स्नेह का धागा

स्नेह का धागा ....

बेबी ने राखी भेजी.... लिफाफे में एक चिठ्ठी भी थी ... भइया राखी भेज रही हूं रक्षाबंधन वाले दिन पहन लेना । मंजू ने भी वॉट्सएप संदेश भेजा ..भैय्या राखी भेज दीं है मिल जाए तो बता देना । अक्का जी तो हमेशा राखी भेजती है शायद ही कोई ऐसा साल होगा जब उनकी राखी नहीं मिली हो एक बार देर जरूर हो गई थीं और वो भी डाक की गड़बड़ी के कारण । हमेशा उसने एक चिठ्ठी होती थी कि हम राखी भेज रहे है इसे बांध लेना । में इस चिठ्ठी को बार बार पड़ता था और मन में ना जाने कितनी सारी भावनाएं और बाते उमड़ती थी 
     हमारे दक्षिण ने यह त्योहार नहीं मनाया जाता लेकिन हमारा जन्म तो यू पी ने हुआ था इसलिए हमारे परिवार में रक्षाबंधन खूब धूमधाम से मनाया जाता था ।आज भी मनाते है और अब तो शोशल।मीडिया के कारण दक्षिण में भी यह त्योहार मनाया जाने लगा है ।
    हमें इसकी महीनों पहले ही प्रतीक्षा रहती थी क्योंकि उस दिन घर में विशेष व्यंजन बनते थे जो हमे बहुत प्रिय होते थे ।अम्मा अकसर इडली सांभर और वडे बनाया करती थी दो दिन पहले से ही इसकी तैयारी शुरू हो जाती और यह सब देख हमारा उतावलापन बढ़ता ही चला जाता था ।रक्षाबंधन वाले दिन वडे की सुगंध चारों और फैलती तो हम रसोई के चारों तरफ मंडराने लगते थे .... लेकिन जब तक भगवान को भोग नहीं चढ़ जाता तब तक हमें पास भी फटकने नहीं दिया जाता था ।उस दिन हमारा उतावलापन बढ़ जाता था और भूख कुछ तेज ही लगने लगती थी ।यह दिन खास होता था और हम जी भर खाते थे ।
    अब तो यह बहुत पुरानी 65 साल पहले की बात हो गई है लेकिन आज भी रक्षाबंधन के त्योहार की खुशी नहीं बदली ।अम्मा चलीं गई... अन्ना चले गए लेकिन त्योहार ज्यों का त्यों रहा। अब ये जिम्मेदारी दूसरों ने संभाल ली है मेरे घर का यह दायित्व प्रीति ने संभाला और उसने उस परंपरा को बनाए रखा ।रक्षाबंधन वाले दिन जब गेस का चूल्हा भभकता है और व्यंजनों की खुशबू चारों तरफ फैलती है तो पुराने दिन याद आने लगते है लेकिन अब मै खाने पीने लिए ज्यादा उतावला नहीं होता हूं ...बूढ़ा हो गया हूं .... चिड़िया भोजन हों गया है भूख नहीं लगती है फिर भी खाने कि रस्म जरूर निभाता हूं । खाता जरूर हूं .. और ऐसा करके अपने पुराने बचपन के दिनों को याद करता हूं।
    कहते है समय परिवर्तन शील होता है इसलिए संबंधों के साथ नए रिश्ते भी बनते है और रिश्ते टूटते भी है ।मेरे परिवार में भी नए रिश्ते बने और टूटे भी । इस बार श्वेटा और सारिका .... विक्की रिंकू भाभी और अनमोल सुरमय के साथ घर आए ..डिक्की भी अपनी मम्मी के साथ आ गया । खूब धूमधाम रही ... पूरे दिन हलचल मची रही और रिश्तों की मिठास से घर भर गया.... खूबआनंद आया ..सबकी पसंद का खाना बना और सबने मिलकर खाया ... ऐसा मौका कभी कभी ही मिलता है इसलिए मन में बड़ी प्रसन्नता हुई । प्रीति ने छोले भटूरे बनाए थे यह मुझे बेहद पसंद हैं ... हमेशा सोचता हूं कि स्नेह का यह धागा रिश्तों में कितनी मिठास भर देता है और मन कितना प्रसन्न हों जाता है ।
सभी को रक्षाबंधन की बधाई 

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