सर्किट हाउस में
आइजोल से चलने से पहले हमने होटल छोड़ दिया था । डाइट में समारोह ग्यारह बजे शुरू होना था । इससे पहले हम लोग जल्दी उठकर नहा धो लिए थे और हल्का नाश्ता भी कर लिया था। गिरी रात ही शिलांग से गाड़ी लेकर आ गया था और रात होटल में ही ठहरा था ।हमारी सारी पैकिंग हो चुकी थी और होटल का सारा भुगतान कर हम नीचे सड़क पर आ गए थे जहां पर गाड़ी पार्किंग कर खड़ी हुई थी ।डाइट पहुंचने में हमें ज्यादा वक्त नहीं लगा और हम ठीक समय पर वहां पहुंच गए ।समापन समारोह की कुछ तैयारी करनी थी जिसमें हम लोगों ने विजेंद्र सिंह की सहायता की।
समारोह ठीक समय पर आरंभ हुआ और लगभग 2:00 बजे समाप्त हो गया इसके बाद कुछ खाने पीने की व्यवस्था थी और विजेंद्र सिंह को कुछ औपचारिकताएं पूरी करनी थी। प्रीति के यहां बहुत सारे दोस्त बन गए थे वे प्रीति के साथ फोटो खिंचाने व्हाट्सएप नंबर लेने और फेसबुक में फ्रेंडशिप करने में लग गया। मैं कार में आकर बैठ गया और उन लोगों की प्रतीक्षा करने लगा।
कुछ समय बाद सारे काम निपटा कर बे बी कार में बैठ गए और हमारी यात्रा आरंभ हो गई ।
आइजोल में रहते हुए हमें लगभग 15 दिन हो गए थे और वहां की सड़कों से वहां के दृश्यों से अच्छी तरह परिचित भी हो गए थे लेकिन फिर भी कार की खिड़की से बाहर और वहां की दृश्यों को देखना हमें अच्छा लग रहा था और हम इसे अपने मन मस्तिष्क में बैठा लेना चाहते थे।
यात्रा सामान्य गति से चल रही थी और शीघ्र ही हम आईजोल की सीमा से बाहर होकर जंगल के रास्ते से गुजरने लगे ।यह सारे दृश्य हम लोगों ने आते समय भी देखे थे लेकिन इन्हें फिर से देखना हमें अच्छा लग रहा था।
विजेंद्र सिंह ने बताया कि हमारा अगला पड़ाव कोलासिब मैं होगा ।कोलासिव डिस्ट्रिक्ट में भी एक पाठ्यक्रम चल रहा था जिसे विकास गुप्ता देख रहे थे
यहां रुक कर बिजेंद्र सिंह को उनसे कुछ सामान लेना था और चर्चा करनी थी।
कोलसिव पहुंचने ने हमें करीब तीन चार घंटे लगने थे इसलिए आइजोल से बाहर निकलते ही हमने अपने पांव पसार लिए और आराम की मुद्रा में अपना सिर टीका दिया ।
रात के करीब आठ बजे थे काफी अंधेरा हो चुका हमारी कार एक सुनसान स्थान पर आकर रूकी । गिरी ने बताया कि यह यहां का सर्किट हाउस है ।हमने देखा यहां पर सन्नाटा पसरा हुआ था और बिजली की धीमे धीमे रोशनी भी सन्नाटे को और गहरा कर रही थी ।वैसे भी हमने देखा था कि पहाड़ों पर रात होते ही सन्नाटा परस जाता है घाटी में रहने वाले लोग अपने अपने घरों पर जाकर दुपक जाते हैं ।
रास्ते में भी हमें ज्यादा हलचल नहीं दिखाई दी थी कहीं कहीं किसी बस्ती के बाहर कोई दुकान के पास कुछ हलचल भले ही दिखाई देती हो लेकिन आमतौर से यहां भी सन्नाटा ही परसा रहता था ।
सर्किट हाउस अच्छा और लंबा चौड़ा था अंदर भी ऐसा लग रहा था कि हमारे अलावा और कोई नहीं है। यहां हमारी विकास से मुलाकात हुई जो यहां किसी पाठ्यक्रम के कार्य को देख रहा था। विकास ने बताया आपके खाने की व्यवस्था यहां हो गई है ।
हम लोग थोड़ा थक गए थे और ठंड के कारण चाय की आवश्यकता महसूस कर रहे थे। विकास ने इसकी भी व्यवस्था कर दी और हम लोग चाय पी कर तरोताजा हो गए ।
खाने में अभी देर थी। विकास ने बताया आपके लिए रोटी भी बनेगी ।हमें इस पर खुशी हुई। आइजोल प्रवास में हमने रोटी ही खाई थी। यहां रोटी आराम से मिल जाती है लेकिन वे रोटी काफी पतली और आकर में काफी बड़ी होती है में तो उन्हें पापड़ रोटी कहत था ।खाने में भी हमारी जैसी नहीं होती थी ।रोटी बनाने का काम ज्यादातर आसाम से से आए लोग ही करते हैं ।जो भी हो हम अच्छी तरह खा लेटे थे कम से कम मन कि त्रप्ति हो जाती थी
गिरी आराम करने लगा और फिर फोन पर किसी से चर्चा बिजेंद्र सिंह और विकास कार्यक्रम की चर्चा करने लगे ।प्रीति सोफे पट बैठी चारी तरफ देख रही थी और में सोच रहा था कि क्यों ना यहां की वीडियो बना लूं ताकि यहां की यादें बनी रहे ।
फिर मैने अपना मोबाइल निकाल और क्लिप बनाने में लग गया ।
इस बीच काफी समय गुजर गया और खाना खाने की आवाज आने लगी ।हम लोगो को भी भूक लगाने लगी थी और फिर सारी रात की यात्रा थी ।शिलांग से आते समय सत्रह घंटे की यात्रा की थी अब हमें लगभग तरह चोदह कि यात्रा करनी थी
भोजन काफी अच्छा था । डायनिग टेबिल पर खाना खाते हुए हम अगली मिजोरम यात्रा के बारे ने बाते कर रहे थे ।हमें मिजोरम काफी अच्छा लगा और हम काफी सारी यादें लेकर जा रहे थे ।
समय हो चुका था गिरी बे कहा इससे पहले कि मौसम खराब होना शुरू हो हम लोगो को यहां चल देना चाहिए हमने उसकी बात् मां ली ली और अगली यात्रा के लिए गाड़ी में बैठ गए
वैसे भी हमें यहां कुछ देर ही रुकना था
सर्किट हाउस से चलते समय हमें मिजोरम खूब याद आ रहा था ।सोच रहे थे हमें यहां फिर आना चाहिए ..
.थोड़ी देर बाद मिजोरम के सुखद संस्मरण के साथ हम लोग शिलांग की लंबी यात्रा पर चल पड़े थे ।

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