फेरी वाला

गठरी को आखिरी गांठ देकर उसने आसमान की ओर देखा और फिर दुआ के लिए हाथ उठाया फिर बोला... हम व्यापारी हैं व्यापार करने निकलेे   है इसलिए नुकसान मैं तो कोई सौदा करेंगे ।बाकी अपना नसीब है 
मैं देख रहा था उसके चेहरे पर शांति थी और कोई भी परेशानी नजर नहीं आ रही थी
वह एक फेरीवाले था ।कश्मीरी शाल बेचने वाला एक कश्मीरी । खूब गोरा चिठ्ठा गबरू जवान । ऐसे फेरी वाले अक्सर  हमारी कॉलोनी में आया करते  थे । रिक्शे में  अपना माल लाद  कर वह शाल  ले लो साल ले लो की आवाज देते  हुए घूमा करते थे । अक्सर किसी दरवाजे पर कोई उसे रोक लेता तो वही उसकी दुकान लग जाती और देखते ही देखते कॉलोनी की अनेक महिलाएं शाल  देखने की जिज्ञासा लेकर इकट्ठी  हो जाती थी । फिर देखने दिखाने के साथ मोलभाव  शुरू हो जाते । आज भी ऐसा ही हो रहा था और महिलाओं का एक झुंड मेरे दरवाजे पर फेरी  वाले से शाल देखने के लिए इकथ्ठी  हो गई थी।
जाड़ों की दोपहर थी ।अच्छी धूप निकली थी ।में हमेशा की तरह कुर्सी पर बैठा धूप का आनंद ले रहा था ।मेरी दरवाजे पर महिलाओं का झुंड फेरी वाले से शाल दिखाने की बात कर रही थी ।में ना चाहते हुए भी उनकी बाते सुनने को मजबूर था  ।
हां भय्यां जरा वो  वाली शाल दिखाओ...…अरे वो नहीं वो को नीचे रखी है वो वाली .....क्या चेक वाली शाल नहीं है ....अरे भैया ये नहीं वो पीली वाली दिखाओ ....अरे ये तो अच्छी नहीं लग रही .... जरा अच्छी वाली दिखाओ ।
में देख रहा था पिछले एक घंटे से यही सब चल रहा था ।फेरीवाले ने अपनी पूरी गठरी फेला ली थी और बड़े आराम से  उनकी बातों का जवाब दे रहा था ।
बहन ऐसी शाल आपको लोकल मार्केट ने नहीं मिलेगी ...अभी नया माल आनेवाला है आपकी पसंद कि शाल मिल जायेगे।..आप क्वालिटी की चिंता मत करो हम कश्मीर से लेकर खोता माल नहीं लाते ।
में उनकी बाते सुन रहा था और अंदर ही अंदर झुंझला भी रहा था  ।अरे कितनी बाते बना रही थी वे महिलाएं ।
में यह भी जानता था कि ज्यादातर महिलाएं कुछ नहीं खरीदेंगी लेकिन दिखावा से कर रही मानो सारी शाले खरीद लेंगी ।
काफी देर तक शाले देखने के बाद  अधिकांश महिलाएं चली गई कुछ रह गई जिन्हे बिना जरूरत खरीद का शोक था ।
अब  मोल भाव शुरू हो गया ।
हां भईय्य ये वाली शाल कितने की है ....और ओ वाली ....और ये जो चेक वाली है ...
फेरी वाले ने कहा बहन ..ये वाली शाल 1500 की है और ये वाली सिर्फ 800 रुपए की 
अरे भइया कमाल करते हो ।बड़े हाई फाई रेट है तुम्हारे ।इससे सस्ते तो बाजार में मिल जाते है ।
नहीं बहन हमरी शाल की क्वालिटी तो देखो 
अरे रहने दो ज्यादा दाम मांग रहे हो ।देने वाले दाम बोलो 
नहीं बहन आपके लिए 700  रुपए लगा दूंगा 
नहीं में 500, रुपए दूंगी  ....दो ले लूंगी  ।
नहीं बहन इतने में तो हमें भी  नहीं पड़ता ।
ठीक है  तो रहने दो 
आपकी मर्जी ...फेरी वाला अपना समान पेक करने लगा एक अजीब सा सन्नाटा छा गया ।फेरी वाले की गठरी पेक हो गई तभी एक महिला ने कहा.... 600 रुपए दूंगी दे जाओ ।फेरी वाले ने कहा ठीक है बहन आपको पसंद है तो ले लो।
फेरी वाले की गठरी फिर खुल गई और उसकी आठ दस शाले बिक गई ।
शाले लेकर महिलाओं ने इसे देखा मानो कोई किला फतह कर लिया हो । 
हमारी श्रीमती जी ने फुसफुसा कर हमारे कानों में कहा ...,बाजार में 1200 से कम में नहीं मिलेगी और ऑटो का 300 रुपए किराया अलग से..... ।
अब थोड़ा  सन्नाटा था ।  फेरी वाला गठरी की गांठ बांध रहा था और में उससे बात करने को उत्सुक था ।
मेने पूछा ..तुमने तो बड़े सस्ते में माल बेच दिया ...बड़ा नुकसान हुए होगा ।
उसने आसानान की और हाथ उठाए और बोला ...साहब हम व्यापारी है कुछ कमाने निकले है अब बाकी अपना नसीब है ।
मेने बात बदल दी और अपना यक्ष प्रश्न पूछ डाला ...एक बात बताओ कि महिलाएं घंटो तुम्हारा सामान देखती है और फिर कुछ नहीं लेती तरह तरह   कि बाते  करती फिर मोलभाव  करती ....तुम्हें झुंझलाहट नहीं होती ..गुस्सा नहीं आता ।
उसने मुझे देखा फिर बोला ..साहब हम सामान बेचने निकले है ।यही बहन  हमारी ग्राहक है ।इन्हीं की मेहरबानी से हमारी रोटी चलती है ...ये तो हमारे लिएं भगवान है और बताइए क्या कोई अपने भगवान पर झुंझलाता है ...गुस्सा करता है ।
मेने देखा यह कहते हुए उसके चेहरे पर बड़ी शांति थी ।
में उसके धैर्य को देखकर चकित रह गया । ...सच कहूं तो मुझे उससे ईर्ष्या होने लगी 

 - विजय राघव आचार्य 

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