पहलवान और अंतिम संस्कार

गुल्लू की अम्मा का फोन आया... गुल्लू के बापू नहीं रहे श्रीमती जी ने बताया पहलवान करोना से जंग नहीं लड़ पाए और ....
आगे के शब्द मै नहीं सुन पाया उससे पहले ही बेहोस होने  लगा ।श्रीमती जी ने संभाला ...होश में आओ और अपने को  संभालो । 
केसे संभालू..पहलवान चला गया ...मेरा दोस्त चला गया 
संभालना  तो पड़ेगा.....
श्रीमती जी ने सांत्वना देते कहा .
मेरे आंसू रुक नहीं रहे थे  रह रह के प्रलाप  कर रहा था ....उसके घर में छुट्टन के अलावा और है कोन ..गुल्लू तो छोटा है बड़े पहलवान तो बिस्तर में पड़े रहते है अब उसका अंतिम काज तो संभालना ही पड़ेगा और कोन करेगा  
कोन करेगा श्रीमती जी ने आंखे तरेरी 
करोना से मरे हे ...मोहल्ले का कोई झांक नहीं रहा ... नाते रिश्तेदारों ने मना कर दिया और तुम चले हो पड़ोसी और दोस्ती धर्म निभाने 
लेकिन क्या उनके  अंतिम दर्शन भी नहीं करूंगा 
मेने विनती की 
इस अंतिम दर्शनीय के चक्कर में अगर तुम्हारे ही अंतिम दर्शन हो गए तो फिर ...करोंना से मरा है भाई 
श्रीमती जी कठोर हो गई 
तो फिर ने क्या करूं ..
तुम्हे कुछ नहीं करना है मोहल्ले के  सेक्रेटरी ने कहा है उन्होंने सारी व्यवस्था कर दी है । पुलिस को फोन कर दिया है ...वे शव वहां लेके आएंगे और साथ दो आदमी भी ।वे कोविड के हिसाब से सारे संस्कार कर देंगे और साथ ही फेस बुक पर लाईव टेलीकास्ट भी कर  लेंगे ।तुम अपने मोबाइल पर अंतिम दर्शन भी  कर लेना । दस बजे से टेलीकास्ट होगा 
श्रीमती चली गई तो छगूं बाबू का फोन आ गया ।
भाई साहब ...पहलवान ... ये कैसे हो गया ..छुट्टन बता रहा था हालत बिगड़ी तो अस्पताल को भागे बड़ी मुश्किल से एंबुलेंस मिली ..किराए के लिए मुंह फाड़ दिया ..अस्पताल में बेड नहीं मिला ...हेल्प लाइन पर फोन कर कर हार गए ..ओक्सीजन की जरूरत थी सिलेंडर नहीं मिला ..और तो और जरूरी दवाएं भी मिली नहीं ..सबने कहा दिया ..भाई साहब स्टोक  में नहीं है ...और फिर ...
छगूं बाबू सुबकने लगे 
मुझे बड़ा क्रोध आया ।मेरी मुट्ठियां भिचने लगी पता नहीं क्या कर डालूं जैसे  विचार।  आने लगे । कैसा जमाना आ गया ।इस महामारी  में जैसे इंसानियत कहीं खो गई... मौकापरस्त लोगो ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया ।ये बेईमानी करने  वाले लोग अपनी आदत नहीं छोड़ रहे।ये काला बाजारी  करने वाले  इन्हे बिल्कुल शर्म नहीं आती ।ये दलाली करने वाले लोग .खुल कर खेल खेल रहे ...देखी जीवन.बचाने वाली दवाइयां गायब है ... एसी कितनी ही बाते मेरे  दिमाग में उथल पुथल मचा रही थी 
 मै अपने ही  ख़यालो ने खोया हुआ था अगर ये सब ना होते तो मेरा दोस्त ऐसे नहीं  मरता ..
मेरे आंखों से आसुं बाह रहे थे और क्रोध से शरीर कांप रहा था 
तभी श्रीमती जी ने टोक दिया 
सुनो ये सोचना बंद करो ।एंबुलेंस आ गई है और टेलीकास्ट शुरू होने वाला है ।कर लो अंतिम दर्शन फिर रह जाओगे ।
श्रीमती जी ने मोबाइल पकड़ा दिया और कहा ..पहलवान के घर के सभी लोगो को एक कमरे ने बंद कर दिया है और उनसे कहा है यहां मोबाइल में  जो देखना  हे देखे ।..जो कुछ भी करना है ...रोना पीटना सब यहां ही बैठ कर करें  ।पहलवान के पास कोई नहीं जाएगा 
श्रीमती जी पल  पल की खबरे दे रही थी 
में दुखी था ।कभी सोचा नहीं था ऐसा भी वक्त आएगा जब मेरा दोस्त पहलवान ऐसा चला जाएगा और में उसे कंधा भी  नहीं दे पाऊंगा ।जिसके साथ गपशप मारता  था उसके पास आंसू भी नहीं  बहा पाऊंगा । धिक्कार है मुझे ..
