दंगा रेली
आखिर वही हुआ जिसकी आशंका थी किसानों कि ट्रेक्टर रेली दंगा रेली में बदल गई ।कितनी शर्मनाक बात है कि जहां सारा देश गणतंत्र दिवस मना रहा था वहां कुछ अदृश्य शक्तियां किसानों की आड़ में दंगा फसाद की योजना बना रही थी ।ये अदृश्य शक्तियां कोन थी यह बताने की जरूरत नहीं है लेकिन यह सच है कि वे जैसा चाहते थे वैसा हो नहीं पाया जो किसानों की ट्रेक्टर रेली के माध्यम से सरकार को बदनाम करने की साज़िश कर रही थी ।
यह बात में नहीं कह रहा हूं कई दिनों से मीडिया ही कह रहा था ।किसान नेताओं को अंदाज था कि सरकार इजाजत नहीं देगी ।लेकिन सरकार ने इजाजत दे दी तो फिर शांति पूर्वक रेली निकालनी चाहिए ।लेकिन ऐसा नहीं हुआ और रेली दंगाइयों की भेट चढ गई ।
मीडिया में यह बात बार बार कहीं जा रही थी कि आंदोलनकारी किसान नहीं बल्कि वे लोग है जिन्होंने पहले भी दंगे फसाद किए है और जिनका उद्देश्य कृषि कानून नहीं बल्कि मोदी सरकार को हटाना है बदनाम करना है ।वरना ट्रेक्टर चलाने के बजाय वे लाल किले में क्यों घुस गए ।क्यों शांति भंग करने और अराजकता फैलाने का प्रयास किया ।क्या यह सोच लिया कि किले पे झंडा फहराकर सरकार पर कब्जा कर लिया ।भाई ये पुराना जमाना नहीं है कि किला फतह कर लिया तो गद्दी अपनी हो गई ....बेवकूफ
अब यह प्रश्न उठाया जा रहा है कि लाठी धुआं की जगह गोलियां क्यों नहीं चलाई गई क्या सरकार को मालूम नहीं था कि दंगाई पूरी तैयारी से आए है ।इसी बात नहीं सरकार को सारी जानकारी थी जासूस तंत्र पल पल की खबर बटोर रहा था लेकिन यह भी सोची समझी योजना थी ऐसा कहा जा सकता है इसलिए कि सरकार अन तथाकथित किसानों की असलियत सामने लाना चाहती थी और यह असलियत सामने आ गई। अब सरकार कठोर कार्यवाही करेगी तो उस पर उंगली उठाना मुश्किल है ।
वैसे तो राजनीति शतरंज का खेल है और इसमें चाल भी सोच समझ कर चली जाती है देखना हे की अब सरकार क्या कदम उठाती है ।बहरहाल देश की जनता को इस तथाकथित किसान आंदोलन से कोई सहानुभूति नहीं है और वे सरकार के कठोर कदम की प्रतीक्षा कर रहे है कि कब कठोर कदम उठाए जाएंगे
बहुत से राजनेतिक विश्लेषक मानते है कि किसान आंदोलन की आड़ में जो कुछ भी हो रहा है वह ठीक नहीं है ।सरकार की ढीली ढाली नीति देश को रास नहीं आ रही है । ऐसे आंदोलनों से जन जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है और दंगाई देश की सम्पत्ति का काफी नुकसान करते है इसलिए इस पर कठोर कार्यवाही होनी चाहिए ।देश विरोधीयों को सजा मिलनी चाहिए और सरकार की कठोर नीति सामने आनी चाहिए । बहुतों को ऐसा लगता तो है लेकिन दिख नहीं रहा है
अब वे संसद मार्च करेंगे तो क्या सरकार हाथ पर हाथ बंधे बैठी रहेगी यह देखना अभी बाकी है ।

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