राजा ठाकुर की हवेली
राजा ठाकुर की हवेली
हवेली को देख कर हम लोग रोमांचित हो गए ।यतेंद्र ने कहा मेरे अनुमान से यह लगभग 400 साल पुरानी होगी ।ब्रिजेश ने कहा यह हवेली जब अपनी पूर्णता पर होगी तो निश्चय ही भव्य और शानदार होगी । मै तो हवेली को देखकर उसके आतीत की कल्पना करने लगा था ।
हवेली के चारो ओर जंगल था ।जंगल में चारो ओर
जानवरो ओर पक्षियों का शोर मचा हुआ था ।जंगल से काफी दूर एक बस्ती थी ।बस्ती में मुश्किल से बीस पच्चीस घर रहे होंगे ।उसी बस्ती में हमारा एक मित्र प्रधान रहता था.. उसी ने हमें इस हवेली के बारे ने बताया था ।उसने कहा था ..पंडित जी हमारी बस्ती से थोड़ी दूर जंगल के मध्य में एक पुरानी हवेली है ..एकदम उपेक्षित।कभी हवेली आबाद रही होगी लेकिन अब तो उसके खंडहर ही बचे हैं ।वहां सन्नाटा पसरा रहता हैं और वह हवेली सुनसान रहती हैं ।
हवेली के बारे में सुनकर हमारी जिज्ञासा बढ गई और हम लोग यहां आ गए ।
दरअसल हम लोगो को ऐसे स्थानों पर जाना रोमांचक लगता था और जब भी हमें किसी ऐसे स्थानों की जानकार मिलती हम लोग अपना कैमरा लेकर पहुंच जाते और दिन भर घूमते रहते.. फोटोग्राफी करते ओर वीडियो बनाते ।आज भी हम यही सोच कर आए थे ।
जब हम बस्ती से चले थे प्रधान ने कहा था.. पंडित जी शाम होते ही चले आना ..अंदर होने का इंतजार मत करना ।
मेने हूं कहा तो उसने कहा ..पंडित जी मेरी बात का ध्यान रखना वो जगह सही नहीं हैं।बस्ती के लोग भी रात होने पर उधर नहीं जाते हैं ।
मेने कहा क्यों.. क्या वहां प्रेतात्मा घूमती है या भूत विचरण करते हैं ।
प्रेतात्मा की बात सुनकर उसके चेहरे पर भय के भाव छा गए उसने कहा ..पंडित जी यहीं समझ लो
मेने तब यतेंद्र और बृजेश की तरफ देखा उन्होंने मुस्कुरा कर कहा ..तब तो बहुत अच्छी बात होगी ।
प्रधान कहने कहा .,आप खतरा क्यों मोल लेते हैं प्लीज़ मेरी बात मान लीजिए
मेने कहा ..ठीक हैं हम शाम होते ही लोट आएंगे लेकिन सच्चाई तो यह थी कि हम ए यह तय कर लिया था कि।हम शाम को नहीं लोट रहे थे ।
सवेरे के दस बजे थे और हम हवेली के सामने खड़े थे ।
प्रधान ने हमे हवेली के बारे सिर्फ यही बताया था कि हवेली किसी राजा ठाकुर की थी जो एक लड़ाक था ।उसने कई युद्ध लड़े थे ।
हम हवेली के बारे में और भी जानाना चाहते थे लेकिन हमें कोई कुछ नहीं बता रहा था ।हमें हवेली के आस पास भेद बकरियां और गाय ओर बछड़े दिखाई दिए ।थोड़ा अन्दर घुस तो वह कुछ चरवाहे आपदा में गपशप मारते और ताध पत्ता खेलते मिले ।हमने उनसे भी हवेली।के बारे में जाना चाहा तो उन्होंने बताया कि हवेली किसी राजा ठाकुर की हैं ऐसा हमारे बाबा हमें बताते हैं । हम इससे ज्यादा कुछ नहीं जानते लेकिन उन्होंने एक बात बताई कि यहां से थोड़ी दूर पर एक छतरी बनी हैं वहां एक पत्थर पर कुछ लिखा हैं ।हम
