भरोसा

भरोसा
ऑटो से उतार कर मैंने ऑटो वाले को पांच का सटका सिक्का दीया तो उसने कहा.. खुले पैसे नहीं है क्या..
 मैंने कहा.. नहीं 
तो उसने कहा ...मेरे पास भी खुले पैसे नहीं हैं 
 फिर पूछा ..क्या आप रामबाग जाएंगे.
 मैंने कहा ..हां रामबाग जाऊंगा 
तब उसने मेरे सहयात्री को पैसे देते हुए कहा ..आप इनसे पैसे ले लीजिएगा।  
उसने मेरे सहयात्री को  पैसे दे दिए।
 सहयात्री ने कहा.. चलिए बाबा 
मैं उसके साथ चलने लगा  
 हमें वहां से  थोड़ी दूर पर चौराहा पार कर पुल के पास जाना था। जहां से हमें रामबाग के लिए ऑटो मिल जाथे थे । सहयात्री साथ चलने लगा और फिर उसकी चाल तेज हो गई ।
मैंने  उससे कहा भी.. भाई जरा धीरे चलो.. मैं तेज चल नहीं सकता। लेकिन उसने नहीं सुनी और तेजी से चल ते हुई गायब हो गया ।
मैंने इधर उधर देखा और पुल के पास जाकर ऑटो मैं भी देखा.. लेकिन वो  मुझे नहीं मिला। मैं ठगा सा रह गया और समझ गया उसके मन में पाप  आ गयाऔर वो बेईमान हो गया ।मुझे बड़ा क्रोध आया कि मात्र दो रुपए के लिए उसने बेईमानी की।
 यद्यपि दो रुपए मेरे लिए कोई मायने नहीं रखते थे लेकिन उसकी बेईमानी से मुझे बहुत  क्रोध आया और मैंने यह सबक लिया कि मुझे  ऐसे ही  किसी पर भरोसा नहीं करना चाहिए।
फिर कुछ दिनों बाद मुझे किसी काम से रेल यात्रा करनी पड़ी । रेल यात्रा मेरे लिए कठिन थी ।एक तो मै तेज  नहीं चल पाता था .दूसरा सामान लेकर चलना मेरे लिए असंभव था.. फिर मुझे रेल के डिब्बे में चढ़ना कठिन मालूम देता था.. इसलिए मैंने एक कुली से बातचीत की और अपनी परेशानी बताते हुए कहा.. मुझे डिब्बे में आराम से चढ़ाना है।
 उसने कहा ..बाबूजी कोई फिक्र मत कीजिए मैं आराम से आपको  डिब्बे में चढ़ा दूंगा.. लेकिन ..मैं इसके लिए ₹200 लूंगा।
 मुझे यह पैसे ज्यादा लगे  लेकिन फिर भी अपनी परेशानियों को देखते हुए  मैंने स्वीकार कर लिया।
फिर  कुली ने ट्रेन आने पर मुझे आराम से डिब्बे में चढ़ा दिया और बर्थ पर सामान रखते हुए कहा ..बाबूजी अपना सामान गिन लो 
मैंने  सामान देखा और कहां ..ठीक है
 फिर मैंने अपनी जेब से पांच सौ निकाल कर कहा ..तुम्हारे पास तीन सौ हैं ।
उसने कहा ..नहीं बाबू जी मेरे पास तीन सो  नहीं है ।
मैंने कहा.. तुम तीन सो ले आओ और यह पांच सी रुपए का नोट ले जाओ
 उसने कहा ..बाबूजी मैं कहां से लाऊंगा । आप ऐसा कीजिए यह पांच सौ का नोट मुझे दे दीजिए ..मैं उसे अभी  खुला कर आपको दे दूंगा।
 मैंने संदेह प्रकट किया.. यदि तुम लेकर नहीं आए तो मैं क्या करूंगा ।
उसने कहा.. बाबूजी हम बेईमान नहीं है हमारे बाल बच्चों की कसम.. मुझ पर भरोसा कीजिए।
 मैं सोचने लगा तो उसने कहा.. बाबूजी गाड़ी ज्यादा देर नहीं ठहरती है.. आप मुझ पर भरोसा कीजिए
 मैंने उसे पांच सो  रुपए का नोट दे दिया और कहा.. मेरा भरोसा मत तोड़ना. 
कुली चला गया और थोड़ी देर बाढ़ ट्रेन ने सीटी दी और चल दी .
.कुली नहीं आया ।
मेरा मन खराब हो गया ।मैंने मान लिया कि कुली भी बेईमान निकला। मुझे बार-बर क्रोध आ रहा था ..कैसे बोल रहा था ..मैं बेईमान नहीं हूं ..बाल बच्चों की कसम मेरा भरोसा कीजिए आपके पैसे आप को मिल जाएंगे लेकिन....
ट्रेन ने रफ्तार पकड़ ली थी और मेरे दिमाग में भी तेजी से  खयाल आ रहे थे  .. पता नहीं क्यों लोग छोटी-छोटी बातों पर ही है बेईमान हो जाते हैं मेरी ही गलती थी जो मैंने उस पर भरोसा किया था 
ट्रेन की रफ्तार कम होनी लगी थी ..शायद धौलपुर स्टेशन आ गया था ..जैसे ही गाड़ी प्लेटफार्म पर रुकी  मैं खिड़की से झांककर बाहर की गर्ल्स दृश्य देखने लगा ..लेकिन मेरा मन बेचैन था और रह रह कर मुझे कुली पर ग्रोथ क्रोध आ रहा था ..तभी किसी ने मुझे आवाज दी ...बाबूजी 
मैंने चौका कर देखा तो सामने कुली खड़ा था।
 बाबूजी माफ कीजिए  पैसे खुलवाने में देर हो गई और गाड़ी चल दी थी इसलिए मैं पीछे के डिब्बे में चल गया था और अब स्टेशन आया तो मैं आपके पास आ गया। 
उसने  तीन सो  रुपए मुझे देते हुए फिर कहा ..बाबूजी आप सोच रहे होंगे कि मैं बेईमान निकला लेकिन बाबू जी मैं बेईमान नहीं हूं ।
उसकी बातें शंकर सुनकर मेरी आंखें गीली हो गई और मैंने अपनी जेब से पांच सौ  का नोट निकालकर उसे दिया और कहा.. तुमने मेरा भरोसा कायम रखा है और बता दिया है दुनिया में सिर्फ बेईमान नहीं बल्कि ईमानदार लोग भी होती है।
 उसने हाथ जोड़कर कहा.. बाबूजी 
कुली चला गया और ट्रेन  ने फिर रफ्तार पकड़ ली थी। 
 मेरा मन यह सोच कर  प्रफुल्लित हो गया कि कुली कितना  इमानदार था ..लेकिन अगले  क्षण फिर  मुझे क्रोध पानी लगा और यह क्रोध किसी और पर नहीं था बल्कि उस व्यक्ति पर थी जो मेरे दो रुपए  लेकर भाग गया था।
दो रुपए की मामूली रकम पर उसकी बेईमानी मुझे बर्दाश्त नहीं हो पा रही थी।।

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