बिदाई के पल

शिवप्रकाश जी का फोन आया ..हरीस जी की बिदाई है ..आना है । फिर पूछा तबीयत कैसी है ...
मेने कहा... बस ठीक है ...में आऊंगा जरूर 
में तो कब से तैयार बैठा था इस बहाने से ऑफिस के सब लोगो से मिल भी लेता... कोई दो साल होने को थे करोना के चलते ऑफिस गया नहीं था अब थोड़ी शांति थी तो हिम्मत आ गई थी ।
मेने अपना कैमरा तैयार कर लिया जांच कर देख भी लिया ।मे बिदाई के पलों को संजों कर रखना चाहता था जैसा में हमेशा करता रहा हूं लेकिन अब में उतना फुर्तीला नही रहा जैसा कभी होता था । मन तो मेरा हवा में उड़ता है लेकिन शरीर धोका दे जाता है ।
 मेने हिमांशु से कहा ...मुझे तुम्हरे सहयोग की जरूरत रहेगी तुम समारोह में आ जाना । उसने कहा संदेश मिलने पर आ जाऊंगा ।फिर कहा संदेश मिल गया है ।में निश्चिंत हो गया ।अब मै काम कर सकूंगा मेरा काम हो जाएगा ।
  30 जुलाई की सुबह से ही काले बादल छा गए थे । रिमझिम वर्षा होने लगी । मुझे तो तब मालूम हुआ जब मै तैयार होकर निकालने को हुआ । मै पिछले एक साल से कमरे के अंदर ही रहता रहा हूं ।यहां तक में आंगन में भी नहीं जाता था जो मेरी मनपसंद जगह थी ।इसलिए मुझे पता ही नहीं चला कि सवेरे से ही पानी बरस रहा है ।
    मेने देखा कि मेरा आंगन पानी से भरा पड़ा है । सड़कों पर भी खूब पानी था लेकिन सैम ऑटो लेकर आ गया था ।मेने हिम्मत जुटाई और ऑटो में बैठ गया अब जों होगा सो देखा जाएगा ।हालांकि मन के किसी कोने से आवाज जरूर आई कि रहने दे ...लेकिन मेने मन को झटक दिया .
फिर ऑटो चल पड़ा 
     सिकंदरा बाईपास पर पानी और तेज था ।सड़के पानी से लबालब भरी पड़ी थी । नाले उफान मार रहे थे । में डर रहा था कि कहीं कोई दीवाना पूरी स्पीड में कार दौड़ा कर ना लेे जाए और छपाक से सड़क का पानी मुझे भिगो जाए 
शुक्र था कि सड़क पर जाम लगा था और वाहन रेंग रेंग कर चल रहे थे फिर भी एक दीवाने ने मुझे भिगो ही दिया ।मेने उसे कोसा जरूर लेकिन फिर सोचा चाहे कुछ भी हो मुझे तो बस जाना है 
 थोड़ी देर बाद मै संस्थान पहुंच गया था ।शुक्र था मुख्य दरवाजा खुला हुआ था। यद्यपि ज्यादातर बंद ही रहता था । पानी अब भी बरस रहा था 
     सैम सीधा ऑटो अंदर ले गया । अंदर बहुत सारे लोग खड़े थे ।सभी जन पहचान वाले ऑफिस के मित्र थे ।रामकिशन ने कहा आप सीधे आडिटोरियम चलिए सभी लोग वहां पहुंच रहे है । वही कार्यक्रम है ।
मेने उनकी बात मान ली ....मेने दीपक से कहा .तुम मेरे साथ चलो मुझे थोड़ी दिक्कत है । वो तुरंत तैयार हों गया और मेरे साथ ऑटो में बैठ गया 
ऑटो सीधे ऑडिटोरियम में रुका ।पानी में भीगते हुए दीपक की मदद से सीढ़ियां चढ कर मै अंदर पहुंच गया तो मन को शांति मिली कि अब मै कार्यक्रम का हिस्सा जरूर बन जाऊंगा ।
यहां मेरी मुलाकात पूनम से हुई बहुत दिनों बाद सामने मिले थे । हालचाल पूछे और पुराने दिनों को याद किया । फिर गोरन सिंह मिले.. दुआ सलाम हुई। इतने में बड़े बाबू आ गए हमरे मित्र रामगोपाल सिंह उन्होंने भी हालचाल पूछे ।फिर काफी देर बाते भी हुई । धीरे धीरे बहत सारे लोगों से मुलाकात होती चली गई । ।राजकमल ने पूछा ..सर जी बहुत दिन बाद आए ।