पढ़े लिखे नहीं हैं आप लोग पढ़े लिखे हैं आप पढ़ सकते हैं ।
चरवाहों की यह जानकारी ही हमारे लिए काफी थी। हम लोग फिर छतरी की तलाश में लग गए छतरी हवेली से ज्यादा दूर नहीं थी लाल पत्थरों से बनी इस छतरी में एक शिलालेख था जिसे पढ़ने पर यह जानकारी मिली यह छतरी किसी राजा ठाकुर की स्मृति में बनाई गई थी जो एक वीर योद्धा था। उसमें जो तारीख लिखी गई थी उससे यह सिद्ध हो गया की हवेली लगभग 400 पुरानी ही होगी।
हम लोग वापस हवेली की ओर आ गए। अब हमने हवेली की अंदर जाने का फैसला किया। हवेली लगभग खंडहर हो चुकी थी लेकिन उसका मुख्य दरवाजा अभी सुरक्षित था लेकिन वहां दरवाजा नहीं था। हवेली की चार दिवारी भी जगह जगह से खंडहर हो चुकी थी।। हवेली का आंगन काफी बड़ा और फैला हुआ था। आंगन का फर्ज काफी स्थानों से टूटा हुआ था और वहां जंगली घास और पेड़ पौधे हो गए थे लेकिन ।फिर भी उसकी भव्यता में कोई वर्क नहीं आया था और हम उसके अतीत के बारे में कल्पना कर रहे थे। हवेली दो मंजिला थी लेकिन उसके अधिकांश कमरे गायब हो चुके थे। हवेली की छत भी लगभग गायब थी ।छत के ऊपर जाने वाली घुमाव दार सीढ़ियां भी नष्ट प्राय ही चुकी थी ।हम लोग बड़ी मुश्किल से उन सीढ़ियों पर चढ़कर छत पर पहुंचे और बावी खूची हवेली की छत से चारों तरफ का नजारा देखा। हवेली के चारों तरफ दूर-दूर तक जंगल दिखाई दिया और इस बियाबान जंगल में हमें पक्षियों का कलरव मधुर मालूम दिया ।हम दिन भर हवेली मैं घूमते रहे और हमने जी भर वीडियो बनाई और फोटो खींचे। इन सब कार्यों में हम काफी थक गए थे लेकिन हमारा रोमांच कम नहीं हुआ था।
हम अपने साथ लंच लेकर आए थे साथ ही हमारे पास रेडीमेड कॉफी और सूखे मेवे भी थे । हमने हवेली में पहली मंजिल पर एक ऐसा स्थान ढूंढ लिया था जहां
हम बैठकर गपशप कर सकते थे और सो भी सकते थे ।
हमने ऐसा ही किया था ।दोपहर हमने लंच कर लिया और दो घंटे सो भी लिए । हमें नींद भरपूर आई और हमारी थकान भी कम हो गई थी
धीरे धीरे शाम हो चली थी और हम हवेली का पूरा संदर्शन कर चुके थे ।यतेंद्र ने घड़ी में समय देखा शाम के पांच बजने वाली वाले थे। चरवाहे अब लौटने की तैयारी कर रहे थे । उन्होंने हमें आवाज दी... बाबूजी हम लोग वापिस जा रहे हैं ..आप भी हमारे साथ चलो.. यहां ज्यादा देर रुकना ठीक नहीं है ...बस्ती में लोग यही कहते हैं.
मैंने हंसकर पूछा.. क्यों ऐसी क्या बात है ??
