मौत को सामने देख किसी कि भी घिग्घी बंध जाती है
चचे सुना तुमने एक बाहुबली और गैंगस्टर सरगना यूपी पुलिस की गाड़ी में बैठकर हाईवे पर बुरी तरह डर के मारे पीपल के पत्ते की तरह कांपने लगा.... ऐसा क्यों
पहलवान ने आते ही अपना सवाल दाग दिया
भइएं हो सकता है उसने मौत को सामने खड़ा देख लिया हो
मतबल चचे ....
मतलब तो साफ है भैइए तुम क्या विकास दुबे की कहानी भूल गए वह भी तो यूपी पुलिस की गाड़ी में बैठा था और यूपी आते आते पुलिस की जीप पलट गई और दुबे जी की जय राम जी की हो गई।
तो क्या फिर जीप पलटने की बारी थी
कुछ भी हो सकता था । सब तरह की बातें थी और लोग पूरी निगाह गड़ाए बैठे थे कि बाहुबली ठीक तरह से पहुंच पाएगा या नहीं
तो बाहुबली सचमुच डर गया था जिसे दूसरों को मौत के घाट उतारने में थोड़ी भी घबराहट नहीं होती थी उसे भी डर लगने लगा था
डर क्यों नहीं लगेग भैइए क्योंकि अब मुकाबला एक सन्यासी से है और कहते हैं सन्यासी जब संकल्प ले लेता है तो फिर क्या होता है इसे कहने की आवश्यकता नहीं है
मतबल उसे उसके किए की सजा जरूर मिलेगी
बिल्कुल भईये .…उसे उसके किए की सजा जरूर मिलेगी
लेकिन चचे एक बात बताओ उसके राजनीतिक आका जिनके लिए वो काम करता था और जिस पार्टी का वह विधायक था क्या वे लोग कुछ नहीं करेंगे
क्या कर सकते हैं ..वे सब तो सत्ता से दूर है और खुद अपनी लगोंटी बचा नहीं पा रहे है मुझे तो नहीं लगता की राजनीतिक पहुंच सन्यासी के संकल्प को डिगा पाएगी ।
यह बात सुन पहलवान कुछ सोचने लगा तब छगूं बाबू ने अपना मुंह खोला
भाई साहब मेरे ख्याल से ऐसे बाहुबली अपराधी सिर्फ राजनीति का मोहरा होते हैं और वे जब तक चलते हैं तब तक उनकी पूछ होती है । बाद में तो उनका वही हश्र होता है जो खुजली वाले कुत्ते का होता है राज नेतिक आका अपना काम निकलने के बाद उन्हें दूध की मक्खी की तरह निकाल फेंकते हैं
लेकिन चचे गुल्लू की अम्मा कह रही थी कि यह महाबली विधायक तो तेरह साल से जेल में बंद है और अभी तक किसी मामले में दोषी सिद्ध नहीं हुए और इतने लोकप्रिय हैं की जेल में बैठे-बैठे ही चुनाव लड़का लगातार जीत हासिल कर लेते हैं।
पहलवान की बात सुनकर छ गूं बाबू भी सिर खु जाने लगे
पहलवान फिर बोला.. गुल्लू की अम्मा कह रही थी ।जेल में भी वह ऐसो आराम से रहता था जेल में भी उसकी आवा भगत किसी मेहमान की तरह होती थी सेवादार सेवा में लगे रहते थे और उसके गुर्गे कुछ भी करने को तैयार बैठे रहते थे । जेल में उसके मजे ही मजे थे।
तो तो फिर वह डर क्यों गया ।पहलवान ने फिर पूछा
जवाब छ गुं बाबू ने दीया
भाई साहब मुझे लगता है कि डर तो वो उसी दिन गया था जब एक सन्यासी ने उस जैसे अपराधियों को चुनो ती दे दी थी । कहते है जब गीदड़ की मौत आती है तो वह शहर की ओर भागता है इसलिए उसने जुगाड़ लगाकर अपने राजनीतिक आकाओं की मदद से अपने आप को पंजाब की जेल में शिफ्ट करा लिया और जब कोर्ट के फैसले पर उसे वापस लाया जा रहा था तो निश्चित तौर पर उसे अपने पाप याद आने लगे होंगे समझ गया होगा कि बस अब नहीं खेर ।
पहलवान को जिज्ञांसा हुई .....तो मान लेे उसके पापों का घड़ा भर गया ।
निश्चित ...विषय विशेषज्ञ तो यही कहते है और फिर इतिहास उठा कर देखा लो असुरों और राक्षसों का अंत केसा होता है ।
यह बात सुन पहलवान खुश हो गया
चलो चचे... मुझे तो बड़ी खुशी हुई कि बाहुबली को उसके अपराधों कि सजा मिलेंगी ।
मुझे भी ...
छ गूं बाबू भी बोले
में तो उस दिन घी के दिए जलाऊंगा जिस दिन ऐसे अपराधी फांसी के फंदे चढ़ेंगे ।
मेने कहा जरूर ऊपरवाला सब देख रहा है
लेकिन चचे ....पहलवान ने कहा ,...यदि उस अपराधी को भी लाया जाता जो पाकिस्तान में जा कर छुपा बे ठा है जो हजारों निर्दोष लोगो का हत्यारा है तो सचमुच प्रसन्नता होती
वो भी होगा भैइए बस देखते रहो
छ गूं बाबू की बात सुनकर पहलवान ने कुछ कहना चाहा लेकिन हमेशा की तरह छुट्टन बीच ने आ टपका ।चाय नाश्ते की ट्रे लेकर बीच में खडा हो गया और फिर किसी पड़ोसी ने तेज वॉल्यूम में स्पीकर बजा दिया जिसमे सन्यासी फिल्म का चीखता हुआ गीत बज रहा था ...जैसा कर्म करेगा वैसा फल देगा भगवान
ये है गीता का ज्ञान ये है गीता का ज्ञान
फिर क्या था सारी गप शाप बंद हो गई और पहलवान छ गूं बाबू गाने और नाश्ते के स्वाद में डूब गए ।मेरी भी मजबूती थी कि खाने पीने के मामले में मेरे लिए भी थोड़ा सब्र रखना मुश्किल था

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