अंजू मंजू का जन्म दिन

1 जुलाई आज अंजू मंजू का जन्म दिन है ...

संस्मरण ...

सवेरे अंधेरे ही आंख खुली तो देखा हमारे घर के बड़े आंगन में एक एंबुलेंस खड़ी  थी  । पास में चाचा जी और एक ओरत खड़ी हुई थी ।चाचा जी के चेहरे पर परेशानी थी और दो  लोग अम्मा को स्ट्रेचर में लेकर एंबुलेंस की और जा रहे थे । यह देख मै अम्मा की और बढ़ा तभी चाचा जी ने मुझे उठा लिया और एंबुलेंस में बैठा लिया । एंबुलेंस फिर हॉस्पिटल की और बढ़ चली 
कुछ देर बाद हम लेडी लायक हॉस्पिटल के  एंक ऑपरेशन रूम के बाहर खड़े थे । उस समय में इतना समझदार नहीं था कि प्रसव और शिशु के जन्म को समझ पाता ।हमें तो सिर्फ यही पता थी कि हमारे घर छोटी बहन या भाई आने वाला है ।
थोड़ी देर बाद एक नर्स अाई  और उसने बताया कि सब ठीक है उन्हें वार्ड ने शिफ्ट कर दिया गया है। आप जा कट देख सकते है 
हम फिर वार्ड में  गए तो हमने आम्मा के पास दो छोटी बच्चियों को देखा जो शांति से सो रही थी 
बाद में अम्मा ने ही  बताया कि अंजू तो घर में  पैदा हो गई थी लेकिन मंजू अस्पताल में सर्जरी से दो घंटे बाद पैदा हुई थी ।
उन दिनों अन्ना घर में नहीं थे।  टूर पर  गए हुए थे तब सारी व्यवस्था चाचा जी ने ही संभाली थी । फिर अन्ना आ  गए।अम्मा भी अस्पताल से घर आ गई  ।हमारा घर खुशियों से भर गया ।बहुत सारे जान पहचान वाले और रिश्ते दार आए थे कि देखे जुड़वा बच्चे केसे है ।
वे दोनों घर में सबसे छोटी थी और उन्हें गोद में लेकर हम सभी घूमा करते थे ।हमने उनका बचपन करीब से देखा है जैसे उनका  घुटना चलना... उनका खड़ा होना...उनका पैदल चलना ...उनका बोलना और बचपन की और  बहुत  सारी बातें
जब स्कूल  में भर्ती हुई तो उन्हें सायकिल में बैठा कर लें जाना   और फिर वापिस लाने के समय को देखा है  
अब  वे बड़ी हो गई है.. समझदार और दादी बन गई है ।पहले उनका नाम अंजू मंजू नहीं था हम भोंदू पहड़िन्न के  नाम से पुकारते थे । अन्ना ने ही यह नाम रखा था ।बाद में अक्का जी ने उनका नाम जबलपुर आने पर  बदल दिया ।
बात जरूर पुरानी है लेकिन आज भी आंखों के सामने है ।

आज जन्म दिन के इस अवसर पर उन्हें ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं... आशीष और प्यार ..उनके स्वस्थ और प्रसन्न जीवन के लिए  प्रभु से प्रार्थना 

तुम जियो हजारों साल, साल के दिन हो पचास हजार 


                     छ गूं , गुड़िया ,राजा, पूजा और बुलबुल

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