उन्होंने कहा ..बस यह डरावनी जगह है और यहां रात होते है भयानक आवाज में आने लगती है।
मैंने पूछा ..और क्या
उन्होंने कहा ..हमें पता नहीं लेकिन बस्ती में चर्चा है.. यहां राजा ठाकुर की प्रेत आत्मा आती है और पूनम की रात यहां घूमती हैं ।
बाबूजी आज पूनम की रात है।
चरवाहों की बात सुनकर यतेंद्र और बृजेश की आंखों में चमक आ गई और कहने लगे ..भईये.. तब तो यहां हवेली में हमें रात गुजारनी चाहिए ताकि राजा ठाकुर की प्रेतात्मा से मुलाकात हो ।
कितना आनंद आएगा।
बृजेश ने कहा ..भईये तुम डर तो नहीं जाओगे ।
अरे बंधु क्यों नहीं डरूंगा..आखिर प्रेतात्मा तो प्रेतात्मा होती हैं .. मेने कहा
तो फिर क्या करोगे.. यतेंद्र ने पूछा
बंधु मै क्या करूंगा करेगी तो प्रेतात्मा ही.. मेने हंसते हुए कहा .
मेरी बात सुनकर दोनों ठठाकर हंस पड़े
बृजेश ने कहा.. सब अंधविश्वास हैं लोगों को तो किस्सा गढ़ने की आदत होती हैं ।
यतेंद्र ने कहा.. भईये हम तो कई ऐसे स्थानों पर गए है जिन्हे लोग भूतिया कहते थे.. तरह तरह के किससे सुनाते थे लेकिन कुछ नहीं सब कोरी बाते निकली ।
यतेंद्र की बस्ते सुनकर सब गंभीर हों गए । ।
रात गहराने लगी थी ।हवेली में भयानक सन्नाटा पसरा गया था और अंधेरे में तरह-तरह की आकृति नजर रही थी तभी प्रधान का फोन आ गया
पंडित जी आप वापिस लौटे नहीं
मैंने कहा ..हां हम लोगों ने सारी रात यही गुजारने का फैसला किया है
अरे पंडित जी आपने यह क्या किया वो जगह सही नहीं है.. उसकी घबराई हुईआवाज आई ।
प्रधान जी ..कोई फिक्र नहीं कीजिए हम सवेरे वापस आ जाएगी.. मेने कहा
लेकिन पंडित जी
यही कहना चाहते हो कि यहां पूनम की रात राजा ठाकुर की प्रेतात्मा घूमती हैं ।
हां पंडित जी ..लोगो का यही विश्वाश हैं ।
मेने कहा..कोई बात नहीं हमें प्रेतात्मा से मिलना हैं
और हम मिल कर ही आएंगे ।
उसने कहा ..यह ठीक नहीं है पंडित जी ..लेकिन आप बड़े जिद्दी हो ..बाबा आपकी रक्षा करे ।
रात गहरा चुकी थी ।पूनम की रात चंद्रमा अपने पूरे यौवन पर था ।हवेली चांदनी से नहा गई थी ।यतेंद्र बे टाईम देखा रात के बारह बज चुके थे । हम लोग के पेट में चूहे कूदने लगे थे । हमें बड़े जोरो की भूख लगी थी लेकिन हम लोग पेट में पट्टी बांधे बैठे थे।
बृजेश ने कहा ..यार इस चांदनी रात में हवेली में यदि हम लोग गरम गरम खाने के साथ डिनर कर रहे होते तो आनंद आ जाता । यतेंद्र ने कहा.. मैं भी यही सोच रहा था ..यदि आज यहां कैंडल लाइट में डिनर होता तो वाह क्या बात होती ।मैंने कहा.. हमें पता नहीं था, रात यहां गुजारनी पड़ेगी ..वरना हम जरूर इंतजाम करते ,और चांदनी रात में कैंडल लाइट में डिनर कर रहे होते ।खैर कोई बात नहीं, हम यह इच्छा जरूर पूरी करेंगे और एक बार फिर इस हवेली में रात गुजारेंगे।
दोनों ने इस बात पर सहमति दी और कहा .. हां हम जरूर आएंगे।
दोनों की बात जैसे ही पूरी हूई अचानक फोन की घंटी बजने लगी...