में अपने विचारों में डूबा हुआ  था कि श्रीमती जी की आवाज़ सुनाई दी ..अब यह सोचना बंद करो वरना अंतिम दर्शन छूट जाए गा और फिर मत कहना की मेने बताया नहीं ।
मेने मोबाइल  देखा ..
दस बज गए थेऔर  टेलीकास्ट आरंभ हो चुका था । प्लास्टिक के कपड़े पहने अंतरिक्ष यात्री जैसे दो आदमी एंबुलेंस से उतरे और फिर कमेंट्री चालू हो गई
   ...मरने वाला करोना से मरा है इसलिए प्रोटोकोल के अनुसार सारे कार्य होंगे ...ना तो शव को नहलाया जाएगा और ना ही नए कप डे पहनाए जाएंगे  उन्हें प्लास्टिक में लपेट कर सील कर देंगे  और सीधे शमशान घाट लेके  जाएंगे ।
चलिए अब घर के अंदर चलते है ।
दृश्य बदल गया ।पहलवान मुंह फाड़े दिखाई दे रहा था आंखे बंद थी ।
इनके अंतिम दर्शन कर लीजिए क्योंकि कुछ देर बाद हम इन्हे सील कर देंगे और फिर सीधे बिजली वाले शमशान घाट पर ले  जाएंगे ।
कैमरा पहलवान के चेहरे  पर फोकस हो गया 
फिर दृश्य बदल गया ।पहलवान को सील कर दिया गया और ऊपर से सेनेटाइजर की फुआर डाल दी और  दो  लोगो ने उसे उठा कर शव वाहन में डाल दिया और शव वाहन चल पड़ा ।
चारों तरफ सन्नाटा  था मोहल्ले के लोग दुर से  अपनी छत से झांक रहे थे ।पहलवान  के घर से चीखने चिल्लाने की आवाज आ रही थी। गुल्लू की अम्मा ऐसा विलाप कर रही की पूरे मोहल्ले को सुनाई दे रही ।छुट्टन बाहर निकलने का प्रयास कर रहा था मगर पुलिस के डंडों ने उसे खामोश कर दिया  बिचारा मन कर रह गया ।मेने भी कोशिश की मगर श्रीमती जी ने रास्ता रोक दिया । लाल आंखे दिखा कर कहा.... समझ में नहीं आता 
मोबाइल देखो बस...
अब सड़क के दृश्य दिखाई देने लगे 
मेरे मन में अनेक विचार उठ रहे थे ।कितना बदनसीब है पहलवान उसे चार  कंधे भी नसीब नहीं हुए । उसके शव  पर कोई रोने वाला नहीं था उसके अपने भी उससे दूर रहे .. यह कैसा समय आ गया । है भगवान कब मुक्ति मिलेगी इस महामारी से । मै पता नहीं क्या क्या सोच रहा था ।मोबाइल में जैसे दृश्य बदल रहे थे वैसे ही पुरानी बाते मुझे याद आ रही थी । फिर अचानक सारे दृश्य स्थिर हो गए 
शव वाहन एक जगह खड़ा हो गया था 
कमेंट्री चालू थी 
हमारा वाहन जाम में फंस गया है थोड़ी देर लग सकती है ।यद्यपि शहर में कर्फ्यू लगा है लेकिन शमशान घाट  पर जाने वालों  की भीड़ लगी है शायद हमे थोड़ी देर हो सकती है हमारी मजबूरी  है इसलिए  अब  यह टेलीकास्ट  एक घंटे बाद चालू होगा ।तब तक आप कहीं मत जाइएगा हम जल्दी लौट कर आएंगे ।
एक घंटा हो चुका था ।टेलीकास्ट फिर आरम्भ हो गया 
...हम लोग शमशान घाट पहुंच चुके है लेकिन यहां  मुर्दों को लाइन लगानी प ढ रही  है ...हमने पता किया है हमारे मुर्दे का नंबर 15वा है यानी लगभग 3,घंटे का समय लगेगा ...,हमें 3 घंटे इंतजार करना पड़ेगा ।हम फिर 3 घंटे बाद लोट कर आते है ।आप कहीं मत जाइएगा ।
यह दृश्य देख मेरी आंखों से आंसू बहने लगे और इन आंसुओं का मेने उचित उपयोग कर लिया और इसकी वीडियो बना ली ।
