करते थे
अब तो इनमें से दुनिया में कोई नहीं बचा है लेकिन यह तस्वीर मुझे फिर पुरानी यादों की ओर ले जाने लगी ।
मैं इस फोटो को देखता रहा और सोचा यह फोटो मेरे एल्बम में नहीं लगी है तो इसको स्कैन करके क्यों ना अपने मोबाइल में सुरक्षित कर लगा लूं , देखता रहूंगा।
मैंने ऐसा ही किया और अलमारी बंद कर दी फिर स्कैन करने में लग गया तभी बेटा फिर आ गया और कहने लगा- क्या हुआ ।
मुझे फोटो देखते बोला - समझ गया आज भेंस फिर पानी में गई ।
बड़े अजीब आदमी हो कबाड़ निकालना ही नहीं चाहते ।
मैंने कुछ कहा नहीं । चुप ही रहा ।क्या कहता बस होठों पर हल्की सी मुस्कान आ गई।

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