पहलवान और नया साल मुबारक

 सवेरे सवेरे दरवाजे की घंटी बस्ती बजते ही समझ गया पहलवान आ गया है।पहली जनवरी की ठंड से भरी सुबह थी और  मैं रजाई में घुसा हुआ कंपकपा  रहा था  धूप  का दुर तक कोई पता नहीं था और घना  गहरा कोहरा छाया हुआ था। पहलवान की चाची ने गरम पानी की बोतल देते हुए कहा. रजाई में घुसे रहो बाहर बहुत ठंड है धूप के कोई आसार नजर नहीं आते हैं।
फिर  दरवाजे की घंटी बजते ही बोली. तुम लेटे रहो मैं देखती हूं । थोड़ी देर बाद मैंने देखा पहलवान फुल टाइट होकर मेरे  बैठा था ।मैं रजाई से मुंह  निकाल कर कुछ कहना चाहता था तभी  कंबल ओढ़े  छ गू   बाबू भी आ पहुंचे। उन्हें देख मैं चौका । छ गू  बोले  .. भाई साहब आज नया साल है ..क्या रजाई में ऐसे ही बैठे रहोगे ।पहलवान बोला... चचे नया  साल मुबारक हो  । 
मैंने रजाई से मुंह  निकाला और कहा.. कैसा नया सालभैयहिंदू  साल तो बाद में आता है । यह तुम अंग्रेजों का नया साल है हम हिन्दुओं का साल नहीं ।
 पहलवान बोला चचे आज  कैसी बातें करने लगे हो ।अब हिंदू पंचांग की बात पहले तो कभी नहीं करते थे ।हमने देखा नहीं.. कैसे घोर ठंड में मस्ती किया करते थे।मैंने कहा..भईय वो जमाने और थे  जब फन्ने खां तीतर उड़ाया करते थे । तब जवानी थी सोशल मीडिया नहीं था कोई बताने वाला नहीं था कि हमारा साल कुछ अलग होता है ..सो जैसा समझ ने आता था कर लिया करते थे ।अब  तो शोशल मीडिया पर    जम  कर ज्ञान पेलने वाले फेसबुकिए खूब ज्ञान पेलते है तो ज्ञान मिल गया ।चांगु  बाबू बोले कैसा ज्ञान और कैसा  अलग साल । मैंने कहा .. भाईये मुझे बताओ क्या बदला है ...मौसम जो ज्यों का त्यों का त्यों है और फूलों का रंग भी वही है तो जब प्रकृति ही नहीं बदली तो कैसा साल बदला ।पहलवान बोला .. चचे यह अंग्रेजों का साल है और सारी दुनिया इस दिन  कैलेंडर बदलती है यही नहीं इस बदलाव का उत्सव भी मनाती है सो उत्सव  मनाने हम भी आए हैं ।
मैंने कहा ..भैया ठीक है कैलेंडर हम भी बदल लेंगे मगर मुबारक किस बात की।
 पहलवान बोला ...यही मान लो की कैलेंडर बदलने की मुबारक ।
मैंने कहा ...मैं नहीं मानता ।
चांगु बाबू बोले ...भाई साहब कैसी बातें करते हो अब तो सारी दुनिया एक है और हम सब सारी दुनिया से जुड़े हुए हैं ।वो जमाना गया ...जब लोग काशी जाते थे तो हाय तोब मचाती थी कि पता नहीं  लौटकर आएंगे या नहीं । अब तो लोग समुद्र पार करके भी हंसी खुशी लौट आते हैं ।
पहलवान बोला.. चचे पुराने जमाने में तो लोग चुटिया रखते थे संस्कृत हमारी भाषा थी  धोती कुर्ता पहनते थे बाहर का खाना नहीं खाते थे लेकिन बताओ तुम  क्यों नहीं संस्कृत बोलते क्यों नहीं चुटिया रखते हैं क्यों नहीं धोती कुर्ता पहनते हैं क्यों अंग्रेजी स्कूल में पढ़े ।
