अम्मा

6 जुलाई....जबलपुर,
आज अम्मा के निर्वाण दिवस पर 
संस्मरण ...
अम्मा इस संसार में नहीं है ।आज के दिन अम्मा अपने  इस लोक के शरीर को छोड़ कर अपने लोक चली गई थी ।लेकिन वे मेरे सपनो में आती  है ।उसी तरह दिखती है   जैसे जीवित अवस्था में रहती थी ।आश्चर्य है कि जब मै बीमार होता हूं  या फिर  मुश्किल में होता हूं तो अम्मा सपनो में जरूर आती है और फिर चमत्कार सा होता है ।मेरी मुश्किल ख़तम हो जाती है या फिर मै  बिल्कुल ठीक हो जाता हूं ।ऐसा लगता है जैसे कहने आती है चिंता मत करो ...में हूं  ना ..सब संभाल लूंगी 
ऐसा एक बार नहीं बल्कि कई बार हुआ  है और  अब तो यह सौ प्रतिशत पक्का है कि मुझे अवसाद से उबरने में अम्मा पूरी मदद करती है ।
अम्मा का सपनो में  आना अच्छा लगता है ।यदि अम्मा नहीं आती तो मुझे चिंता हो जाती है तब में जिद करता हूं तो  अम्मा आ जाती है । अम्मा को अपने बच्चो से प्यार था इसलिए वे कहीं भी किसी लोक में हो  हमारा ध्यान रखती है और हमें  उनकी उपस्थिति महसूस होती है ।
 अम्मा जब भी आती है  मेरा मन  प्रसन्नता से भर जाता है और मै उन्हें और ज्यादा याद करने लगता हूं ।

अम्मा तुम्हे कोई कोटि प्रणाम । तुम्हे भाव पूर्ण  नमन। 
हम  आज के दिन तुम्हे खूब याद करते है ।

                छ गूं ,गुड़िया, राजा,पूजा,और बुलबुल

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