कट्टो
सब कुछ अचानक हुआ।दूध वाले का आवाज देना मिट्ठू का कंधे पर बैठना ।मेरा दूध लेने जाना और फिर मिट्ठू का फुर्र से उड़ जाना ।देखते ही देखते मिट्ठु आंखों से ओझल हो गया ।सब कुछ इतनी तेजी से हुआ कि मै हक्का बक्का रह गया
दूध वाला बोला -बाबूजी यह तो आ जाएगा। मुझे दूध वाले कि बाते अच्छी नही लग रही थी ।मेरा तो दिमाग खराब हो गया था ।मै उस घड़ी को कोसने लगा जब मेने मिट्ठू को कंधे पर बेठा कर दूध लेने का फैसला लिया था ।उस दिन गुड़िया घर में नही थी ।किसी काम से बाजार गयी हुई थी ।मुझसे कह गई थी मिट्ठू का ख्याल रखना ।अब मिट्ठू उड़ गया और वो भी मेरी बेवकूफी की वजह से तो ने उसे क्या जवाब देता
।कहते है कभी कभी बुद्धि खराब हो जाती है और ऐसा ही उस दिन भी हुआ था । मिठ्टू सवेरे से लाड प्यार दिखा रहा था । कंधे पर बैठा तो बैठा ही रहा ।में छत पर हो आया दो तीन बार गेट तक हो आया मिट्ठू कंधे पर ही बैठा रहा ।
ऐसा पहले भी हो चुका था कि वो उड़ कर छत पर चला गया फिर वापिस आ गया ।एक बार तो प्रीति के पीछे पीछे चला गया और काफी देर तक गेट पट बैठा रहा प्रीति जब लोट के आई तो कंधे पर बैठ कर अन्दर आ गया ।
पता नाही मुझे क्यों लगा कि अगर में दूध लेने जाऊंगा तो वो नहीं उड़ेगा । लेकिन ऐसा नहीं हुआ ।दुथ लेते हुए जब दूथ वाला हंसा तो वह फुर्र से उड़ा गया और में देखता ही रह गया ।
मुझे अपने आप पर बड़ा क्रोध आया और मैं इस बात से सहर गया कि जब प्रीति मुझसे पूछेगी तो मै क्या करूंगा । मुझे बार-बार वो समय याद आने लगे जब मैंने ऐसी मूर्खता भरा फैसला लिया था लेकिन अब इस बात से क्या होता मिट्ठू तो फुर्र से उड़ गया था।
अब मुझे इस बात की चिंता होने लगी कि प्रीति झगड़ा करेगी और सारा मूड खराब हो जाएगा । एक बार सोचा कि झूठ बोल दूंगा कि दरवाजा खुलते ही मिट्ठू फुर्र से उड़ गया लेकिन मै जानता था सच्चाई छु प नहीं सकती एक ना दिन जब खुलेगी तो काफी कष्ट होगा।
एक बात और हमारी पड़ोसन को यह जानकारी थी की मिट्ठू कैसे उड़ा । वह कई बार मुझसे कह चुकी थी देखो तुम्हारा तोता वापस आ गया । मैं दौड़ कर आया भी था लेकिन से दूसरे तोते थे जो अक्सर अमरूद के पेड़ पर आया करते थे।पड़ोसन यह बात किसी से नहीं कहेगी यह तो संभव ही नहीं था ।यही सब सोच कर में परेशान था और घबराहट के कारण मैं निराश होकर अवसाद की स्थिति में आ रहा था ।
फिर क्या करूं और क्या ना करू के मध्य मेने शांति से विचार करने का निर्णय लिया अक्सर इसे मौकों पर यह नीति सफल रहती है और में उसी प्रकार अपने निर्णय लेता रहा हूं
फिर मैने बड़ी शांति के साथ तय किया कि प्रीति को सच ही बताऊंगा फिर जो होगा देखा जाएगा।इसीलिए
जब प्रीति आई तो मैंने उसे सारी बात बता दी। उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और पूछा मिट्ठू कब उड़ा और किस तरफ गया।
मैंने उसे बताया... आधा घंटा हो गया और वह मंदिर वाली पीपल के पेड़ की तरफ गया है। प्रीति तुरंत उसे ढूंढने निकल गई । कट्टो कट्टो चिल्लाते हुए वह उसे पुकारा रही थी । काफी देर बाद जब आई टी कहा ...यहां तो नहीं मिला लेकिन मैं पीछे वाली पार्क में जाती हूं वहां काफी तोते रहते हैं शायद गो वही गया हो । प्रीति चली गई और काफी देर बाद लोती तो बताया क ट्टों पीपल के पेड़ के पर बैठा है ।आवास सुनता है नीचे भी आता है लेकिन कंधे पर नहीं। मैं मोबाइल लेकर जाती हू क्योंकि मोबाइल सुनकर वह वह मेरे कंधों पर आ जाता था । प्रीति मोबाइल लेकर चली गई । उसने बताया था कि जब वह कट्टो को ढूंढ रही थी तो मोहल्ले की कस्तूरी ने कहा ...आंटी चलो मै भी साथ चलती हूं । उसके पास पिंजरे में बंद एक तो तो ती भी थी । वो तो ती को लेकर चली और उसी ने बताया देखो आंटी तुम्हारा तोता वहां बैठा है ।
मैं इन सभी बातों को सोच रहा था और भगवान से प्रार्थना भी कर रहा था ...मुझे ऐसा करते हुए काफी देर हो गई थी और में बुरी तरह घबराया हुआ था ।मेरी तो जैसे शांति भंग हो गई थी ।
अचानक मैंने प्रीति की आवाज सुनी ।उसने कमरे में आते ही कहा ... लो जी आ गए तुम्हारे कट्टो जी।
मैंने देखा उसके कंधे पर कट्टो जी आराम से बैथे हुए थे प्रीति ने बताया मोबाइल में अपनी आवाज सुनते ही वह मेरे कंधे पर आ गया और फिर मैं सीधे घर चली आई वह कहीं नहीं उड़ा।
तोते को देखकर मुझे बड़ी शांति मिली ...अवसाद मैं डूब रहा मेरा मन सब कुछ भूल गया और और किसी भी चिंता से मुक्त हो गया.
पुनः ..आखिर एक दिन वो मौका पाकर कट्टो उड़ ही गया और ऐसा उड़ा कि फिर वापिस नहीं आया ।यकीन नहीं आया कि ऐसा होगा । हमें उसकी बहुत याद आती है । पता नहीं कहां होगा ।

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