बद्रीनाथ का दिल

क्या हुआ ...नींद से अचानक जागे बद्रीनाथ पार्वती का करहना  सुन कर चौंक उठे ।
बहुत दर्द हो रहा है सरा शरीर दर्द कट रहा है सिर दर्द से फटा जा रहा है... बेचैनी है... उल्टियां सी महसूस होती है ... लगता है अब नहीं बचूंगी ...एक सांस में ही सारी बाते कह गई पार्वती 
बद्रीनाथ का दिल घबराने लगा 
 अचानक क्या हो गया तुम्हें.. कुछ बाहर का तो नहीं खा लिया था
 नहीं मैंने कुछ नहीं खाया था
 तो फिर क्या हुआ तुमने सारी दवाई ले ली क्या
 हां मैंने सारी दवाएं ले ली लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ कराहती हुई पार्वती ने कहा
 तो फिर क्या करूं... किसी को बुलाओ या फोन कर दूं
बेबसी  के साथ बद्रीनाथ ने कहा 
नहीं किसी को क्या बुलाओगे.. रात के  2:00 बज रहे हैं अब सवेरे ही डॉक्टर को दिखाऊंगी
बद्रीनाथ किसी आशंका से बुरी तरह घबरा गए
क्या करूं अब इतनी शक्ति नहीं रही  कि भागा दौड़ी कर सकूं अपने शरीर को भोझ तो  उठा नहीं पाता हूं.. पार्वती को लेकर कहां जाऊं
बद्रीनाथ बूढ़े हो चुके थे और अब इतनी शक्ति नहीं बची थी कि  पार्वती को लेकर किसी डॉक्टर के पास या हॉस्पिटल के जा पाते। घर  में वे दोनों ही रहते थे । बेटा बाहर था और वह भगवान भरोसे ही जीवन बिता रहे थे
पार्वती ने कहा -तुम ऐसा करो मेरे पीठ पर बाम लगा दो शायद उससे आराम मिल जाए फिर  तुम जाकर सो जाओ अगर तुम्हारी तबीयत खराब हो गई तो कौन देखेगा
 बद्रीनाथ के चेहरे पर दर्द उठ आया 
अपनी मजबूरी पर झल्लाए भी  फिर कांपते हाथों से उन्होंने पार्वती की पीठ पर बाम लगाना शुरू कर दिया और भगवान से मन ही मन प्रार्थना करने लगे
-  ईश्वर पार्वती को ठीक कर दे कोई परेशानी ना हो प्रार्थना के  साथ-साथ वे अपने  आप को भी संभालने का प्रयास कर रहे थे 
बाम लग गया तो पार्वती ने कहा.. जाओ जाकर सो जाओ जो कष्ट होगा मैं सह लूंगी ईश्वर से प्रार्थना करो कि सब कुछ ठीक रहे 
बद्रीनाथ अपनी कमरे में जाकर लेट हो गए लेकिन पार्वती की दशा बार-बार उनकी आंखों के सामने आ रही थी ।उनके सामने भगवान से प्रार्थना करने के अलावा और कोई चारा नहीं था।और फिर  प्रार्थना करते करते कब आंख  लग गई पता  ही नहीं चला
 अचानक किसी ने  जगाया
 चोंक कर तो देख सामने पार्वती खड़ी थी। सवेरा हो चुका था और आंगन में रोशनी दिखाएं दे  रही थी
क्या हुआ.... बद्रीनाथ में घबराकर कर पूछा 
कुछ नहीं मैं ठीक हूं... तुम चाय पियोगे हमेशा की तरह पार्वती ने पूछा
पार्वती का मुस्कुराता चेहरा देखकर बद्रीनाथ की सांस में सांस आई ऐसा  लगा जैसे दिल में रखा भारी पत्थर का बोझ  उठ गया
हां चाय पी लूंगा और  फिर एक गहरी नींद लूंग
बद्रीनाथ का  धड़कता दिल सामान्य हो गया और  उनका जी हल्का होने लगा  ।
बूढ़े जीवन को  जैसे सांत्वना मिल गई थी।

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