हैलो.....
दूसरी ओर से आवाज आई..पंडित जी मुझे प्रधान ने आपके खाने का इंतजाम करने को कहा था ..लेकिन मुझे देव हो गई.. इसके लिए माफी चाहता हूं.. लेकिन आप फिक्र मत कीजिए मै अभी उपस्थित होता हूं और फटाफट आपको धर्म-कर्म खाना खिलाऊंगा।
फोन कट गया...
बृजेश और यतेंद्र ने पूछा.. किसका फोन था .
मैंने कहा ..खुश हो जाओ.. तुम्हारी इच्छा पूरी हो रही है। आज हरेली में चांदनी रात में कैंडल लाइट में हम गरम गरम खाने के साथ डिनर करेंगे।
दिनों की आंखे फट गई ..बोले ..क्या ..
फिर मैंने.. उन्हें सारी बात बताई
हुर्रे....दोनों ने प्रसन्नता में आवाज लगाई।
तभी किसी ने आवाज दी ..पंडित जी मैं आ गया हूं।
हम लोगों ने चौक कर देखो तो सामने एक हट्टा खट्टा लंबा चौड़ा आदमी खड़ा था ।देखने में एक योद्धा जैसा मालूम देता था। उसकी बड़ी-बड़ी मूछें ।।बड़ी बड़ी आंखें आकर्षण का केंद्र थी ।उसका पहनावा बड़ा अजीब था और पुराने जमाने का मालूम देता था । उसने कीमती आभूषण भी धारण कर रखे थे और उसके सिर पर शानदार प गड़ी भी थी।
अच्छा तो तुम ही हो जिसने फोन किया था ।
जी हां ..उसने जवाब दिया
लेकिन भैय्या एक बात बताओ, अभी तुम्हारा फोन आया था और तुम तुरण उपस्थित हो गए यह केसे संभव हुआ. बस्ती से इतनी जल्दी कैसे आ गए ।
बस्ती से ..कहां पंडित जी .. मै तो यही हवेली में था ।
क्या मतलब तुम्हारा ..मेने पूछा
पंडित जी मेने तो यही से फोन किया था ताकि अचानक उपस्थित होता तो आप ना जाने क्या अर्थ लगा ते ।
उसकी बात तो सही थी ,ठीक थी ..इसलिए मेने कहा.. ठीक हैं ..लेकिन तुम हो बड़े दिलचस्प आदमी ..
उसने कोईजवाब नहीं दिया ।
बृजेश ने पूछा.. भैय्या एक बात तो बताओ बस्ती के लोग अंधेरा होते ही यहां नहीं आते और तुम आधी रात को यहां चले आए..तुम्हे डर नहीं लगा ।
उसने कहा ,..डर कैसा
मेने कहा.. यही कि यहां राजा ठाकुर की प्रेतात्मा आती हैं ।
मेरी बात सुनकर वो मंद मंड मुस्कुराया ।
नहीं ..राजा ठाकुर से केसा डर.. मै राजा ठाकुर को अच्छी तरह जानता हूं ।
अरे वाह .. भैय्या बड़े कमाल के हो.. ओर बताओ राजा ठाकुर के बारे में क्या जानते हो ।हम राजा ठाकुर और इस हवेली के बारे ने बहुत जानना चाहते हैं
उसने कहा ..पंडित जी बताऊंगा ..सब बताऊंगा. मै नहीं बताऊंगा तो कोन बताएगा । मै राजा ठाकुर की बाते बहुत अच्छी तरह से जानता हूं ।
अच्छा... तो फिर बताओ ..हमें बड़ी उत्सुकता हो रही हैं।
ठीक हैं.. बताता हूं ..और साथ ही भोजन भी तैयार करता हूं
उसने किस्सा कहना शुरू किया ...
