अकल्पनीय
सवेरे की चाय पी कर मैं अखबार लेकर बैठा ही था यह फोन की घंटी बजने लगी मैंने फोन उठाया और कहा हेलो
दूसरी ओर से आवाज आई मैं सीएम ऑफिस से बोल रहा हूं क्या कुसुम लता जी से बातचीत हो पाएगी
जी मैं उनका बेटा बोल रहा हूं मैंने कहा
अच्छा कुसुम लता जी कैसी हैं कोई परेशानी तो नहीं है उन्हें
जी उनको कोविड-19 हुआ है
अच्छा क्या आपकी शहर की डीएम ने आपसे संपर्क किया
जी नहीं मैंने छोटा सा जवाब दिया
अच्छा क्या आपको दवाइयां मिली
जी नहीं
अच्छा क्या आपने डीएम ऑफिस को फोन किया और दवाइयों की मांग की
जी ऐसा तो मैंने नहीं किया
अच्छा ठीक है यदि कोई परेशानी हो कोई दिक्कत हो मदद चाहिए तो आप इस टेलीफोन नंबर पर फोन कर सकते हैं
फोन कट गया और मैं सोचने लगा कल ही तो शाम को मेरी कोवेट रिपोर्ट आई है और आज सवेरे सवेरे सीएम ऑफिस से फोन आ गया
मैं अभी इसके बारे में सोच ही रहा था की दरवाजे की घंटी बजी
कौन आ गया सवेरे सवेरे मैं बड़े बढ़ाते हुए उठा
दरवाजे पर एक व्यक्ति खड़ा था और सामने ही एक एंबुलेंस खड़ी थी
उस व्यक्ति ने कहा जी मैं डीएम ऑफिस से आया हूं कुसुम लता जी कैसी हैं
मैंने कहा जी उन्हें कोविड-19 हुआ है
अच्छा आपके घर में और कौन-कौन है
मैंने कहा हम चार लोग हैं और तीन लोगों को कॉविड हुआ है।
उसने कहा ठीक है यह 3 लोगों के लिए दवाइयां हैं आप इन्हें ठीक से लें और 4 दिन बाद आप ठीक हो जाएंगे और यदि कोई परेशानी हो दिक्कत हो तो हमें बताइएगा जरूर
उसने कहा घर के बाकी लोगों की जांच के लिए एक टीम आपके घर आएगी और सारी जांच कर आपको दवाइयां देखी और आपकी मदद भी करेगी
उसने मेरे हाथों में दवाइयों का पैकेट थमा दिया और फिर एक कार्ड देते हुए कहा यदि कोई परेशानियों हो कोई दिक्कत हो मदद चाहिए तो फौरन इस नंबर पर कॉल कर सकते हैं हम आपकी तुरंत मदद करेंगे
मैंने दवाइयां हाथ में ले ली और आश्चर्य करने लगा वह व्यक्ति चला गया और फिर एंबुलेंस तेजी से धूल उड़ाती चली गई। मैं काफी देर तक उड़ती हुई धूल के गुब्बारे देखता रहा और सोचता रहा।
मैं हतप्रभ था और मेरे मन में तेजी से विचार आ रहे थे । मैं सोच भी नहीं सकता था कि सरकारी व्यवस्था इतनी तत्पर भी हो सकती है ... मेरे लिए तो यहअकल्पनीय था।
मेरे विचार पंख लगाकर उड़ने ल गे।

Comments
Post a Comment