रिपोर्ट मतलब हिस्से की बात
रिपोर्ट मतलब हिस्से की बात
अब लाल तो हममें चिपके नहीं थी लेकिन बचपन से ही हमारे बाप को यह आभास हो गया था कि हम जरूर घर का नाम डुबो कर रहेंगे। तो उन्होंने घूरे से ज्यादा कुछ नहीं कहा। लिहाजा गली में मोहल्ले में नाते दारों और रिश्तेदारों में हम घूरे के नाम से मशहूर थे।
जब हाई स्कूल पास कर इंटर में 4 साल फेल होने के बाद सरकारी सर्विस में बाबू बने तो हमने अपना नाम छुपा कर जी एल पंडित होने की कोशिश की तो भला हो उस सत्यापन बाबू का जिसने फार्म में हमारा पूरा नाम लिखा और फिर हम ऑफिस में घूरे के नाम से मशहूर हो गए।
खैर यह मामला एक अलग मसला है सच तो यह था किस सम्मान सहित अपने नाम का उच्चारण फ़िलहाल हमारे लिए सपना था और हमने सोच लिया शायद ही यह सपना पूरा हो लेकिन उस रात हम सचमुच ही आश्चर्यचकित रह गए जब हमने सुना कि कोई हमें बड़े सम्मान सहित पुकार रहा है घूरेलाल जी श्रीमान घूरे लाल साहब मिस्टर घूरे लाल जी आदरणीय घूरे लाल महोदय न जाने क्या क्या हमारा दिल वलियों उछलने लगा हम समझे हम सपना देख रहे हैं मगर भला हो उस चूहे का जो हमारी चादर में घुसकर हमारे कान कुतर गया और एहसास करा गया कि हम सपना नहीं देख रहे थे बल्कि सचमुच कोई हमें पुकार रहा था। हमारा दिल रोमांच से भर गया मगर दूसरे ही क्षण हम थरथर कांपने लगे ।सामने वाले कमरे में जिसमें हमारी और हमारे स्वर्गीय बाप की कमाई सुरक्षित रखी थी वहां हमें कोई बड़े जोर-जोर से पुकार रहा था ।घूरे लाल जी घूरे लाल महोदय ।हमारे बाल सीधे खड़े हो गए और सांस अपने स्थान पर रुक गई फिर हम कांपने लगे।
चोर सबसे पहला शब्द हमारे दिमाग में बिजली की तरह कोंधा था हमने लपक कर बिजली जलाई तो पता चला बिजली गायब है ।तभी हमारे मुंह पर टॉर्च की रोशनी हुई और चोर महोदय के स्वर सुनाई पड़े - श्रीमान गघूरे लाल जी घबराइए नहीं दरअसल मैं आपकी कैद में हूं अब आप ही हमें मुक्ति दिला सकते हैं। यह सुन हमारी बांछें खिल गई ।हमारे बाप ने अपनी करामाती बुद्धि से कमरे में एक ऐसा ऑटोमेटिक ताला फिट किया था जिस की तरकीब सिर्फ हमारे पास थी ।चोर महोदय हमारी कैद में हो गए थे ।तब अपनी डेढ़ पसली के शरीर में यकायक हिम्मत आ गई और हमने अपने बगल में रखा डंडा जिससे कभी हमारे बाप हमारी पिटाई किया करते थे और अब हम जिससे गली के कुत्ते भगाने का काम करते थे ,उठा लिया और सीधे कमरे के पास जा पहुंचे।
चोर महोदय हमारे पास पहुंचने पर बोली श्रीमान यह तो सही है यदि यह आपका ऑटोमेटिक ताला ना होता तो यकीनन में आपका माल ले उड़ता मगर अब तो बात ही दूसरी है मैं चाहता हूं आप मुझसे सौदा कर ले ।
सौदा अरे भाई कैसा सौदा ...मेने कहा
चोर बोला अजी साहब यही कि आप मुझे छोड़ दें और बदले में क्या,....... कुछ ले ले .
