..मृत्यु और जीवन के मध्य /मेरे संस्मरण
डा सिन्हा का किस्सा विचित्र था ।सहज रुपं से विश्वाश नहीं होता था ।उन्होंने कहा मेने अपने सीने ने तेज दर्द महसूस किया ।मेरी आंखे बंद होने लगी । मैं अपना होश खो रहा था । फिर शायद में गिर पड़ा था । मुझे याद नही की आगे क्या हुआ था ।
डा सिन्हा ने एक लंबी सांस ली फिर आगे का किस्सा सुनाने लगे ।
मुझे तुरंत ही हॉस्पिटल के जाया गया। हॉस्पिटल में मुझे आई सी यू में भारतीं कर दिया गया और फिर मेरा इलाज चालू हों गया लेकिन कुछ समय बाद ही मेरी मृत्यु हों गई ।
डॉक्टरों ने सारी कहा और फिर मेरी लाश को हॉस्पिटल से बाहर ले जाने को कहा गया ।
रात का समय था और हम अपने शहर आगरा से दूर दिल्ली के एक बड़े हॉस्पिटल में थे ।अब इतनी रात ने परिवार वाले कहां ले जाते ।उन्होंने अनुरोध किया तो हॉस्पिटल वाले एक विशेष कमरे में रखने को तैयार हों गए । हॉस्पिटल से मृत्यु प्रमाण पत्र दे दिया गया था और परिवार वाले रिश्तेदारों को मेरी मृत्यु की खबर दे रहे थे ।उन्होंने मेरा अंतिम संस्कार भी दिल्ली में करने का मन बना लिया था ।
रात भर मेरी लाश कमरे में पड़ी रही और परिवार वाले रोते बिसूरते रहे ।जब सवेरे के चार बजने वाले थे तो किसी ने मेरे शरीर ने हलचल देखी ।थोड़ी देर में ही हॉस्पिटल में हलचल मच गई और मुझे तुरंत ही आई सी यू ने ले जाया गया और मालूम पड़ा कि मेरी सांस लोट आई हैं ..फिर इलाज चला और कुछ घंटों बाद ही मुझे पूरी तरह होश आ गया ।.
मै बड़ी उत्सुकता से डा सिन्हा की कहानी सुन रहा था ।मुझे लगा कहीं डा सिन्हा बातोल तो नही मार रहे ।शायद डा सिन्हा यह समझ गए थे ।उन्होंने अपनी जेब से एक।कागज निकाला और मुझे दिखाया.. देखी मेरा मृत्यु प्रमाण पत्र ।
मेने ध्यान से देखा और मुझे विश्वास करना पड़ा की डा सिन्हा सच कह रहे थे ।फिर मिसिज सिन्हा ने भी
पुष्टि की तो फिर कोई संदेह नहीं रहा ।
अब मेरी जिज्ञासा मृत्यु के बाद की घटना को ले कर थी।
मैं जानना चाहता था की मृत्यु और पुनः जीवित होने के मध्य डा सिन्हा ने क्या अनुभव किया था । कहां रहे इस बीच ।क्या घटित हुआ था और क्या देखा था उन्होंने ।
मेने डा सिन्हा से पूछा.. .मृत्यु के बाद क्या हुआ ।
डा सिन्हा सोचने लगे ..उनकी आंखे जैसे कही खो गई ।शायद वे उस घटना को याद कर रहे थे ।
उन्होंने कहा ..अचानक मेने अपने आप को आई सी यू के कमरे में अपनी लाश के करीब पाया ।में हवा में छत की ऊंचाई पर था । में साफ साफ देखा रहा था की डॉक्टर मेरी लाश के चारों तरफ खड़े थे और कुछ बाते कर रहे थे ।फिर मै वहां से निकल गया और हॉस्पिटल में घूमने लगा ।मेने अपने परिवार को देखा जो रो रहे थे । मैं वहां भी नही ठहरा और बाहर निकल गया ।फिर काफी देर तक शहर में यूं ही भटकता रहा ।
मेने यहां पूछा.. .शहर ने घूमते हुए क्या महसूस कर रहे थे.. मतलब क्या सोच रहे थे ।
डा सिन्हा ने कहा. कुछ नहीं .मेरे मन में कोई विचार नहिं था बस ऐसा लग रहा था की में हवा में दिशाविहीन तेर रहा हूं ..बिल्कुल वैसे ही जैसे सपने देखते हुए लगता हैं अच्छा तो फिर क्या हुआ
में फिर वापिस हॉस्पिटल लोट आया और अपने शरीर के पास ठहर गया ।
अच्छा फिर ..
मेने अचानक तेज रोशनी देखी और फिर पाया मैं हॉस्पिटल में बेड पर पड़ा हूं और बहुत सारे लोग मेरे चारो तरफ खड़े हैं ।
अच्छा फिर
फिर क्या ..मुझे बताया गया की तुम मर गए थे और अब पुनः जीवित हों गए हो
डा सिन्हा अपनी बात पूरी कर चुके थे
मेरी जिज्ञासा खतम नही हुई थी । मेने खोद खोद कर और जानने का प्रयास किया लेकिन डा सिन्हा उससे ज्यादा और कुछ नही बता पाए ।
मुझे निराशा हुई ।मृत्यु के बाद क्या होता हैं यह जानने की इच्छा पूरी नहीं हुई । डा सिन्हा जा अनुभव उन कल्पनाओं से मिलता नहीं था जिसे हम बचपन से सुनते आए हैं और जिसे हमारे बुजुर्ग और पंडित जी बताया करते थे ।
कभी कभी में सोचता हूं कि यह कोई दुर्लभ घटना तो नहीं थी जिसमे जीवित रहते हुए भी डा सिन्हा के शरीर में मृत होने के लक्षण उत्पन हों गए हों और जी उन्होंने अनुभव किया वो गहरी नींद की अवस्था में स्वप्न हीं हो ।
सवाल बहुत सारे थे .लेकिन उत्तर कुछ भी नही था ।में अपने हीं सवाली के घेरे में बुरी तरह उलझ गया था ।
मृत्यु के बाद क्या होता हैं इसका रहस्य .मेरे लिए अभी भी .रहस्य ही हैं

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