राजा ठाकुर वीर योद्धा था ।उसने कई युद्ध जीते थे ।बादशाह उससे खुश रहता था और राजा ठाकुर उसका विश्वासपात्र था। यहां तक उसे बादशाह के महल में आने जाने की इजाजत थी। फिर एक दिन बादशाह की बेटी ने उसे देखा तो उसे अपना दिल दे बैठी ।राजा ठाकुर भी उसके प्यार में दीवाना हो गया ।फिर दोनों मिलने लगे और यह बात बादशाह को पता लग गई। बादशाह ने तब राजा ठाकुर को कत्ल करने का षड्यंत्र रचा उसने राजा ठाकुर को युद्ध के मैदान में भेज दिया और साथी साथ ही अपने वफादार सैनिकों की एक टुकड़ी उसके साथ कर दी और आदेश दिया कि मौका मिलते ही राजा ठाकुर का कत्ल कर दे और अफवाह फैला दें .. राजा ठाकुर युद्ध में मारा गया। लेकिन ऐसा नहीं हुआ ।राजा ठाकुर.नेे दुश्मनों को पराजित किया और उसे यह बात मालूम हो गई थी कि बादशाह उसका कत्ल करवाना चाहता है, इसलिए उसने बादशाह के वफादार सैनिकों को कत्ल करवा दिया और बात फैला दी की बे युद्ध में मारे गए।
युद्ध जीत कर जब राजा ठाकुर किले में वापस आया और बादशाह के दरबार में उपस्थित हुआ तो बादशाहा ने उसका स्वागत किया और पूछा तुम्हें इनाम में क्या चाहिए हम देंगे।
उसने इनाम में बादशाह कि बेटी को मांग लिया ।इस पर बादशाह आग बबूला हो गया उसने आदेश दिया इसे मार डालो और फिर बादशाह के सैनिक उस पर टूट पड़े और भरे दरबार में उसका कत्ल कर दिया गया ।उसकी लाश जब इस हवेली में आई तो हवेली की ओंरतों के रुदन से यह हवेली भी रोने लगी ।बादशाह को इससे भी
चेन नहीं पड़ा और उसने हवेली खाली करने का आदेश दिया ।जान के डर से हवेली खाली हो गई और तब से ऐसे ही वीरान पड़ी हैं ।
हम उसके किस्से में पूरी तरह डूब गए थे ।
उसने किस्सा जारी रक्खा
राजा ठाकुर की आत्मा को मुक्ति नहीं मिली वो हवेली में घूमता रहता था ।उसे चांदनी रात में प्रेम गीत गाना पसंद थे इसलिए हर पूनम की रात वो यहां प्रेम गीत गाता घूमा करता था और उसकी गीत से हवेली गूंजती रहती थी ।
बृजेश बे पूछा.. तो फिर आज भी वो प्रेम गीत सुनने को मिलेगा ।
उसने कहां ..हां आज भी आपको वो प्रेम गीत सुनने को मिलेगा ओर यह गीत मै सुनाऊंगा ।
अरे वाह क्या बात हैं.. हमारी उतदुकुता बढ़ गई
बृजेश बे कहा तो फिर देर किस बात की सुनाओ।
उसने कहा..सुनाता हूं ..लेकिन पहले आप लोग भोजन कर लो ..मेरा भोजन तैयार हैं ।
उसने भोजन परोस दिया ।हम भोजन को देखकर
चकित हो गए। भोजन इतना स्वादिष्ट और राजसी था कि सोचने पर मजबूत होंगए ।ऐसा भोजन हमने कभी नहीं किया था ।
यतेंद्र ने कहा.. भईये ऐसा लगत हैं जैसे किसी महल का भोजन कर रहे हों।
मैनें कहा ..सचमुच उसके हाथो में जादू हैं ।मुझे तो
यकीन नहीं होता ।