हमारी अक्ल चकरा गई। ऐसा कैसे हो सकता है एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी
हमारी बात पर चोर हंसा घूरे लाल जी कैसी बातें करते हैं आप देखिए मैं तो आपक फायदे के लिए ही कह रहा हूं ...नहीं तो आप बेकार के चक्कर में फस जाएंगे।
मैंने कहा...चक्कर कैसा चक्कर ।
मुझे घबराहट हो रही थी और मैं अपनी घबराहट पर काबू रखने का प्रयास कर रहा था।
चोर बोला ..यही पुलिस का चक्कर।
मैंने कहा ...पुलिस का चक्कर। हे भगवान यह क्या कह रहा है ।
मन ही मन सोचने लगा।क्या यह ठीक कह रहा है ।फिर ख्याल आया आज गस्त की सीटी क्यों नहीं बज रही है पड़ोसी भी खर्राटे भर रहे हैं ।
क्या सोच रहे हैं श्रीमान ....चोर महोदय ने हमारी तंद्रा भंग की ।
हम सभलेऔर फिर कड़क कर कहा - पुलिस पुलिस का क्या चक्कर होगा। हम अभी शोर मचाते हैं।
चोर बोला... ना ना ना ना ऐसा मत कीजिए।
श्रीमान आप समझते क्यों नहीं ।
चोर हमें समझाने लगा।
देखिए आप अगर शोर मचाएंगे तो ज्यादा से ज्यादा मेरी पिटाई हो जाएगी और पुलिस में दे दिया जाएगा लेकिन इससे क्या होगा।
जरा सोचिए आपका क्या होगा ।
आपसे दुनिया भर की पूछताछ की जाएगी शायद आपका सामान जो मैंने गटरी बनाकर रखा है जमा हो जाए ।कचहरी के चक्कर लगाने पड़े सो अलग और मुकदमे में जो परेशानी होगी वह अलग ।सोचिए आपका क्या होगा । जरा ध्यान से सोचिए ।
हम सोच में पड़ गए ।
रोज-रोज की खबरें हमारे दिमाग में टकराने लगी ।
उधर चोर महोदय कानून और पुलिस का उपदेश देते रहे।
इस पर हमने तरह-तरह की बाते सोच डाली । ईमानदारी की और बेईमानी की भी। और अंत में एक आम आदमी की तरह फैसला कर डाला कि हमें जिसमें ज्यादा लाभ है उसी में अमल किया जाए ।अर्थात किसी झंझट में ना फंसा जाए।
लिहाजा मैं ऊंचे स्वर में खांसा ।
चोर ने मुस्कुराकर कहा -जनाब आपने सही सोचा ।आप समझदार आदमी मालूम देते हैं।
मैंने कुछ नहीं कहा और चुपचाप ऑटोमेटिक ताला खोल दिया।
चोर हंसते हुए बाहर निकला और उसने मुझे धन्यवाद दिया और फिर अपनी पेंट की जेब से नोटों की गड्डी निकाल कर मेरे सामने वही पटक दिया और दीवार फांद कर गायब हो गया।
हम नोटों की गड्डी को देखने लगे किसका क्या किया जाए। सांप छछूंदर की स्थिति हो गई ।फिलहाल हमने सिर्फ को झटका दिया और सोचा सवेरे इसके बारे में फैसला करेंगे।
सारी रात हम इसी के बारे में सोचते रहे। सुबह जब पों फटने लगी तो हमारी नींद लग गई।
शायद हम काफी देर तक सोते... मगर बुरा हो उस शोर शराबे का जिसेने हमें पुनः जगा दिया।
कोई हमारे दरवाजे को बुरी तरह पीटा रहा था
घूरे लाल ओ घूरेलाल ।
क्या बवाल है भाई.... हम बढ़ बढ़ाते हुए उठे=और दरवाजा खोला । खुलते ही दंग रह गए। मोहल्ले के नुमाइशी लोगों के साथ पुलिस का इंस्पेक्टर दो सिपाहियों के साथ खड़ा था।
क्या बात है ...हमारी मुंह में बात अटक गई ।
इंस्पेक्टर ने घुर कर हमें देखा और बोला - तो आपका नाम घूरेलाल है ।
जी हां मेरा नाम है
इंस्पेक्टर बोला - बड़े चतुर मालूम देते हो ।
जी ...
जी जी कुछ नहीं। कानून अपने हाथ में लेते हो।
मैंने पूछा -,मगर मैंने किया क्या है .
किया क्या है थाने चलकर सब पता चल जाएगा ।
हमने दयानिय नजरों से भीड़ को देखा ।भीड़ हमें अनोखी नजर से देख रही थी ।हमने कुछ कहना चाहा तभी पुलिस की दोनों सिपाही घर में घुसकर मुआयना करने लगे ।मैं चिल्लाया यह क्या कर रहे हैं आप ।इस्पेक्टर बोला यह आपके जुर्म को तलाश रही है ।
मगर मैंने तो कोई जुर्म नहीं किया है
मिल गया साहब ...अचानक दोनों सिपाही निकलकर बाहर आए। इस्पेक्टर ने कहा कि इन्हे ले चलो ।
मैं हड़बड़ा गया मगर दोनों सिपाही जबरदस्ती मुझे घसीट कर ले जाने लगे। मैं मजबूर हो उनके साथ जाने लगा।
थाने पहुंचकर थानेदार के सामने मुझे खड़ा कर दिया गया .मैं खड़ा हो गया .तमाशाइयों की भीड़ खदेड़ दी गई ।थानेदार ने घूरकर देखा और कहा ।।।बडे बदमाश लगते हो ...सरेआम कानून हाथ में ले लिया और ऊपर से रिश्वत भी ...
रिश्वत मैं चौका
थानेदार गुर्राया ...ज्यादा मत बनो हमारे पास सारी रिपोर्ट है ।कल रात तुमने चोर से रिश्वत ली थी और बजाय पुलिस में देने के उसे छोड़ दिया।
हम विस्मित रह गए। थानेदार रात की सारी घटना हमे एक एक कर सुना रहा था ।
तुम्हारी इतनी मजाल कि हमारे रहते हुए सारा सौदा खुद ही पटा लिया।
हमारी आंखों में आंसू टपकने लगे। खजूर से गिरा तो पीपल में आ अटका ।
तभी थानेदार अचानक मुस्कुराया... सुनो मिस्टर घूरे लाल.. चाहो तो हम तुम्हें बचा सकते हैं हम चौंक कर देखने लगे ...फिर धीमे धीमे शब्दों मे हमने बहुत सी बातें सुनी और फिर हमारे मुंह से निकला ...मंजूर है ।
रिपोर्ट रद्द करने का फैसला मोटी रकम में हो गया ।
चोर वाली गड्डी भी चली गई ।
हमें छोड़ दिया गया ।
पिटे पिटाये से उदास चेहरा लिए ज्यों ही हमने कदम बढ़ाया अचानक चौक पड़े ।
सामने थाने के अंदर से वही चोर हमारे पास आ रहा था ।हमें देख मुस्कुराया और बोला- श्रीमान माफ करना रिपोर्ट करनी जरूरी थी ।
और फिर हिस्से की जो बात थी।

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