होली उत्सव

फागुन मास में बसंत पंचमी से होली उत्सव आरंभ हो जाता है.. तब  संगीत गोष्ठी में राग बसंत में होली की बंदिशें सुनाई देने लगती है.. और यह सिलसिला चेत मास तक चलता रहता है ।लोक संगीत उप शास्त्रीय संगीत दादरा ठुमरी धमार और चैती में होली गायन होता रहता है। 
ख्याल गायन और ध्रुपद में ज्यादातर बंदिशे ब्रिज भाषा में होती है और इसमें राधा कृष्ण की होली और उनकी लीलाओं का वर्णन होता है ।कुछ बंदिशें अवधी भाषा में भी सुनाई देती है .इसमें भगवान राम की बाल लीलाओं का वर्णन होता है। चैत मास में चैती गायन पूरी तरह भगवान श्रीराम को समर्पित होता है और उसकी सारी बंदिशें भगवान राम की बाल लीलाओं पर आधारित होती है।
    फागुन और चैत मास में होली गायन की परंपरा अति प्राचीन हैं । इसी अवसर पर होली उत्सव जैसे कार्यक्रम भी  आयोजित  किए जाते हैं।
      भारतीय संगीतालय के संस्थापक पंडित गोपाल लक्ष्मण गूने जी ने विद्यालय की स्थापना के साथ ही होली उत्सव आयोजित करने की  परंपरा 1944 में आरंभ की थी ..जो आज 75 साल के बाद में नियमित रूप से आयोजित की जा रही है.
    16 मार्च 2022 को इसी अनुक्रम में होली उत्सव का आयोजन विद्यालय परिसर में आयोजित किया गया ।जिसमें बड़ी संख्या में विद्यालय की वर्तमान और पूर्व विद्यार्थियों के साथ विद्यालय के अध्यापक गण संगीत प्रेमी और कलाकार उपस्थित हुए ।
कार्यक्रम में विद्यालय के  विद्यार्थियों शिक्षकों ने होली की मधुर प्रस्तुति दी तो आमंत्रित कलाकारों ने भी होली की बंदिश सुना कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
 उत्सव  का संचालन सुश्री लीना परमार ने किया और व्यवस्था भारतीय संगीतालय छात्र समिति की रही ।। विद्यालय के प्रधानाचार्य पंडित गजेंद्र सिंह ने सभी को धन्यवाद दिया और होली की शुभकामनाएं दी।

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