हमारी बाते सुनकर उसने कहा ..राजा ठाकुर भी अपनी हवेली में अपने खास मेहमानों को ऐसा ही भोजन कराया करता था ।उसे भोजन बनाने का शौक था ।
एक क्षण रुक कर उसने कहा. आप भी इस हवेली
के मेहमान है, तो आप ऐसे भोजन से केसे वंचित रहते ।
हैं उसकी बाते सुन रहे थे ।
भोजन हो गया था और हम सुखद आश्चर्य की स्थिति में थे ।
यतेंद्र ने घड़ी देखी रात के दो बज चुके थे ।
बृजेश बे कहा .हां तो तुम कह रहे थे किं तुम प्रेम गीत सुनाओगे जैसे राजा ठाकुर गाता था ।
उसने कहा.. हां मै सुनाऊंगा.. वैसे ही जैसे राजा ठाकुर चांदनी रात में . हवेली में घूमते हुए गाता था ।
ठीक है.. ऐसे ही सही ...बृजेश ने कहा
वो चला गया और फिर हवेली में उसके प्रेम गीत गूंजने लगे ।
चांद की रोशनी में हवेली जैसे नहा उठी थी। वो हवेली के आंगन में घूम रहा था ।उसकी दर्द भारी आवाज हमें सम्मोहित कर रही थी ।हम मंत्रमुग्ध उसके गीतों
को सुन रहे थे और कल्पना कर रहे थे शायद राजा ठाकुर भी ऐसे ही गाता होगा ।
यतेंद्र ने कहा.. यह दृश्य अदभुद हैं ,क्यों ना हम इसकी वीडियो बना लें ।
ब्रिजेश ने कहा ..आइडिया बुरा नहीं हैं ।
फिर हमने अपने केमरे निकाले और अपने काम मै लग गए ।
हम लोग इतने उत्साहित थे की समय का पता ही नही चला। हम काफी देर तक वीडियो बनाते रहे और र्फोटो खींचते रहे थे ।
जब सारा कार्य संपन्न हुआ तो सवेरा होने लगा था।
यतेंद्र ने कहा.. सवेरे के चार बजने वाले हैं
हम जैसे सोते से जागे । उसकी आवाज अब दुर से आ रही थी। शायद वो कहीं दूर चला गया था ।हमारी आंखों में नींद भर आईं थी। सारी रात जागने के कारण अब आंखे भारी होने लगी थी फिर हम ना चाहते हुए भी गहरी नींद में सो गए।
फिर हम काफी देर तक सोते रहे थे। जब हमारी आंखे खुली तो सूरज सर पर चढ़ चुका था ।जंगल में एक ओर चिड़ियों की चहचहाहट सुनाई दे रही थी तो दूसरी ओर सैकड़ों तोते टे टे का शोर मचा रहे थे ।यतेंद्र ने घड़ी देखी सवेरे के दस बज चुके थे ।हमने चारों ओर देखा ,वो हमे नहीं दिखाई दिया, शायद वो बस्ती लोट गया था ।हवेली कल की तरह ही दिखाईं दी.. कुछ नहीं बदला था ,सब कुछ वेसा ही था जैसा हमने कल देखा था
यतेंद्र ने कहा ..कल जो देखा था क्या वो सच था या फिर सपना था ।ब्रिजेश ने कहा अदभुद ..कल की बात मै कभी नहीं भूल पाऊंगा ।फिर उस बात पर चर्चा होने
होने लगी । मेने कहा.. अब इस पर चर्चा बाद ने करना अब यहां से चलने कि तैयारी शुरू करो अब यहां रुकने का कोई मतलब नहीं हैं ।सूरज की तपिश ज्यादा हो इससे पहले हम बस्ती पहुंच जाए तो अच्छा हैं ।सबकी मेरी बात ठीक लगी और फिर सभी सामान पैक करने में लग गए ।
बस्ती में जब हम प्रधान के घर पहुंचे तो उसके चेहरे पर पतेशानिं के भाव थे ।उसने देखते ही कहा पंडित जी आप लोग ठीक तो है ना ।