डॉ भरत सिंह पवार से भी मुलाकात हुई । ह्रदयेश गुप्ता , मनोज शर्मा, नेताजी, शंभू ,पंडित हरिओम शर्मा और शिवप्रकाश से भी मुलाकात हुई ।विपिन जैन से भी बातचीत हुई । सबसे मिल कर में प्रसन्न हों गया । बड़ा आनंद आया ।
    हरीश अपने परिवार के साथ आ चुके थे ।रजिस्ट्रार चंद्रकांत त्रिपाठी भी आ चुके थे ।मंच पर प्रकाश हो गया था और अब कार्यक्रम शुरू होने वाला था ।
पानी अभी भी खूब बरस रहा था ।शिवप्रकाश जिन पूछा ..कार्यक्रम शुरू किया जाए 
मेने कहा थोड़ा और ठहर जाओ ...शायद पानी के कारण लोग फंसे हुए हों ।
हिमांशु भी आ गए थे और मेने अपना केमार उनको दे दिया और समझा दिया कि मुझे क्या पसंद है ।
हिमांशु ने कहा ...फिक्र मत कीजिए ।
     कार्यक्रम शुरू हो चुका था और अब मै आराम से कार्यक्रम को देख रहा था और आनंदित हों रहा था ।
कार्यक्रम बहुत अच्छा रहा । मुझे खुशी थी कि हम लोगो ने यूनियन की जिस परंपरा को बाबा मोहन लाल गुप्ता जी के समय से शुरू किया था उसका अभी भी पालन हो रहा है ।मेने यह बात मंच पर बोलते हुए भी कहीं ।
    हिमांशु अपना काम कर रहा रहा था और कार्यक्रम के अंतिम चरण में जब स्वलपहार वितरित किया जा रहा था तब हिमांशु अपने कार्य को पूर्ण रूप दे रहा था ।
   यहां मेरी और कई लोगो से मुलाकात हुई । राजधर पाल मिला और बोला.. सर जी हम आपको पढ़ते रहते है..फिर मेने जबउसका हाल पूछा तो उसके चेहरे पर मायूसी उभर आई । सर जी हम अनुबंध वालो का कुछ नहीं हो रहा.. पता नहीं भविष्य में क्या होगा ।मेने कहा भरोसा रखो ऊपर देर है मगर अंधेर नहीं है । सरकार कुछ ना कुछ तो करेगी ।मेने ऐसा कहा जरूर लेकिन मेरा मन भी व्यथित ही गया 
     पानी अभी भी बरस रहा था । हरीश जी ने कहा.. आप हमरे साथ ही चलिएगा ।उसने प्रदीप क्षेत्रीय से कहा जो स्टाफ ड्राइवर था कि यह हमारे साथ चलेंगे । बगल में बैठे नेताजी ने कहा यह वर्ष 11 ने रिटायर हो गए थे आप इन्हे नहीं जानते होंगे 
मुन्नू मुझे स्वल्पाहार पकड़ा गया उसने दो मीठे और एक समोसा ।मिठाई अच्छी थी लेकिन मै खा नहीं सकता था ।लेकिन मेने समोसा खाने जा निश्चय किया क्योंकि मुझे समिसा पसंद है ।मेने मिठाई के लिए नेताजी से अनुरोध किया कि इसे आप ग्रहण करे ।
समोसा खाते हुए मुझे बृजेश की याद आ गई ।जब हम ऑफिस ख़तम होने के बाद गरम गरम समोसे बनते देख कर चौराहे पर पेट भर समोसे खाते थे ।
इसी बीच शिवप्रकाश जी आए बोले ..पानी इतनी तेज बरस रहा था कि हम सोचने लगे कि आप नहीं आ पाएंगे।आप आ गए तो बड़ा अच्छा लगा ।
मेने कहा जहां चाह है वहा राह भी होती है ।
वे बोले ..आपसे फिर बाते करूंगा ।
लोगो जा चलना शुरू हो गया था । बारिश अभी रुकी नहीं थी ।लेकिन हम थोड़ी देर बाद वापिस लौट रहे थे और देख रहे थे कि सड़कों पर भारी जाम लगा हुआ था । 
    वापिस घर लौटते हुए मै हिमांशु के बारे में सोच रहा था । यही कि हिमांशु की मदद से मै अपनी इच्चा को पूरा कर पाया और बिदाई के अनमोल पलो को केमरे में सजोंकर रख पाया ।
शुक्रिया हिमांशु ..,किन शब्दों में आपको धन्यवाद दूं ...
मै आपके इस सहयोग की हमेशा याद करता रहूंगा 


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