नि मकी की पक्की
नि मकी की पक्की ....
निमकी की पक्की का समारोह भी ऐसा ही समारोह था जब हम कई दिनों बाद टिंकू और उसके परिवार के साथ मिले ।
समारोह झांसी में था और दिन में था इसलिए टैक्सी से झांसी पहुंचे और रात में ही घर लौट आए ।यह अलग बात थी कि करोना के चलते मै पिछले साल से घर में ही बंद था । यहां तक कि मै घर के बाहर आंगन में भी नहीं बैठा ..जहां मै बरसो से हमेशा बैठा रहता था ।
इसलिए होटल नटराज सरोवर पोर्टिको के कमरे में हम सब काफी सालों बात मिले तो अच्छा लगा ।
सबसे मुलाकात हुई बातचीत भी हुई और फिर मै बच्चों से बात करने लगा ।
मेने छुटकी से पूछा ...मुझे पहचाना
हां आप मेरे फूफा जी है । छुटकी ने जवाब दिया
मेने कहा.. में तो तुम्हारे पापा का फूफा जी हूं.. तुम्हारा कैसे हुआ
नहीं आप मेरे फूफाजी है ।उसने फिर जवाब दिया
मुझे उसके उत्तर पर कोई आश्चर्य नहीं हुआ ।हमारे हिंदुस्तान में अकसर ऐसा होता है जब कोई जगत फूफाजी मामाजी और ऐसे ही कुछ बन जाता है ।हमरे पिताजी भी जगत अन्ना (बड़े भाई) थे हम भी उन्हें अन्ना ही बुलाते थे
हमारे पास सूर्यांश भी खड़ा था बेहद गंभीर और चुप
मेने पूछा ..सूर्यांश केसे उदास से खड़े हो
सूर्यांश जवाब देता कि उससे पहले छुटकी बोल उठी .., भय्या का मोबाइल खो गया है इसलिए ।
सूर्यांश खिसिया गया बोला ,..यह सबको बता देती है ।
मेने कहा... कोई बात नहीं लेकिन केसे खो गया
सूर्यांश अपना किस्सा सुनने लगा ...फूफाजी ....
उसका किस्सा ख़तम हुआ तो कार्यक्रम शुरू होने का हल्ला मक गया । सभी लोग तैयार होकर चलने लगे तो मेने भी अपना झोला उठा किया...... लेकिन चलने से पहले होटल के उस कमरे में बच्चों कि तस्वीर लेना नहीं भूला।
आज कई दिनों बाद मुझे परिवार की वीडियो बनाने का मौका मिल रहा था ।

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