मेने हंस कर कहा.. देख लो साबुत है कहीं से टूटे फूटे नहीं हैं हां एक बात का अफसोस जरूर हैं कि प्रेतात्मा से मुलाकात नहीं हो पाई
शुक्र हैं ..उसने कहा
लेकिन.. मेने बात आगे बढ़ाई
तुम भी कमाल के आदमी हो ।कहते हो कि अंधेरा होते ही बस्ती का कोई आदमी हवेली जाने की हिम्मत नहीं करता लेकिन तुमने तो रात हवेली में एक बंदा भेज दिया जिसने हमारे लिए डिनर का इंतजाम कर दिया ।
यतेंद्र ने कहा ..भाई प्रधान क्या भोजन था.. एसा भोजन तो हमने कभी नहींं खाया .. और राजा ठाकुर के किस्से ..उसके प्रेम गीत.. वाह वाह बन्दे ने खूब सुनाए ।
हमारी बाते सुनक प्रधान का चेहरा फक्क हो गया
पंडित जी क्या कह रहे है आप ..मेने तो किसी को नहीं भेजा ।
अरे बंधु क्यों मजाक करते हो ..ओर फिर हमने सारा किस्सा सुनाया
सच कहता हूं पंडित जी मेने किसी को नहीं भेजा.. बच्चो की कसम ..उसकी आवाज घरघरा गई
अरे क्या कहते हो .. उसने तो हमसे यही कहा था कि मुझे प्रधान ने भेजा हैं
है भगवान.. प्रधान फिर कुछ बड़बड़ाने लगा
बृजेश ने कहा.. विश्वाश नहीं होता.. चली तुम्हे वीडियो दिखाते हैं ।
यतेंद्र ने कहा ..मेने तो बहुत सारी तस्वीरें खींची हैं .. चलो दिखाता हूं
फिर दोनों ने अपने केमरे उठाए देखने लगे ।
सबसे पहले बृजेश चोंका ..वीडियो में हवेली के सारे दृश्य थे लेकिन उस आदमी का चेहरा कहीं नहीं था
अरे ये क्या हुआ.. बृजेश ने आश्चरी से कहा .यह आदमी कहां गया ..मेने तो वीडियो अच्छी तरह चेक की थी ।
यतेंद्र जा भी यही हाल था
अरे तस्वीरों सेआदमी केसे गायब हों गाय ।मेने तो तस्वीरों को अच्छी तरह देखा था
हम आश्चर्य से एक दूसरे को देख रहे थे.. हमारे माथे पर पसीना आने लगा था ।
प्रधान ने हमारी यह हालत देखी तो उसने कहा ..आइए मेरे साथ
प्रधान हमें एक कमरे में के गाया ओर उसने वहां दीवार में तंगी एक तस्वीर दिखाई
क्या यही आदमी था
हम उस तस्वीर को देखा कर पहचान गए
हां हां यही आदमी था.. बिल्कुल यही.. हम इसे केसे भूल सकते हैं ।
प्रधान बड़बड़ाने लगा ....शुक्र हैं बाबा बे आपकी रक्षा की ।आप जानते हैं यह कोन हैं ....यही राजा ठाकुर हैं जो आज से 400 साल पहले मर चुके है .
क्या..... हम लगभग चीख पड़े ।
हम यह सुन कर पसीने पसीने हो गए
तो क्या हमने किसी प्रेतात्मा को देखा था ।रात की सारी घटना जीवंत हो गई थी ।दिमाग सोच कर थकने लगा था । हम निढाल होकर फर्श पर बैठ गए ।हमारी सांस धोंकानी किं तरह चलने लगी ..दिल की धड़कन तेज हो गई ..गला सूखने लगा .. हमारा ब्लड प्रेशर बढ़ गया था ।
प्रधान कह रहा था आपने राजा ठाकुर की प्रेतत्म कों देखा था आप भाग्यशाली हैं वरना .....

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