चांगु बाबू बोले ..भैया यहां तो मतलब का संसार है जो फायदे का हो उसे अपना लिया जाता है और जिससे मतलब  ना निकले  उस पर महात्मा बन  जाते है ।अब चूंकि  ठंड पड़ रही है ..भाई साहब का मन नहीं है तो हिंदू पंचांग की बात कर रहे हैं वरना हमने देखा नहीं है नए साल पर केसा  उधम मचाते थे । 
मैंने कहा... लगता है तुम मानोगे नहीं ।
पहलवान बोला ..चचे सवाल जी नहीं उठता ।
 तब मैंने एक बात कही.. ठीक है तुम लोग नया साल मुबारक कहना चाहते हो तो कहो लेकिन भैया ऐसे ही ....सुखी सुखी मुबारक ...कुछ माल वाल लेकर आते तो कुछ जश्न बनता ।कुछ मजा आता ।
पहलवान बोला ...चचे हमें मालूम था कि तुम आखिर में यही कहोगे और हम इसके लिए पूरी तरह तैयार होकर आए हैं हैं.। 
चंगू बाबू भी पहलवान की बात पर मुस्कुराए।
 मैंने झांक कर इधर उधर  देखा ...मैं इस पर कुछ कहना चाहता था कि तभी हमेशा कि तरह छुट्टन प्रगट हुआ और बोला ...अंकल फटाफट उठ जाइए.. चौराहे से कल्लू हलवाई के यहां से बेडई और जलेबी लेकर आया हूं... एकदम गरमा गरम जो आपको बहुत पसंद है ।बेडई का नाम सुनकर ही मेरे मुंह में पानी आ गया। 
 मैंने कहा वाह क्या बात है ।
 लेकिन मुझे विश्वाश था कि यह पहलवान का आइडिया नही हो सकता शायद  चांगु बाबू का ....
इसलिए मैने पूछा ..भाइए आज तो तुमने कमल कर दिया मगर  तो बताओ की आईडिया आया  कहां से... मुझे  तो नहीं लगता कि तुम्हारे पास इतनी बढ़िया सोच है ।
पहलवान बोला ..चचे यह हमारे सिंधी भाई का आइडिया है ।उन्होंने ही बताया
 मैंने कहा ...अच्छा तू फार्मूला यहां से चला है यानी सिंधी भाई अश्वनी जी छुपे रुस्तम निकले ।
 अब  मेरी भी लाचारी थी की  बेडई को देखकर मैं पागल हो जाता हूं इसलिए  मैंने रजाई फेंकी और बेडई की दावत में शामिल होने कि तैयारी  में  लग गया ।पहलवान ने कहा ...चचे गरम-गरम काफी का भी प्रबंध है ।
तभी मैंने देखा पहलवान की चाची मुस्कुराते हुए कह रही थी ...अब उठ भी जाओ और  नए साल का जश्न मनाओ ।यह दिन रोज रोज नहीं आता ..लो गरम गरम काफी पीलो और मस्ती करो ।
मैंने देखा पहलवान और छ गू बाबू  भी डटकर  बेडई खाने कि तैयारी कर रहे थे ।
फिर क्या था डटकर बेडई खाई गई और फिर प्रसन्न चित्त होकर   कर गरम काफी का आनंद लिया गया । मैं भी आनंद को  प्राप्त हो चुका था और मैंने  फुल वॉल्यूम में कहा ...भाई लोगों नया साल मुबारक हो प्रभु आप सब पर ऐसी ही कृपा करें।
 पहलवान और छ गू  बाबू मंद मंद मुस्कुराने लगे और कहने लगे चचे  आपको भी नया साल मुबारक...
सारे विवाद ख़तम हो गए और हिंदू पंचाग की बात ना जाने कहां चली गई ।

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