पहलवान और नए साल का जश्न

नए साल का जश्न और पहलवान,
पहलवान ने कहा... चचें आज तो  नए साल का जश्न हो जाए।
छगूं  बाबू ने भी इसका समर्थन किया और कहा भाई साहब बहुत दिन हो गए आज तो जश्न होना ही चाहिए।
पहलवान ने फिर कहा.. सबकी इच्छा है कि आज रात नए साल का जश्न होना चाहिए।. बहुत दिन हो गए कुछ खाना पीना और धूमधाम हो जाए।
मुझे उनका प्रस्ताव अच्छा नहीं लगा। मैंने कहा.. चीन में करोना से हजारों लोग रोज मर रहे हैं, हमारे देश में भी वह अपने पैर पसारने आ रहा है, और तुम लोगों को नए साल का जश्न बनाने की सूझी है।
इस पर पहलवान ने आंखें फाड़ कर कहा.. चचे कैसी बातें करते हो। हमारे शहर में कोई मामला नहीं है और फिर हम सब बूस्टर डोज ले चुके हैं। हमारा परिवार भी वैक्सीनेटेड हो चुका है और सारा मोहल्ला भी फिर कैसा डर।
 छगूं बाबू ने भी कहा... भाई साहब भइये सही कह रहे हैं, हमें कोविड-19 के साथ ही जीना है, तो फिर काहे का डर। जश्न तो होना ही चाहिए, हमारे परिवार में सभी की इच्छा है। मैंने कहा... तुम सब पागल हो गए हो क्या।
क्षणिक आनंद के लिए क्यों अपने प्राण खतरे में डालना चाहते हो. सरकार कह रही है अनुशासन में रहो और भीड़ भाड़ा से बचो और तुम लोग पागलपन की बात कर रहे हो.
छगूं  बाबू ने कहा.. भाई साहब आपने बिना वजह के डर पाल लिया है ,और हमें भी डरा रहे हैं. अब तो हमें कोविड-19 के साथ ही रहना है, और सामान्य रूप से रहना है, इसलिए अब डर क्यों पाले,और वैसे भी जीवन क्षण भंगुर है और किसी को इसके बारे में पता नहीं, तो फिर खुशियों के पल क्यों नहीं हंसी खुशी के साथ गुजारे।
मेने मैंने उनकी बातों को काट दिया और साफ कहा.. तुम लोग कुछ भी कहो मुझे अनुशासन पसंद है और मैं अनुशासन में ही रहना चाहता हूं.. यह क्या तुमने जश्न जश्न मचा रखा है मुझे यह जश्न पसंद नहीं और मैं से इनकार करता हूं.
मेरी बात सुनकर छगूं  बाबू चुप हो गए और पहलवान का चेहरा उदास हो गया और उसकी आंखें निराशा में डूब गई ।वह डब दवाई आंखों से मुझे देखने लगा, शायद कह रहा था कि  जश्न से इतनी नफरत क्यों। फिर उसके होंठ हिले , शायद वह कुछ कहना चाहता था, तभी हमेशा की तरह गुल्लन नाश्ते की ट्रे और चाय लेकर आ गया।
हम सब ने देखा उसकी ट्रे कई तरह की चीजों से भरी हुई थी। हमें आश्चर्य हुआ तो गुल्लन ने कहा ...चौंकिए मत, यह तो मात्र नमूना है, लेकिन आज रात के जश्न में बहुत कुछ खाने पीने को मिलेगा।
उसकी बातें सुनकर मैं चौका लेकिन जब तक गुल्लन की बात को, हम सब समझते ,तभी गुल्लन  ने कहा ...आज रात नए साल का जश्न होगा, खूब धूमधाम रहेगी ,खाना पीना होगा ,नाच गाना होगा और इसके लिए चाची ने सारी तैयारी कर ली है .. टन टना टन..आप लोग भी तैयार रहें।
गुल्लन की यह बात सुनकर मैं हकबका गया,और मैंने कहा क्या.....
मेरी बात पूरी भी नहीं हुई थी कि श्रीमती जी आ पहुंची और बोली ...गुल्लर ने सही कहा है ,आज रात नई साल का जश्न होगा और आप सबको परिवार के साथ शामिल होना है ।
श्रीमती जी की बात सुनकर पहलवान और छगूं बाबू के चेहरे खिल गए और मेरा मुंह लटक गया।
इस पर श्रीमती जी ने कहा.. ऐसा मुंह क्यों लटका लिया है... जाओ बाजार जाकर बच्चों के लिए कुछ कुछ गिफ्ट और सामान ले आओ।
अब पहलवान की चाची के आगे किसकी चलती है ,मैंने बुझे मन से कहा ..ठीक है झोला लाओ ,जाता हूं।
मैंने देखा चाय नाश्ता उड़ाते हुए पहलवान और छगूं बाबू मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा रहे थे , मानो मन ही मन कह रहे थे ....अब क्यों नहीं बोलते हो।
मैं मन ही मन कुढ़ रहा था, लेकिन मेरे पास अपनी झेप मिटाने के लिए कोई शब्द नहीं थे।
आप सबको नए साल की बधाई

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