बैठे ठाले फेसबुक का चक्कर

बैठे ठाले ....फेसबुक का चक्कर 
    
       गलती से मेरी एक आई दी और बन गई ।अब बन गई तो फिर चलानी भी पड़ी । मैने पोस्ट डाली तो प्रतिक्रिया भी आने लगी और फिर मित्र निवेदन भी आने लगे ।ये मित्र निवेदन ज्यादातर मेरे उन मित्रों रिश्तेदारों और पहचान वालों के थे ...जो पहले भी मेरे पहली आई डी के साथ जुड़े थे । खास बात थी कि ज्यादातर को मेरी पोस्ट दिखाई नहीं देती थी... जो कभी मेरी पोस्टों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते थे... लेकिन मित्र निवेदन करने में इतनी तेजी दिखाई की आश्चर्य होने लगा ।
ऐसा भी नहीं है कि वे फेस बुक पर सक्रिय नहीं है। जब दूसरी की पोस्ट पर उनकी त्वरित प्रतिक्रिया देखता हूं तो पाता चल जाता है कि उनके मन में क्या है ।में जानता हूं कि फेस बुक पर रिश्तेदार मित्र खूब खुन्नस निकलते है और खुलकर भेदभाव करते है ।इससे मुझे पता चल जाता है कि उनके मन में मेरे प्रति केसे भाव है । कोई बात नहीं पोस्ट लिखना मेरी मजबूरी है और में लिखता रहूंगा ।मुझे यह तो यकीन है कि वे मेरी पोस्ट तो पढ़ते रहते हैं। बस इतना ही मेरे लिए पर्याप्त है ।यह जानते हुए की वेअपनी आदत और सोच कभी नहीं बदलेंगे ....फिर भी मै उनके मित्र अनुरोध स्वीकार कर लेता हूं । क्योंकि ये मेरी आदत है और खुलकर अपनी बात कहने में मुझे कोई परहेज नहीं है 

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