बाद में  छ गूं बाबू ने भी बताया कि उनके भी आंखों से गंगा जमुना बहने लगी थी और उन्होंने भी उसकी वीडियो बनली और वॉट्सएप से भेज भी दी ।
अरे ये खयाल मुझे क्यो नही आया फिर मैने भी वीडियो उठाई और वॉट्सएप से छुट्टन को भेज दी साथ ही संवेदना के दी   शब्द भी ।
3 घंटे हो चुके थे ।टेलीकास्ट फिर आरंभ हो गया था ।अब दृश्य में  बिजली की भट्टी दिखाई दे रही थी ।कमेंट्री  चालू थी 
..यह अब आखिरी दृश्य है इसके बाद सब कुछ खत्म हो जाएगा ...शरीर भस्म हो जाएगा और सिर्फ याद रह जाएगी ।
फिर दिखाई दिया 
पहलवान भट्टी में चला गया ..,
कुछ देर सन्नाटा रहा केमरा  भट्टी पर फोकस हो गया था 
तभी पहलवान के घर से तेज शोर उठा ।गुल ल्लू की अम्मा  का विलाप चरम सीमा पर था 
कमेंट्री फिर चालू हो गई 
...,अंतिम संस्कार हो गया है इनकी अस्थियां थोड़ी देर में मिल जाएंजी  और इन्हे शमशान घाट में ही सुरक्षित रख दिया जाएगा और जब सामान्य स्थिति होगी तो शमशान वाले ही इन्हे गंगा में प्रवाहित कर देंगे ।
इसी  के साथ ही हमारा प्रसारण समाप्त हो ता है  । अगर हमारा प्रसारण पसंद आया तो इसे लाईक और शेअर जरुर करे ।हमारे चैनल को सब्सक्राइब करे और हमें सेवा का मौका जरूर  दे ।...
मोबाइल शांत हो गया और सारे दृश्य गायब हो  गए 
प्रसारण खत्म हुआ तो रुलाई फूट पड़ी ।
पहलवान ...,मेरे दोस्त .. कहां चला गया भाई मेरे ...तेरे बिना कैसे जीऊंगा ...
पता नहीं कितनी देर में विलाप करता यदि किसी ने झकझोरा नहीं हो ता । मेने हड़बड़ा कर देखा तो मेरे पास श्रीमती जी के अलावा छ गूं बाबू और पहलवान खड़े थे 
अरे पहलवान तुम...
चचे क्यों चिल्ला रहे थे ..क्या कोई सपना देख लिया 
मेने अपने को  नोच कर देखा कहीं मै सपने में सपना तो नहीं देख रहा लेकिन ऐसा नहीं था सचमुच पहलवान मेरे सामने जीता जागता खड़ा था 
मेने कहा ,...शुक्र है तुम जिंदा हो और फिर सपने की बात बताई.,
छ गूं बाबू और पहलवान ठठा कर हंस पड़े 
चचे तुम भी क्या दिन में ऐसे सपने देखते 
हो ..लगता है अखबार टी वी और फेसबुक कुछ ज्यादा ही देखते हो ..तभी तो दिमाग में गोबर भरा पड़ा है 
में खिसियानी हंसी हंसा लेकिन प्रसन्न था । मै पहलवान से गले मिल अपने प्रसन्ना जाहिर करना चाहता था मगर श्रीमती जी की सख्त हिदायत को समझ दुर हट गया  
छ गूं बाबू बोलेे .. भईय्ये खुश नसीब हो तुम्हारी तो उम्र बढ़ गई ।भाई साहब ने तुम्हारा अंतिम संस्कार कर दिया 
इस पर पहलवान हो हो कर हंस दिया फिर  कुछ कहना  चाहता था   कि  हमेशा कि तरह छुट्टन आ गया ।
अंकल  छोड़िए सपनो की बातों को... चलिए 
 बैठक में गपशप मरिए ।चाची गरम गर्म चाय और नाश्ता  तैयार कर रही है 
फिर क्या था  छुट्टन की चाची के आदेश से कोन इनकार कर सकता था फिर खाने पीने की बात पर पहलवान की लात टपकाने लगती थी इसलिए सभी लोग  प्रसन्न होकर    गपशप की तैयारी  में जुट गए ।
में खुश था कि पहलवान  को कुछ नहीं हुआ था ।


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