भगवान की मर्जी

भगवान की मर्जी 

उन्होंने मुझे घुर कर देखा और फिर बोले ..अजीब आदमी हो यार ...योग करते नहीं हो व्यावाम करते नहीं हो टहलने जाते नहीं जीभ पर कोई नियंत्रण नहीं एलोपैथी दवा लेते हो और तकलीफ देह जिंदगी गुजार रहे हो 
तो क्या करूं बंधु 
अरे अपनी जीवन शैली बदलो और क्या 
केसे बदलूं  
केसे बदलू क्या मतलब तुम्हारा ..भाई योग करों टहलने जाओ खाने पीने पर नियंत्रण रखो और जो एलोपैथी दवाएं ले रहे हो उसे हटाओ ...आयुर्वेद की दवा लो मस्त रहोगे मेरी तरह वरना ऐसे तड़पते ही रहोगे ...जिंदगी नरक बन जाएगी 
मेने कहा... शायद तुम ठीक कहते हो लेकिन क्या करूं योग में मन लगता नहीं ..टहलने के लिए पैरों में दम नहीं अब जीभ पर केसे नियंत्रण करू अब जीवन में बस यहीं तो बचा है बाकी सब तो ख़तम हो गया है ।
एलोपैथी इसलिए लेता हूं तो तकलीफ कम हो जाती और दवा लेने में झंझ्ट तो नहीं 
मेरी बात सुनकर वे व्यंग से मुस्कुराए फिर बोले अच्छा कितने साल के हो गए हो 
72 पार कर चुका हूं 
क्या ....
उनका मुंह चोड़ा हो गया बोले ...अरे केसे इतने बड़े हो गए  
मेरे हिसाब से तो तुम्हे दस साल पहले टपक जाना चाहिए था 
मेने कहा.. सब भगवान की मर्जी 
भगवान की मर्जी ..वे बोले बंधु तुम जैसे लोग सब भगवान पर छोड़ कर अपना पल्ला झाड़ लेते है अब तुमसे क्या कहे ..कुछ अपनी मर्जी से भी तो करों ।
मेने पूछा क्या करूं ।
अपनी जीवन शैली बदलो और क्या ...मुझे देखो अभी मै पैंतालीस का हो गया लेकिन फुर्ती बीस साल के जवान जैसी है कोई बीमारी नहीं ..योग करता हूं ..टहलने जाता हूं.. जीभ पर नियंत्रण रखता हूं ..आयुर्वेद पर विश्वास है और देख तुम्हारी उम्र आते आते ऐसा ही रहूंगा बल्कि सौ साल तक जियुंगा ।
अपनी बात कह कर वे तो चले गए लेकिन मुझे उलझन में छोड़ गए। मै कई दिनों तक विचारों के झुलेे में झूलता रहा और फिर एक दिन निर्णय लिया की मुझे अपनी जीवन शैली बदलनी चाहिए 
तब वे मुझे याद आए और टिप्स लेने के लिए मेने फिर उन्हें फोन किया । फोन उनके बेटे ने उठाया
 मेने उससे पूछा ....बेटा पापा कहां हैं
 उसने रोते हुए कहा ...अंकल पापा तो एक महीना हुआ दुनिया से चले गए 
अरे केसे ...
अचानक दिल का दौरा पड़ा और मर गए 
लेकिन वो तो एकदम स्वस्थ थे और अभी उनकी उम्र भी इतनी नहीं थी 
अंकल क्या कहे... सब भगवान की मर्जी 
फिर मैने कई लोगो से पूछा... मित्रों से रिश्तेदारों से सारी घटना पर सभी ने एक ही बात कही ..भगवान की मर्जी ।
में सोचने लगा कि जब सारा संसार भगवान कि मर्जी से चलता है तो में क्यो टेंशन लूं ।क्यों जीवन शेली बदलू  ।   मैने अपना विचार त्याा दिय  और चादर तान के सो गया अब जो होगा सो देखा जायेगा ...बाकी भगवान की मर्जी 
 -विजय राघव आचार्य 

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